यह उन नीग्रो योद्धाओं की कहानी है, जो बहुत गरीब और अशिक्षित थे, लेकिन अमेरिका में रंगभेद के साये में जीने की अपेक्षा जिन्होंने साल भर तक पैदल चलने के कष्ट को बेहतर माना। यह उन वृद्ध नीग्रो स्त्रियों की कहानी है, जिनके पैर थककर चूर हो गये थे, पर […]

सरदार पटेल ही की भाँति गाँधीजी भी मुझसे कभी कुछ नहीं छिपाते थे। विश्वास करने में वे अपने युग के श्रेष्ठतम व्यक्ति थे                                                       […]

जयप्रभा स्मृति भवन, लोकनायक जयप्रकाश नारायण की पुरानी जीप, दो सौ साल पुराने पीपल व बरगद के पास चबूतरा और पार्क बनाने तथा दो सौ साल पुराने वाल्टेयर कुएं को पुनर्जीवित करने की योजना है. सर्व सेवा संघ का वाराणसी कैंपस आजादी के बाद से गाँधी विचार एवं सर्वोदय विचार […]

मौंग माओ से नामरूप, असम पहुंचने में चुकाफा़ को तेरह साल लगे। आज गोहाटी से थाइलैंड का रास्ता सड़क मार्ग से केवल पैंतालीस घंटे में तय किया जा सकता है. असम तब आज का असम तो नहीं था, पर बिना जन जीवन का निरा जंगल भी नहीं था। पढ़ें, असम […]

महर्षि अरविंद ने भी विश्व राज्य का स्वप्न देखा और विनोबा भी सब राष्ट्रों के एक परिवार के अभिलाषी हैं। इसके लिए परस्परावलंबन के विचार को अपनाना होगा। समत्व के लिए विनोबा का यह तर्क है कि उंगलियों की समानता जितना समत्व तो साधना ही चाहिए। समाज की पंच शक्तियों […]

वैश्विक तापमान में वृद्धि और इसके परिणामस्वरूप जलवायु में परिवर्तन। निःसंदेह, इस वृद्धि और परिवर्तन के कारण स्थानीय भी हैं, किंतु राजसत्ता अभी भी ऐसे कारणों को राजनीति और अर्थशास्त्र के फौरी लाभ के तराजू पर तौलकर मुनाफे की बंदरबांट में मगन दिखाई दे रही है। जन-जागरण के सरकारी व […]

बाबा का कहना था कि ग्रामोद्योगों से आप कहते हैं वे अपने पैरों पर खड़े रहें। यह तो वही बात हुई कि आप मेरी टांगें तोड़ देते हैं और फिर टांगों पर खड़े रहने को भी कहते हैं। आप शाबाशी दें कि फिर भी हम हाथों के बल चल कर […]

25 जून 1975 को जेपी का ऐतिहासिक भाषण वर्तमान को समझने के लिए इतिहास को समझना ज़रूरी 25 जून 1975 को देर शाम दिल्ली स्थित रामलीला मैदान में विपक्षी दलों की एक रैली हुई थी, जिसे लोकनायक जय प्रकाश नारायण ने सम्बोधित किया था. जेपी ने देश की जनता को […]

बहुत से लोग बाबा से सवाल पूछते थे कि अहिंसा क्या मानव तक ही सीमित है। बाबा कहते थे कि मनुष्य को अपनी चित्तशुद्धि के लिए मांसाहार छोड़ देना चाहिए। अगर आप दुनिया में शांति चाहते हैं, तो प्राणियों का आहार आपको छोड़ना पड़ेगा। यह कहते हुए बाब कहा करते […]

अगर हम देश का संरक्षण सशस्त्र सेनाओं पर छोड़ दे रहे हैं और शांति सेना का काम नहीं कर रहे हैं तो सर्वोदय और अहिंसा की आबरू खतरे में है, इसीलिए बाबा आजकल शांतिसेना की बात पर अधिक जोर देने लगे हैं. अक्सर माना गया है कि बीमारी में अगर मनुष्य […]

क्या हम आपकी कोई सहायता कर सकते है?