गांधी पाकिस्तान बनने नहीं देना चाहते थे और जब उनकी मर्ज़ी के खिलाफ बन गया तो दोनों जगह अल्पसंख्यकों को सम्मान के साथ जीने का अधिकार चाहते थे। इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है कि जिसे दुनिया महात्मा और अहिंसक प्रतिकार का सबसे बड़ा योद्धा मानती है, उसकी हत्या […]

बद्रीनाथ, केदारनाथ धाम आदि तीर्थों पर जाने में सावधानी बरती जाती थी कि न शोर शराबा हो और न कचरा छोड़ा जाये। वहां पांच सितारा होटल की सुविधा तो सोच भी नहीं सकते थे। यह सब अनुशासन रखना समाज का काम है, लेकिन जिन संस्थाओं का काम समाज को सही […]

गांधी ने आज़ाद भारत में आदर्श समाज और राज्य का मतलब, आम आदमी को समझाने के लिए रामायण के रामराज्य की उपमा का सहारा लिया। गांधी सत्य, अहिंसा, समानता, न्याय और बंधुत्व पर आधारित समाज बनाना चाहते थे, जिसके सूत्र उन्हें अन्य स्थानाें के अलावा रामायण में मिले। हिन्दू या […]

कंपनियों को वैसे भी लोकतंत्र पसंद नहीं, क्योंकि लोकतंत्र में संसद, अदालत या मीडिया कोई भी सवाल पूछ सकता है, जिसका जवाब सरकार को देना पड़ जाता है। यह सर्वमान्य तथ्य है कि पांच तत्व—मिट्टी, जल, अग्नि, आकाश और वायु हमारे जीवन की रचना और उसकी पुष्टि करते हैं। इसलिए […]

जो आदमी सरकार में होता है, उसे न गांधी पसंद होता और न सत्याग्रह। गांधी, हिन्द स्वराज और सत्याग्रह को ज़िंदा रखना है, तो ख़ुद ही गांधी के रास्ते पर चलकर आम जानता को जगाना और संगठित करना होता है। ये तुषार गांधी भी अजीब आदमी हैं। बिहार के मुख्यमंत्री […]

धार्मिक ध्रुवीकरण की राजनीति ने राजनीतिक दलों के लिए चुनाव जीतना आसान कर दिया है, इसलिए वे आम लोगों के पक्ष में व्यवस्था परिवर्तन की ज़रूरत नहीं महसूस करते. जो लोग व्यवस्था परिवर्तन की बात करते हैं, वे बिखरे हुए हैं. सर्वोदयवादी, गांधीवादी, जेपीवादी, लोहियावादी, अम्बेडकरवादी, समाजवादी और मार्क्सवादी आदि […]

गुनहगार तो हैं मोरारजी देसाई, चरण सिंह, जनजीवन राम, राज नारायण और चंद्रशेखर, जो अपनी सत्ता-लिप्सा के चलते जनता पार्टी को एकजुट नहीं रख पाये और संघ को फिर से अपनी राजनीतिक शाखा भारतीय जनता पार्टी बनाने का मौक़ा दिया. फिर भी यह जेपी का ही प्रभाव था कि भाजपा […]

इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया, उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों से प्रचार का पैकेज तय करते हैं. इसमें एक बड़ा हिस्सा ब्लैक मनी का होता है. लाभार्थी मीडिया भला इस मुद्दे पर क्यों अभियान चलायेगा? अब यह काम आम नागरिकों का है कि चुनावी चंदे की पारदर्शिता और खर्च की सीमा बांधने […]

टाउन प्लानिंग में कई तरह के विशेषज्ञों का योगदान होता है, जिसमें सर्वाधिक ज़रूरी है भूगोल या ज्योग्राफ़ी का ज्ञान. यानी ज़मीन कैसी है, पानी की उपलब्धता क्या है, पानी का ढलान किधर है और कितने जलाशय चाहिए. इसके बाद सिविल इंजीनियर, आर्किटेक्ट, सिविल सर्वेंट्स और पॉलिटिशियंस का नंबर आता […]

हमें एक व्यापक विमर्श के ज़रिये स्वतंत्रता, समानता, न्याय और बंधुत्व पर आधारित भारत के विकास का सर्वमान्य एजेंडा बनाना चाहिए, ताकि जब हम 2047 में आज़ादी की सौवीं जयंती मनायें तो भारत एक सुखी, संतुष्ट और समृद्ध राष्ट्र हो।   एक उत्सवधर्मी देश के रूप में हमने भारत की […]

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