बाबा को भिक्षा मांगने की आदत नहीं। बाबा तो सभी को दीक्षा देने आया है। काहे की दीक्षा! प्रेम जीवन की दीक्षा। सारा गांव एक परिवार बनकर रहे। जमीन सबके लिए है, उसको सबके पास पहुंचाए। बाबा अभी तक भूमिदान लेते थे, लेकिन अब संपत्तिदान भी लेने लगे। संपत्ति में […]

बाबा विनोबा भूदान के काम को राष्ट्रीय आंदोलन नहीं, बल्कि जागतिक आंदोलन मानते थे। आंदोलन से भी आगे बढ़कर इसे आरोहण मानते थे. आरोहण में हम एक एक शिखर चढ़ने की कोशिश करते हैं। वही इसमें भी हो रहा है। बाबा विनोबा का मानना था कि मुझे भय नहीं, निर्भयता […]

जमीन के वितरण से लेकर भगवद्भक्ति तक का पंचविध कार्यक्रम सच्चे अर्थों में ग्रामराज्य, रामराज्य, लोकराज्य या स्वराज्य का स्वरूप होगा।  दुनिया तृषित होकर शांति की तीव्र खोज में है। सबसे पहले अधिष्ठान को लें तो भूमि अधिष्ठान है, जिसका विषम बंटवारा ही समाज रचना की सारी अच्छाइयों को नष्ट कर रहा है। ऐसे […]

भूदान से करुणा का एक छोटा सा प्रवाह निकला, लेकिन जब वह प्रवाह समुद्र में आया, तब उसे समुद्र का रूप मिला। ग्रामदान एक समुद्र और भूदान एक नदी है। बाबा का भूदान यज्ञ नदी के जरिए समुद्र में प्रवेश कर रहा था. आज 23 मई का दिन बहुत पावन दिन […]

यह केवल जमीन बांटने का काम नहीं, बल्कि हिंदुस्तान को एकरस बनाने का काम है, दिल के साथ दिल जोड़ने का काम है, हृदय शुद्धि का काम है। भूदान एक नैतिक आंदोलन है। सच्चे अर्थों में यह धर्म-प्रतिष्ठा का काम है। कोई भी साधना जब तक व्यक्तिगत रहती है, तब […]

भूदान आंदोलन की मांग दीन होकर नहीं, बल्कि प्रेम के बल पर की जाती है। क्योंकि प्रेम की शक्ति काफी है। धमकाकर जमीन नहीं ली जा सकती है। बाबा  का मानना था कि भूदान आंदोलन कुल मनुष्यों के लिए होना चाहिए। अगर लोगों की सोच समाजसेवा में भी समाज के […]

यह हो ही नहीं सकता कि आपके घर में आग लगे और आप बुझाने भी न जाएं।  बाबा का ध्येय तो सर्वोदय है। इसीलिए विश्वास भी है कि सभी लोग इसमें सहयोग करेंगे। कंजूस चोरों का बाप होता है। वही चोरों और डाकुओं को पैदा करता है। आज जो लोग हजारों […]

भूखा, प्यासा और बिना घर वाला भगवान हमारे सामने खड़ा है। आज वह खुद कह रहा है कि हमें खिलाओ, हमें कपड़े दो, हम ठंड से ठिठुर रहे हैं। बाबा कहते थे कि आज का भगवान खुद दूध दुहता है, पर उसे पीने को नहीं मिलता। वह फलों के बगीचे […]

बाबा कहते हैं कि हमें हमारा इल्म नहीं घुमा रहा है, न त्याग घुमा रहा है, न हमारा फकीरी बाना , बल्कि हमें घुमाने वाली चीज केवल रहम, हमदर्दी और करुणा ही है। हिंदुस्तान में बहुत गुरबत है। आज गरीबों और अमीरों में, ग्रामीणों और शहर वालों में, पढ़े हुए […]

मैं दरिद्र हूं, दु:खी हूं, मेरे पास जो चीज है, वह काफी नहीं हैं, पर ऐसे भी लोग हैं, जो मुझसे भी दरिद्र हैं, दु:खी हैं। इनकी तरफ ध्यान देने से हमारा जीवन उन्नत बनता है। यही भूदान यज्ञ का रहस्य है। बिहार के बाद बाबा की यात्रा बंगाल पहुंची, […]

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