किसान अधिकार अभियान कार्यालय, वर्धा में सत्यशोधक महिला प्रबोधिनी के माध्यम से वरिष्ठ समाजवादी विचारक सुभाष वारे के साथ अनौपचारिक विचार मंथन बैठक का आयोजन किया गया. इस चिंतन बैठक में देश में हो रहे सामाजिक, राजनीतिक परिवर्तन व लोकतंत्र के सामने उपस्थित चुनौतियों पर विस्तार से बातें हुईं. बैठक में सुभाष वारे ने कहा कि विचार परिवर्तन के काम में लगे साथियों को हमेशा बृहद व व्यापक दृष्टि से सोच कर सकारात्मक परिणाम के लिए कार्यरत रहना चाहिए. हमारे आचरण में विचार कम होने की वजह से हमारी संस्थाएं कमजोर हो रही हैं पिछले दिनों में असत्य, हिंसा और गैरबराबरी पर आधारित सामाजिक, राजनीतिक संगठनों के लोगों का समाज में काफी असर बढ़ा है. नकारात्मक विचार का प्रभाव व्यक्ति के चित्त पर बड़ी आसानी से पड़ता है, लेकिन सच की राह पर चलने के लिए प्रयास करने पड़ते हैं.
भारत के किसान आंदोलन को मिली सफलता, किसान संगठनों की अपने मुख्य उद्देश्यों के प्रति अटूट एकता, राजनीतिक दलों से दूरी, अपनी मांगों के प्रति दृढ़ता और सत्याग्रह की भावना के कारण मिली. इस आंदोलन की एक महत्वपूर्ण बात यह रही कि इसमें महिलाओं कि सहभागिता काफी अच्छी रही. इस आंदोलन में महिलाओं ने घरों में रहकर खेती, किसानी संभालने का भी कार्य किया. आने वाले समय में हमें राज्य सरकार व केंद्र सरकार के सामने न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी, मंडी व्यवस्था पर नियंत्रण, पानी व बिजली की व्यवस्था, कृषि फसल बीमा तथा कृषि फसल के लिए कर्ज की सुलभ व्यवस्था आदि मांगों को लेकर काम करना होगा.
वक्ताओं ने कहा कि महाराष्ट्र के घर-घर में संत साहित्य के साथ संविधान का विचार पहुंचाने की कार्ययोजना तैयार करनी है. सावित्री बाई फुले के जन्मदिन को उत्सव की तरह मनाने व शिक्षा की अहमियत को समझाने की भी योजना है. सावित्री बाई फुले के जन्मदिन के अवसर पर निम्न संकल्प लेने की जरूरत है.
1- अपने क्षेत्र के कमजोर वर्ग की किसी एक लड़की की शिक्षा का खर्च उठाएं. 2- अपने क्षेत्र की बच्चियों को स्कूली पाठ्यक्रम के विषय पढाएं. 3- अपने क्षेत्र के किसी एक गरीब परिवार के स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम की राशि वहन करें. 4- शिक्षा व स्वास्थ को लेकर चल रहे जन-आंदोलनों का हिस्सा बनें.
इनमें से कोई एक संकल्प लेने की सभी कोशिश करें, ऐसा आवाहन आज की खुली चर्चा के माध्यम से किया गया. आज की चर्चा के मुख्य अतिथि का स्वागत व परिचय प्रो नूतन मालवीय ने कराया. विषय प्रवेश अविनाश काकड़े ने किया और मनोज तायडे ने उपस्थित सभी साथियों का आभार व्यक्त किया. इस बैठक में शारदा रोकड़े, पराग खंगार, पंकज इंगोले, नितीन झाड़े, मनोज तायडे, जितेन्द्र मून, पंकज सत्यकार, अनंत ठाकरे, श्रीकांत त्रिपाठी, दिनेश काकड़े और चंदू ढंगे की उपस्थिति रही.
– शारदा रोकड़े
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