विनम्र श्रद्धांजलि
ओड़िशा की प्रमुख सर्वोदय नेत्री, पद्मश्री शांति देवी का बीती 16 जनवरी को दिल के दौरे के कारण स्वर्गवास हो गया। वे बालेश्वर जिले के एक देशभक्त रईस परिवार की बेटी थीं। उनके पिता राजेन्द्र मोहनदास ब्रिटिश सरकार की सेना में थे। स्वतंत्रता संग्राम के समर्थन में उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और गुप्त रूप से आंदोलन को समर्थन और सहयोग करते रहे।
आदिवासी जिलों में स्वास्थ्य के प्रति चेतना की कमी थी। शांति देवी ने उसके लिए महिलाओं को जागृत किया और उन क्षेत्रों को व्याधि मुक्त बनाया। महिला शिक्षा की उनके अंदर तड़प थी। उन्होंने कोरापुट, कालाहांडी और सुंदरगढ़ जिलों में आदिवासी बालिकाओं को शिक्षा देने की कोशिश की। शांति देवी शांत, सरल और मानवतावादी व्यक्तित्व थीं, आदिवासी इलाकों में लोग उनको अपनी मां की तरह आदर देते थे। जमनालाल बजाज पुरस्कार तथा राष्ट्रीय बाल विकास पुरस्कार के साथ-साथ उन्हें अनेक सम्मान और पुरस्कार मिले। बीती 9 दिसंबर को उनको पद्मश्री सम्मान से भी सम्मानित किया गया था।
70 सालों तक सर्वोदय आंदोलन की सेवा करने वाली 88 साल की शांति देवी की कमी की भरपाई असंभव है। सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष चंदन पाल और महामंत्री गौरांग चंद्र महापात्र ने शांति देवी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उन्हें अपनी श्रद्धांजलि व्यक्त की है।
-सर्वोदय जगत डेस्क
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