जनमुक्ति संघर्ष वाहिनी ने जमशेदपुर में इंसानी कतार बना कर गाँधी शहादत दिवस मनाया। सहभागियों ने अपने हाथों में विविध संदेश छपी तख्तियां ले रखी थीं। साकची गोलचक्कर के चारों ओर घूम कर लीफलेट भी बांटा गया। इस लीफलेट में कहा गया है कि गांधी की हत्या में जो शक्तियां शामिल थीं, आज वे देश की सत्ता में हैं। वे गांधी की विरासत वाले संस्थानों को नष्ट कर रही हैं और गांधी को अपमानित करने वालों को प्रोत्साहित कर रही हैं । गाँधी की हत्या करने वाली शक्ति ही धर्म के आधार पर राष्ट्र निर्धारित करने का विचार पहले भी रखती थी। हिन्दू महासभा ने मुस्लिम लीग के साथ मिलकर संयुक्त सरकार बंगाल में चलायी। जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने आजादी के आंदोलन को दबाने में सहयोग का प्रस्ताव दिया था। आज धार्मिक और जातीय वर्चस्व की शक्तियां आजादी के मूल्यों और आजादी के इतिहास के तथ्यों को तोड़ मरोड़ रही हैं। आजादी के लिए शहादत की विरासत का, तमाम स्वतंत्रता सेनानियों का और साझी संस्कृति की अपमान कर रही हैं। कार्यक्रम में लोकतंत्र, न्याय और सद्भाव की विरासत की हिफाजत का आवाहन किया गया। तख्तियों पर गाँधी के सूत्र और गाँधी के प्रति भावनाएं जाहिर की गयी थीं- गाँधी थे, गाँधी हैं, गाँधी रहेंगे, गोलियों और गालियों से नहीं मिटेंगे; जो पूजें गोडसे, वे दरिंदे मौत के; हम तो साथी गाँधी के, स्नेह की जाँबाजी के; गाँधी तेरी अनोखी शहादत, यादों में सहेजे है भारत; गाँधी का साहस, गाँधी की शहादत मानवता की ताकत; अस्पृश्यता उन्मूलन और सर्वधर्म समभाव की मुहिम से बौखलाए मनुवादी शक्तियों ने गाँधी की हत्या की; ऐसे संदेश लिखी तख्तियां लेकर लोग मानव श्रृंखला में खड़े थे।
कार्यक्रम में भाषान मानमी, अमर सेंगेल, जगत, कुमार दिलीप, रानी किस्कु, ऊषा, मानस, सुखचन्द्र झा, रूस्तम, अमरेन्द्र, ओम प्रकाश, मुकन्दर, अरविन्द अंजुम, मंथन आदि शामिल रहे ।
-अरविन्द अंजुम
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