महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के गांधी अध्ययनपीठ में 30 जनवरी को प्रातः सर्व धर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। प्रार्थना सभा का शुभारंभ गांधी जी के प्रिय भजन “वैष्णव जन तो तेने कहिए पीर पराई जानी रे” से हुआ, जिसे मंच कला के विद्यार्थियों ने प्रस्तुत किया। गुरुद्वारे से पधारे रागी बन्धुओं ने “कोई बोले राम राम कोई खुदाए, कोई सेवै गोसैया, कोई अल्लाहे” भजन गाया।
विश्व ज्योति गुरुकुल से पधारे फादर प्रेम एंथोनी ने कहा कि दुनिया की कोई भी सत्ता कितनी ही बलशाली क्यों न हो, और कुछ भी करने का सामर्थ्य रखती हो, किंतु प्रेम और क्षमा वह सत्ता है, जिसका सामर्थ्य अंत तक कायम रहेगा। इस्लाम के विद्वान जनाब इशरत उस्मानी ने कहा कि जिसने भी इस रूए ज़मीन पर किसी इंसान का कत्ल किया, समझो उसने इंसानियत का कत्ल कर दिया और जिसने किसी इंसान की जान बचाई, समझो उसने इंसानियत की हिफाज़त की है। उन्होंने कहा कि किसी के अंदर यदि किसी से बदला लेने की ताकत होने के बावजूद यदि उसे माफ करने की ताकत हो, तो उसी का नाम महात्मा गांधी है। सनातन विद्वान आचार्य राजीव रंजन ने बताया कि धर्म बहुत ही व्यापक है. अपनी समझ-बूझ के साथ मनुष्य जो करता है, वही धर्म है।
स्वधर्म जब स्वभाव हो जाय, तब वह ज्ञानकांड हो जाता है। मैं की भावना से कर्ता का भाव कर्मकांड है । ज्ञान और कर्म का संतुलित मिश्रण ही धर्म है।
प्रार्थना सभा का समापन मीरा बाई द्वारा रचित राम धुन “पायो जी मैंने राम रतन धन पायो” से हुआ। अतिथियों का स्वागत गांधी अध्ययनपीठ के निदेशक प्रो संजय ने किया। संचालन डॉ निमिषा गुप्ता ने किया।
अध्यक्षीय उद्बोधन करते हुए कुलसचिव डॉ सुनीता पांडेय ने कहा कि गांधी जी की पुण्यतिथि मनाने का यही उद्देश्य है कि सभी लोग अपने आचार विचार में परिवर्तन लाकर सद्कर्म करें। धन्यवाद ज्ञापन समाज कार्य विभागाध्यक्ष प्रो वंदना सिन्हा ने किया। प्रार्थना सभा में डॉ नव रतन, प्रो भावना वर्मा, डॉ शैला परवीन, प्रॉक्टर प्रो निरंजन सहाय, डॉ संगीता घोष, हरीश चंद्र, प्रो शैलेन्द्र वर्मा, प्रो ब्रजेश कुमार सिंह, प्रो एमएम वर्मा, प्रो रंजन, प्रो आर पी द्विवेदी, डॉ अनिल चौधरी, डॉ संदीप गिरी, डॉ सुरेंद्र राम, डॉ मो. आरिफ एवं एमए गांधी विचार के पुरातन विद्यार्थी धीरेंद्र श्रीवास्तव, एमए एसआरडी के विद्यार्थी एवं अध्यापक डॉ रमेश कुशवाहा सहित 80 लोगों ने प्रतिभाग किया।
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