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आप पाठ्यक्रम बदल सकते हैं सरकार! इतिहास नहीं!!

एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम में इतिहास की किताबों से मुगल साम्राज्य से संबंधित पाठों को हटा दिया गया है। महात्मा गांधी और गोडसे से जुड़ी कई बातों को हटाया गया है, जिसमें हत्या के बाद आरएसएस पर बैन वाली बात भी शामिल है। इसके अलावा हिंदी की किताब से महाकवि निराला की कविता भी हटायी गयी है।

एनसीईआरटी ने 10 वीं, 11 वीं और 12 वीं के लिए इतिहास की पुस्तकों के पाठ्यक्रम में बदलाव किया है। इतिहास, नागरिक शास्त्र और हिंदी के सिलेबस में बड़े बदलाव किये गये हैं। इससे चारों तरफ बड़ा हंगामा मचा हुआ है। विपक्षी पार्टियां और उनके नेता सरकार द्वारा पाठ्यक्रम में हिंदुत्ववादी एजेंडा लागू करने की बात कर रहे हैं। दरअसल इस बार इतिहास की किताबों से मुगल साम्राज्य से संबंधित पाठों को हटा दिया गया है। महात्मा गांधी और गोडसे से जुड़ी कई बातों को हटाया गया है, जिसमें हत्या के बाद आरएसएस पर बैन वाली बात भी शामिल है। इसके अलावा हिंदी की किताब से महाकवि निराला की कविता भी हटायी गयी है।

2014 के बाद इसे सिलेबस में बड़ा बदलाव माना जा रहा है, जिसमें हिंदुत्व का एजेंडा भारी है। एनसीआरटी की किताबों में होने वाले बदलावों को लेकर कई बार हंगामा मच चुका है। 1999 में जब पहली बार एनडीए की सरकार सत्ता में आयी थी, तो इतिहास की किताबों से छेड़छाड़ शुरू हुई थी। 2014 में जब भाजपा पूर्ण बहुमत की सरकार में आई तो इतिहास से छेड़छाड़ में तेजी आई। साल 2014 से लेकर अब तक एनसीईआरटी की किताबों की तीन बार समीक्षा हो चुकी है। पहली समीक्षा 2017 में हुई थी, जिसमें एनसीईआरटी ने 182 पाठ्यपुस्तकों में सुधार और डेटा अपडेट सहित 1334 परिवर्तन किए. दूसरी समीक्षा 2019 में की गई। तब भी छात्रों पर बोझ कम करने की बात कही गई थी। अब ये तीसरी समीक्षा है। एनसीईआरटी पाठ्यक्रम के साथ की जा रही इस छेड़छाड़ के लिए एनसीईआरटी यह बहाना बना रहा है कि कोविड महामारी से छात्रों पर अतिरिक्त दबाव पड़ा है।


हिंदुत्व की राजनीति शुरू से हिंदू और मुस्लिम राजाओं के बीच टकराव को ही बढ़ा चढ़ाकर इतिहास बताती आई है। गौरवशाली हिन्दू राजा बनाम दुष्ट मुस्लिम राजा के किस्से व्हाट्सएप समूहों में छाए रहते हैं। इसी कड़ी में नए पाठ्यक्रम के तहत इतिहास की किताब थीम्स ऑफ इंडियन हिस्ट्री पार्ट-2 से द मुगल कोर्ट्स (16वीं और 17वीं सदी) को हटा दिया गया है। इसी तरह सेंट्रल इस्लामिक लैंड्स, संस्कृतियों का टकराव और औद्योगिक क्रांति से संबंधित पाठों को भी कक्षा 11 वीं की पाठ्यपुस्तक थीम्स इन वर्ल्ड हिस्ट्री से हटा दिया गया है। कक्षा 12 वीं के इतिहास में अब छात्रों को अकबरनामा और बादशाहनामा, मुगल शासकों और उनके साम्राज्य के बारे में पढ़ने को नहीं मिलेगा।

गांधी गोडसे से जुड़े तथ्य हटाए गए
गांधी के बारे में ये हिंदूवादी काफी लंबे समय से दुष्प्रचार कर रहे हैं। संघ का धार्मिक कट्टरवाद शुरू से सांप्रदायिक सद्भाव के पक्षधर गांधी को निशाना बनाता आया है। ऐसे में गांधी से जुड़े जिन वाक्यों को सिलेबस से हटाया गया है, उनकी एक बानगी देखें- ‘हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए उनके (गांधीजी) द्वारा लगातार किए जा रहे दृढ़ प्रयासों से हिन्दू अतिवादी इतने भड़क गए कि उन्होंने गांधीजी की हत्या करने के अनेक प्रयास किए… गांधीजी की मृत्यु का देश की साम्प्रदायिक स्थिति पर मानो जादुई असर पड़ा… भारत सरकार ने उन संगठनों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की, जो साम्प्रदायिक नफरत फैला रहे थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे संगठनों को कुछ समय के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया…।’ बारहवीं की पॉलिटिकल साइंस की किताब से गांधी के हत्यारे गोडसे के बारे में उस हिस्से को भी हटा दिया गया है, जिसमें उसे ब्राह्मण और एक कट्टरपंथी हिंदी अखबार का संपादक बताया गया है।

गुजरात दंगों पर पर्दा डालने की कोशिश
12 वीं की राजनीति विज्ञान की किताब से गुजरात दंगे से जुड़े कई वाक्यों को हटाया गया, जिसमें इस हिंसा पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट और राजधर्म सम्बन्धी तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल बिहार वाजपेयी की टिप्‍पणी शामिल है। इसमें से एक पैरा जिसे हटाया गया, इस प्रकार है- ‘गुजरात दंगे हमें सचेत करते हैं कि राजनीतिक उद्देश्यों के लिए धार्मिक भावनाओं का इस्तेमाल करना कितना घातक हो सकता है, लोकतांत्रिक राजनीति के लिए यह बड़ा खतरा है।’

सामाजिक आंदोलन, जाति व्यवस्था वाले चैप्टर पर भी कैंची
संघ की विचारधारा दलितों, आदिवासियों, महिलाओं आदि शोषित समूहों के अधिकारों और इससे जुड़े आंदोलनों के प्रति भी तिरस्कार का भाव रखती है। कक्षा 6 से 12 तक की किताबों में जिन सामाजिक आंदोलनों को हटाया गया है, उनमें उत्तराखंड में 1970 का चिपको आंदोलन, सत्तर के दशक के दौरान महाराष्ट्र का दलित पैंथर्स, अस्सी के दशक का कृषि आंदोलन, आंध्र प्रदेश का शराब विरोधी आंदोलन, नर्मदा बचाओ आंदोलन आदि भी शामिल हैं। जाति व्यवस्था से जुड़े वाक्यों को भी हटाया गया है। कक्षा 6 की इतिहास की किताब ‘अवर पास्ट-’ के वर्ण व्यवस्था सेक्शन को आधा कर दिया गया है।

लोकतंत्र पर कई चैप्टर हटाये गये
‘लोकतंत्र व विविधता’ शीर्षक अध्याय से आपातकाल पर टिप्पणियों को भी हटा दिया गया है। कक्षा 6 की राजनीति विज्ञान की पुस्तक में ‘की एलिमेंट्स ऑफ ए डेमोक्रेटिक गवर्नमेंट’ नाम के चैप्टर को हटा दिया गया है. इसमें लोकतंत्र के बारे में पहला विस्तृत परिचय दिया गया था और लोकतंत्र में लोगों की भागीदारी, संघर्ष, समानता और न्याय सहित लोकतांत्रिक सरकार के कामकाज को प्रभावित करने वाले कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में बात की गयी थी। 8 वीं के इतिहास से संविधान निर्माण और भाषा के आधार पर बने राज्यों के बारे में जिक्र करने वाले चैप्टर को भी हटाया गया।

इसी तरह 10 वीं की राजनीति विज्ञान की किताब से ‘डेमोक्रेसी एंड डाइवर्सिटी’ और ‘चैलेंजेज टू डेमोक्रेसी’ नाम के चैप्टर भी हटा दिए गए हैं. इसमें पहले चैप्टर में छात्रों को दुनिया भर में जाति और जाति के आधार पर सामाजिक विभाजन और असमानताओं के बारे में बताया गया था.

निराला की कविता हटायी गयी
एन्सीईआरटी द्वारा इंटरमीडिएट में चलने वाली ‘आरोह भाग दो’ में कई परिवर्तन किए गये हैं. इसमें फिराक गोरखपुरी की गजल और ‘अंतरा भाग दो’ से सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की रचना‘गीत गाने दो मुझे’ अब हटा दिए गये हैं. विष्णु खरे की ‘एक काम और सत्य’ को भी एनसीईआरटी ने ‘अंतरा भाग दो’ से हटा दिया है।

सिलेबस में सरकार का एजेंडा
2017 के संशोधन में स्वच्छ भारत अभियान और विमुद्रीकरण को शामिल किया गया था। कक्षा 7 के इतिहास की पाठ्यपुस्तक में राजपूत राजा महाराणा प्रताप पर एक अध्याय जोड़ा गया था। इसके अतिरिक्त पाठ्यपुस्तकों में भारतीय ज्ञान प्रणालियों पर अधिक जानकारी जोड़ी गई थी। कक्षा 6 से 10 तक की पुस्तकों में प्राचीन भारतीय दर्शन, योग और आयुर्वेद की जानकारी भी जोड़ी गई थी।

-विकास कुमार

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