News & Activities

आंदोलन के लिए तैयार हो रही ज़मीन, देश को दिशा देगा बिहार

पूरे बिहार को कदम-कदम नापकर पटना पहुंची हल्ला बोल यात्रा

बेरोजगारी के सवाल को लेकर बिहार के सभी जिलों से होकर गुजरने वाली हल्ला बोल यात्रा 16 अगस्त को चम्पारण से शुरू करके 25 सितम्बर को पटना पहुंची. यात्रा को प्रदेश में अपार जनसमर्थन मिला, युवाओं और बुद्धिजीवियों ने यात्रा में विशेष भागीदारी की. बिहार के जन-जन तक ‘हल्ला बोल यात्रा’ का संदेश पहुँचा. पढ़ें, बेरोज़गारी दूर करने के लिए सरकार से भ-रो-सा यानी ‘भारत रोज़गार संहिता’ की मांग करने वाली हल्ला बोल यात्रा की यह रपट.

पूरे बिहार में भीषण बेरोज़गारी के खिलाफ व्यापक जनमत तैयार करने वाली ‘हल्ला बोल यात्रा’ का 25 सितम्बर को पटना में समापन हुआ। इस अवसर पर सिन्हा लाइब्रेरी रोड स्थित अदिति कम्युनिटी सेंटर में युवा सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन में यात्रा के अनुभव और रिपोर्ट साझा करने के अलावा आंदोलन की आगामी रूपरेखा भी तय की गयी। पटना के युवा सम्मेलन में बतौर अतिथि जानेमाने समजवासी प्रो आनंद कुमार, सेवानिवृत आईपीएस और सीआईसी रहे यशोवर्द्धन आज़ाद, अनेक ट्रेड यूनियन नेताओं, कोचिंग शिक्षकों और जेपी सेनानियों ने शिरकत की। इसके पहले 23 सितम्बर को ‘युवा हल्ला बोल’ संस्थापक अनुपम ने गाँधी संग्रहालय में मीडिया को भी संबोधित किया। अनुपम के साथ प्रेस वार्ता में ‘युवा हल्ला बोल’ के कार्यकारी अध्यक्ष गोविंद मिश्रा, बिहार प्रभारी प्रशांत कमल और महासचिव रजत यादव आदि उपस्थित थे।इस अवसर पर ‘युवा हल्ला बोल’ के राष्ट्रीय महासचिव और यात्रा प्रभारी प्रशांत कमल ने कहा कि बेरोज़गारी के खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन की ज़मीन तैयार कर रही इस यात्रा को प्रदेश में अपार जनसमर्थन मिला है। विशेष तौर पर युवाओं और बुद्धिजीवी वर्ग की कार्यक्रमों में खूब भागीदारी रही। हर जिले में व्यापक स्तर पर जनसंवाद करके जाति धर्म से ऊपर उठकर महँगाई और बेरोज़गारी पर बात की गयी। बेरोज़गारी के समाधान के तौर पर भारत रोज़गार संहिता यानी भ-रो-सा का प्रस्ताव दिया गया। हर जिले में युवाओं ने सरकार से यही भ-रो-सा मांगा। जनसभा, रोड शो, बाइक रैली और पदयात्रा के माध्यम से प्रदेश के लाखों लोगों तक यात्रा का संदेश पहुंचा।


16 अगस्त को पश्चिम चम्पारण के भितिहरवा गाँधी आश्रम से शुरू करके हल्ला बोल यात्रा का संदेश बिहार के सभी जिलों तक पहुंचा। पहले ही सप्ताह में यात्रा चम्पारण, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर होते हुए दरभंगा तक पहुँची। गाँधी जी की कर्मभूमि से शुरू करके दशकों से ठप पड़ी रीगा और सकरी चीनी मिलों तक भी यात्रा पहुँची। देश के कुल चीनी उत्पादन का कभी 40% हिस्सा रखने वाले बिहार की आज 4% हिस्सेदारी भी नहीं रही। वक्ताओं ने इस सवाल को मजबूती से उठाते हुए इसे सरकारों की घोर विफलता का परिणाम बताया। पिछले कुछ दशकों में सुनियोजित ढंग से बिहार में उद्योग नष्ट किये गये हैं। बिहार के लोगों को आज दो वक्त की रोटी के लिए भी हजारों किलोमीटर दूर पलायन करना पड़ता है। इस समस्या को लेकर 25 सितंबर के युवा सम्मेलन में ‘उद्योग पुनर्जागरण आयोग’ का गठन किया गया। आयोग की सिफारिशों को लागू कराने के लिए आंदोलन से लेकर अदालत तक का रास्ता अपनाया जाएगा।

यात्रा के दौरान कोसी और सीमांचल क्षेत्र में यात्रा का जोरदार स्वागत हुआ और खूब जन समर्थन मिला। यात्रा संयोजक अनुपम स्वयं सुपौल जिले के रहने वाले हैं और कोसी क्षेत्र की बदहाली और बेरोज़गारी को लेकर हमेशा मुखर रहे हैं। सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, अररिया, किशनगंज और पूर्णिया होते हुए यात्रा भागलपुर पहुँची। इसके बाद मुंगेर, खगड़िया और बेगूसराय में भी ‘हल्ला बोल यात्रा’ का स्वागत हुआ और भारी संख्या में लोग शामिल हुए। जमुई, बिहारशरीफ, नवादा, गया, औरंगाबाद, रोहतास और कैमूर जैसे दक्षिण बिहार के जिलों में युवाओं की खूब भागीदारी दिखी। सरकारी नौकरियों में देरी, भ्रष्टाचार और अनियमितता से त्रस्त नौजवान बदलाव के लिए तैयार दिखे। ‘हल्ला बोल यात्रा’ के दौरान कई जगहों पर बेरोज़गार युवाओं ने यात्रियों से मिलकर अपनी पीड़ा और मनोदशा के बारे में खुलकर बताया। आरा और बक्सर होते हुए सिवान और समस्तीपुर में भी लोगों ने कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष करने का भरोसा जताया।

बढ़ती आत्महत्याओं को लेकर यह आम समझदारी बनी की हताश युवाओं के लिए हर जिले में एक कैरियर कॉउंसलिंग सेंटर बनना चाहिए। इस केंद्र की सीधी जवाबदेही जिलाधिकारी की हो और किसी भी युवा की आत्महत्या पर जिलाधिकारी स्वयं मीडिया के समक्ष उसकी रिपोर्ट रखे। 25 सितम्बर को पटना में हुए युवा सम्मेलन में अलग-अलग सरकारी भर्तियों के लिए एक समन्वय समिति बनाया गयी। समयबद्ध और निष्पक्ष चयन प्रणाली के लिए समूहों के बीच समन्वय बनाना इस समिति का काम होगा। वक्ताओं ने बताया कि देश को इस हताशा और निराशा से बाहर निकालकर उम्मीद और समाधान की तरफ ले जाना इस यात्रा का मकसद है। यह सिर्फ सत्ता परिवर्तन से संभव नहीं। यह तभी संभव होगा, जब देश के आम युवा सकारात्मक बदलाव के लिए आवाज़ उठाएं। यात्रा संयोजक अनुपम ने यह विश्वास जताया कि ‘भारत रोज़गार संहिता’ यानी भ-रो-सा ही वह समाधान है, जिसके पीछे व्यापक आंदोलन खड़ा किया जा सकता है।

– प्रशांत

Sarvodaya Jagat

Recent Posts

सर्वोदय जगत (16-31 अक्टूबर 2024)

Click here to Download Digital Copy of Sarvodaya Jagat

1 month ago

क्या इस साजिश में महादेव विद्रोही भी शामिल हैं?

इस सवाल का जवाब तलाशने के पहले राजघाट परिसर, वाराणसी के जमीन कब्जे के संदर्भ…

1 month ago

बनारस में अब सर्व सेवा संघ के मुख्य भवनों को ध्वस्त करने का खतरा

पिछले कुछ महीनों में बहुत तेजी से घटे घटनाक्रम के दौरान जहां सर्व सेवा संघ…

1 year ago

विकास के लिए शराबबंदी जरूरी शर्त

जनमन आजादी के आंदोलन के दौरान प्रमुख मुद्दों में से एक मुद्दा शराबबंदी भी था।…

2 years ago

डॉक्टर अंबेडकर सामाजिक नवजागरण के अग्रदूत थे

साहिबगंज में मनायी गयी 132 वीं जयंती जिला लोक समिति एवं जिला सर्वोदय मंडल कार्यालय…

2 years ago

सर्व सेवा संघ मुख्यालय में मनाई गई ज्योति बा फुले जयंती

कस्तूरबा को भी किया गया नमन सर्वोदय समाज के संयोजक प्रो सोमनाथ रोडे ने कहा…

2 years ago

This website uses cookies.