आज पूरा देश कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर की विपदा से जूझ रहा है। अब यह लहर शहरों की सीमा पार कर गांवों तक फैल गया है। परिणामस्वरूप गंगा सहित अन्य नदियों में मानव शवों का बहते देख रहा है। यह विपदा अकेले सरकारों की चुनौती नहीं है। समाज के लिए भी है। हमारे, आपके और सबके लिए है। आज कोरोना की दूसरी लहर के विनाशकारी रूप को देखकर पूरे देश का दिल दहल उठा है। मौजूदा हाहाकार और कोहराम के बीच कोरोना की तीसरी लहर के आने की सूचना भी विश्वसनीय होती जा रही है। केंद्र सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि कोरोना की तीसरी लहर भी आएगी। अब यह निराधार आशंका नहीं, बल्कि प्रबल संभावना बन गई है।
अब जब कोरोना की तीसरी लहर के आने की संभावना पक्की मानी जा रही है, तो हमें इससे निपटने का उपाय अभी से सोचना होगा, क्योंकि हम पहली लहर के बाद के छह महीने में कोरोना की दूसरी लहर से निपटने की पूर्व तैयारी करने के बजाय, इस खुशफहमी में रह गए कि अब कोरोना का प्रकोप ख़तम हो गया है। हम दूसरी लहर के आने की संभावना पर थोड़ा सा भी यकीन कर लेते और समय रहते कुछ तैयारी कर लेते तो आज जैसी आपाधापी नहीं होती। न इतने ज्यादा लोग मरते और न ही आम लोगों की कमर टूटती। इतने भारी संख्या में लोग बेरोजगार भी नहीं होते। विश्व स्वास्थ्य संगठन अगर कोरोना को वैश्विक महामारी घोषित करने में देरी नहीं करता तो पहली लहर से हुए नुकसान को भी रोका जा सकता था।
अभी इसी सप्ताह एक स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय पैनल ने अपनी ‘यही आखिरी महामारी बने,’ रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कहा गया है कि जानलेवा कोरोना वायरस और खराब तालमेल की वजह से चेतावनी के संकेत अनसुने कर दिए गए। विश्व स्वास्थ्य संगठन बहुत पहले सचेत कर सकता था। एक के बाद एक खराब निर्णयों की वजह से एक अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना अब तक करीब ३३ लाख लोगों की जानें ले चुका है। साथ ही अर्थव्यवस्था को भी तबाह कर चुका है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना की पहली लहर के पहले से ही लापरवाहियां हुईं। दुनिया आज जिस स्थिति में है,उसे रोका जा सकता था। वैश्विक महामारी घोषित करने में काफी समय लिया गया। ३० जनवरी तक चीन के हालात विकट हो चुके थे। लेकिन महामारी की घोषणा ११ मार्च को की गई। इस रिपोर्ट में कुछ सुझाव भी दिए गए हैं। मसलन तेज़ी से वैश्विक टीकाकरण की रफ्तार तेज की जाय। साथ ही अमीर देशों से गरीब देशों को एक अरब टीके की खुराक दान करने की अपील की गई है। दुनिया के धनी देशों से अगली महामारी की तैयारी के लिए समर्पित नए संगठनों को आर्थिक मदद मुहैया कराने की बात भी कही गई है।
यह तो तय हो गया है कि कोरोना की तीसरी लहर भी आएगी, वह किस रूप में आएगी, इस पर शोध जारी है। लेकिन यह कहा जा रहा है कि तीसरी लहर की चपेट में बच्चे भी आ सकते हैं। अब जरूरत है कि मौजूदा दूसरी लहर के विनाशकारी नतीजों से निपटते हुए तीसरी लहर को पराजित करने के लिए कुछ जरूरी उपाय अभी से ही सोचना होगा। क्योंकि कोरोना का भावी रूप जैसा भी होगा, लेकिन उससे बचाव के तरीके तो पहले जैसे ही होंगे। मसलन दूरी बनाए रखना, मास्क पहनना और बार बार हाथ धोते रहना। उसके लिए भी आम जनता को पूरी तरह से जागरूक करने की जरूरत है, क्योंकि अपने देश में महामारी को देवी का प्रकोप या पूर्व जन्म के पापों का परिणाम मानने वाले भी बहुतेरे हैं और इसके इलाज के लिए टोने टोटके करवाने वालों की संख्या भी कम नहीं ैâ। आम जनता की सोच को अंध विश्वास से दूर हटाकर वैज्ञानिक बनाना होगा। बाकी का इंतजाम मसलन पर्याप्त वैक्सीन का उत्पादन और आपूर्ति, जरूरी दवाओं की उपलब्धता, अस्पतालों में बेड, डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों के इंतजाम की जिम्मेदारी सरकारी तंत्र की है। यह तंत्र तब बहुत बेहतर काम कर सकता है, जब आप जागरूक बनेंगे।
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