आज 11 सितंबर को दिल्ली स्थित गांधी संग्रहालय सभागार में विनोवा जयंती के अवसर पर देशभर के गाँधीजनों–अमरनाथ भाई, आशा बोथरा, सवाई सिंह,राजेन्द्र सिंह आदि ने उनके चित्र पर सुतों की माला पहनाकर श्रद्दांजलि अर्पित किया।
इस अवसर पर सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष चंदन पाल ने कहा कि विनोबा जी का विचार है कि युद्ध की अनुपस्थिति का मतलब शांति नहीं है,बल्कि भय की अनुपस्थिति से शांति आती है। आज चारों ओर भय का वातावरण है जिसे निर्भयता के संजल्प और कार्यक्रम के माध्यम से दूर करना सर्वोदय आंदोलन का दायित्व है।हम इस कर्तव्य के निर्वाह के लिए प्रतिबद्ध हैं।
वयोवृद्ध गांधीवादी अमरनाथ भाई ने कहा कि विनोबा का व्यक्तित्व हिमालय की शांति और बंगाल की क्रांति का समन्वय है।उन्होंने कहा कि भूदान और ग्रामदान युगांतर विचार और घटना है जिसमे समाज को एक हद तक बदला है।
सर्वोदय समाज के संयोजक पी वी राजगोपाल ने कहा कि वन अधिकार कानून,भूअर्जन-पुनर्वास कानून 2013 को भूदान-ग्रामदान का विस्तार और निरंतरता में देखा जाना चाहिए। जमीन की समस्या का समाधान के बारे में विनोबा जी ने तीन तरीके बताए थे — करुणा,कानून और कत्ल।विनोबा जी ने कत्ल का रास्ता खारिज कर करुणा का रास्ता अपनाया।अब कई कानूनों के जरिये जनता को भू-अधिकार मिले हैं, इसे भूलना नहीं चाहिए
दिल्ली में आयोजित विमर्श में रमेश दाने, डॉ विश्वजीत,गौरांग महापात्र,रविन्द्र सिंह चौहान,रामधीरज भाई, अशोक भारत,शुभा प्रेम,भगवान सिंह,शंकर नायक,शेख हुसैन,खम्मनलाल शांडिल्य,सुखपाल सिंह,प्रदीप खेलुलकर,संतोष द्विवेदी, अरविंद अंजुम,अविनाश काकड़े,सोपान जोशी,राकेश रफीक,जौहरी मल वर्मा आदि शामिल हुए।
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