भारत का संविधान : महत्वपूर्ण तथ्य और तर्क यह किताब संविधान की पृष्ठभूमि और इसके निर्माण की प्रक्रिया को समझने के लिए हिंदी में एक जरूरी दस्तावेज की तरह है, जो महत्वपूर्ण तथ्यों के साथ-साथ संविधान के वजूद में आने के तर्कों को सटीकता के साथ प्रस्तुत करती है. सामाजिक […]

परिव्राजक यीशु की देशनाएं विनोबा ने गीता, भागवत, धम्मपद, जपुजी, कुरआन आदि अनेक धर्मग्रंथों के नवनीत लिखे हैं। इसके पीछे उनका मन्तव्य दिलों को जोड़ने का रहा है। ख्रिस्त धर्म सार इसी योजना की अगली कड़ी है। इसमें विनोबा ने न्यू टेस्टामेंट का सार सर्वस्व लिखा है। प्रस्तुत है अगली […]

रोग के लक्षण को दवा द्वारा दबा देना ही आज का औषधोपचार है। शरीर में बार-बार दवा के प्रयोग से रोग व्याधियों का मंदिर बन जाता है और सारे रोग एक साथ मिलकर असाध्य बन जाते हैं। प्राकृतिक चिकित्सा दर्शन में मन, शरीर, आत्मा का घनिष्ठ संबंध माना गया है। […]

पर्यावरण और चुनौतियां नासा की एक खोज के अनुसार अंटार्कटिका में औसतन 150 बिलियन टन और ग्रीनलैंड आइस कैप में 270 बिलियन टन बर्फ प्रति वर्ष पिघल रही है। आगे आने वाले समय में सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र आदि नदियां सिकुड़ जाएंगी और बढ़ता हुआ समुद्री जल स्तर खारे पानी […]

गांधी ने लिखा कि कस्तूरबा किसी भी लिहाज से मुझसे पीछे नहीं थीं। वह मेरे से बेहतर थी। उसके अमोघ सहयोग के बिना मैं शायद रसातल में चला जाता… उसने मुझे मेरी प्रतिज्ञाओं के प्रति जागृत रखने में मदद की। उसने मेरे सभी राजनीतिक आंदोलनों में मेरा साथ दिया और […]

गांधीजी की हत्या के कुल छ: हफ्तों बाद सेवाग्राम में कुछ लोग एकत्र होकर अपने सूने दिलों और भटकते दिमागों के अंदर कुछ प्रश्नों का उत्तर ढूँढ़ते हैं। प्रश्न ये कि बापू तो गये, अब हमें क्या करना है? बापू के पास हम हिदायत लेने पहुंच जाते थे, अब वह […]

दोनों संगठनों से सम्बद्ध कुछ शीर्षस्थ नेताओं की एक बैठक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के नागपुर स्थित प्रमुख कार्यालय में संघ के सरकार्यवाह बाबा साहब देवरस की अध्यक्षता में हुई। इस बैठक में सर्वोदय की ओर से जैनेन्द्र कुमार, अण्णा साहब सहस्रबुद्धे, ठाकुरदास बंग, आरके पाटिल, देवेन्द्र कुमार गुप्त आदि […]

गांधीजी का मानना था कि गरीबों के लिए रोटी ही अध्यात्म है। भूख से पीड़ित उन लाखों-करोड़ों लोगों पर किसी और चीज का प्रभाव पड़ ही नहीं सकता। कोई दूसरी बात उनके हृदय को छू ही नहीं सकती। उनके पास आप रोटी लेकर जाइए, वे आपको भगवान की तरह पूजेंगे। […]

सत्याग्रही को सत्य और अहिंसा का पालन करना चाहिए। ये दोनों सिद्धांत गांधीवाद के दो प्रमुख बिन्दु हैं। गांधी जी ने सदैव इन दोनों सिद्धांतों को पूर्ण विचारधारा माना। इतना होने पर भी व्यवहार में राष्ट्रीय स्वतंत्रता की अत्यधिक आवश्यकता को देखते हुए उन्होंने इन सिद्धांतों को समसामयिक माना था। […]

दुनिया में पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से आज प्राकृतिक संसाधनों, जंगलों, पेड़ों और पृथ्वी को बचाने की बात की जा रही है, इसकी शुरुआत उत्तराखंड में गांधी और सर्वोदय विचारों से प्रभावित होकर हुई थी। उत्तराखंड हमेशा से ऐसा इलाका रहा है, जहां से सामाजिक एकता और अन्याय के ख़िलाफ़ […]

क्या हम आपकी कोई सहायता कर सकते है?