महर्षि अरविंद ने भी विश्व राज्य का स्वप्न देखा और विनोबा भी सब राष्ट्रों के एक परिवार के अभिलाषी हैं। इसके लिए परस्परावलंबन के विचार को अपनाना होगा। समत्व के लिए विनोबा का यह तर्क है कि उंगलियों की समानता जितना समत्व तो साधना ही चाहिए। समाज की पंच शक्तियों […]