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कृतज्ञ देश के कोने-कोने में याद किये गये बापू देशव्यापी आयोजनों की सचित्र झांकी

30 जनवरी देश ही नहीं, दुनिया के लिए बापू को याद करने, उन्हें नमन करने का दिन है। यहां यह बताना ज़रूरी नहीं है क़ि इसी दिन 1948 को एक कायर हिंदू नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी, बताना यह ज़रूरी है क़ि उनकी मृत्यु के सत्तर साल होते-होते बापू की हत्यारी विचारधारा के समर्थक सरकार में आ गये और हत्यारे नाथूराम की पूजा करने लगे। कायरता का सबसे बड़ा तर्क है, हिंसा की स्वीकृति। इस स्वीकृति के ख़िलाफ़ खड़े होकर अहिंसा को स्थापित करना, सभ्य समाज की पहचान होती है। भारत का समाज अभी तक सभ्य समाज की श्रेणी में है, 30 जनवरी को समूचे देश की विभिन्न संस्थाओं, विश्वविद्यालयों और युवजनों ने इसे साबित किया। बापू को दी जाने वाली श्रद्धांजलि के ये आयोजन भरोसा देते हैं कि गांधी आज भी भारत के मन में हैं, मानस में हैं. भरोसा यह कि बापू हमारे पथप्रदर्शक ही नहीं, प्रकाश का वह पुंज भी हैं, जो आज भी देशों की सीमाएं तोड़कर पीड़ित, वंचित समाजों और अपने दरिद्र नारायण का पथ रोशन कर रहे हैं. दुनिया का चाहे वह कोई भी हिस्सा हो, अगर कहीं हकदारी और भागीदारी का सवाल सांस ले रहा है, तो समझिये क्रान्ति के कोंपल फूट रहे हैं और गौर से देखिये, उस आबोहवा में गांधी जिंदा मिलेगा. सूक्ष्म में मौजूद गांधी की इस शक्ति का एहसास देश और दुनिया के कोने कोने में बापू को याद करने के लिए आयोजित होने वाले इन कार्यक्रमों से होता है. हमेशा की तरह इस बार भी सर्वोदय जगत के ईमेल पतों और व्हाट्सएप नम्बरों पर देश भर से आने वाले श्रद्धांजलि समाचारों की जैसे बाढ़ आ गयी हो. आप भी देखें इन आयोजनों की चित्रमय झलकियाँ.

एनएसयूआई, बीएचयू ने मधुबन में कराई पेंटिंग प्रतियोगिता

बीएचयू स्थित मधुबन पार्क में आयोजित इस पेंटिंग प्रतियोगिता में सैकड़ों प्रतिभागियों ने भाग लिया, कार्यक्रम की शुरुआत महात्मा गांधी और मालवीय जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करके की गई, इसके बाद वहां उपस्थित सभी ने पुष्प अर्पित कर गांधी जी को नमन किया। प्रतिभागियों ने गांधी जी के विचारों अहिंसा, सद्भाव, जातीय भेदभाव की समाप्ति और नारी सम्मान को वर्तमान परिवेश से जोड़ते हुए अपनी कला का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया, पेंटिंग के मूल्यांकन के बाद प्रतिभागियों को सर्टिफिकेट और सर्व सेवा संघ के ओर से बापू की पुस्तकें भेंट की गईं। बापू की आत्मकथा, हिन्द स्वराज और बापू की हत्या के समय आसपास की परिस्थितियों और दोषियों की पड़ताल करती पुस्तिका ‘मुक्तिमार्ग’ का वितरण भी किया गया।


कार्यक्रम का संचालन इकाई अध्यक्ष रोहित कुमार ने किया, बीएचयू छात्र परिषद के पूर्व महासचिव डॉक्टर विकास सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुंदन, प्रदेश प्रभारी अविनाश यादव और अध्यक्ष अखिलेश यादव को पुस्तकें भेंट कीं। कार्यक्रम में अभिनव मणि त्रिपाठी, वंदना उपाध्याय, कपीश्वर मिश्रा, शंभू कन्नौजिया, हर्षिता, धनंजय, दिवाकर, शांतनु त्रिपाठी, उमेश यादव, साकेत शुक्ला, नीरज, शांतनु, शिवा, अमरेंद्र, सुदर्शन, चंदन मेहता, धर्मेंद्र पाल, राजेश, जंग बहादुर, शिवम, आनंद मौर्य, अक्षय कुमार, अभिषेक तिवारी, शिवम शुक्ला, वरिष्ठ गांधीवादी रामधीरज, डॉ इंदु पाण्डेय, शशि, ऋषभ पांडे, मानस सिंह, प्रफुल्ल पांडे, आलोक रंजन आदि मौजूद रहे।
-धनंजय त्रिपाठी

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