Writers

ऐसे मना था बापू का पचहत्तरवां जन्मदिन!

उस दिन पुणे के आगा खां पैलेस में नजरबन्द बापू, मृत्यु से युद्धरत थे। उनकी हालत इतनी नाजुक थी कि ब्रिटिश हुकूमत ने उनके निधन की स्थिति में सरकारी शोक-सन्देश का मजमून भी चुपके-चुपके तैयार कर लिया था।

अपना जन्मदिन मनाने में बापू की अभिरुचि नहीं थी, पर भारत सहित दुनिया के कोने-कोने में उनके समर्थक, सहयोगी और जानने-मानने वाले प्रतिवर्ष 2 अक्टूबर को उनका जन्मदिन मनाते थे| उस दिन जहाँ भी बापू रहते, उनका निवास तीर्थ बन जाता था| सैकड़ों की संख्या में लोग उनको प्रणाम करने आते| देश-विदेश से बधाई सन्देश के तार आते थे|

2 अक्टूबर, 1944 का दिन करोड़ों भारतवासियों के लिए ख़ास था, क्योंकि आज बापू की हीरक जयन्ती थी| जन-जन की मंशा थी कि उनकी हीरक जयन्ती अविस्मरणीय कर जाय, किन्तु भरोसा नहीं था कि इस पावन अवसर पर उनके साक्षात दर्शन हो सकेंगे, क्योंकि उस दिन पुणे के आगा खां पैलेस में नजरबन्द बापू मृत्यु से युद्धरत थे| उनकी हालत इतनी नाजुक थी कि ब्रिटिश हुकूमत ने उनके निधन की स्थिति में सरकारी शोक-सन्देश का मजमून भी चुपके-चुपके तैयार कर लिया था, किन्तु बेड़ियों में बंधी भारत माँ अपनी मुक्ति से पहले इस सपूत को कैसे विदा होने देती भला| सहसा सरकार का आदेश आया कि 6 मई, 1944 को सुबह आठ बजे गांधीजी को बिना शर्त रिहा किया जाएगा|

बापू की रिहाई की खबर सुनकर हिंदुस्तान खिल उठा| अब तय था कि उनका 75 वां जन्मोत्सव उनकी उपस्थिति में मनाया जाएगा| कुछ लोग तो इसकी तैयारी में पहले से ही लगे हुए थे, किन्तु उन्हें कहाँ पता था कि बापू की हीरक जयन्ती का श्रीगणेश आगा खां महल से ही हो जाएगा, वह भी अंग्रेजी हुकूमत के एक अधिकारी द्वारा| खान बहादुर कटेली आगा खां कैम्प जेल के अधीक्षक थे| रिहाई की पूर्व रात्रि में वह बापू के पास आकर बोले कि कल सुबह जब आप बहार निकलेंगे, तब मैं अपनी वर्दी में ड्यूटी पर रहूँगा, इसलिए आज ही आपके आशीर्वाद लेने आ गया हूँ| दूसरे दिन प्रातः प्रार्थना के पश्चात वे पुनः पधारे| गांधीजी के 75 वें जन्मदिन को ध्यान में रखते हुए उन्होंने 75 रु की थैली उनको पेश की और बोले, ‘महात्माजी, आपको बाहर बहुत सी थैलियाँ मिलेंगी, परन्तु कटेली की थैली को पहला स्थान लेने दीजिए|’


कटेली साहब की पोटली ने पांच माह पूर्व ही बापू की हीरक जयन्ती का उद्घाटन कर दिया| 2 अक्टूबर, 1944 को तो बापू मानो हर खासोआम की रूह में समा गए| जिसको बापू का जो रूप भाया, उसने उसी रूप का नमन कर उनका जन्मदिन मनाया| जो उनके छुआछूत निवारण कार्यक्रम के कायल थे, वे हरिजन बस्तियों में गए, बच्चों में मिठाइयां बांटीं और 2 अक्टूबर को हरिजन दिवस के रूप में मनाया| एक कार्यक्रम में खादी के लिए समर्पित लोग प्रातः आठ बजे से रात आठ बजे तक अखंड चरखा चालन ही करते रहे| भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की बम्बई शाखा ने फ़र्गुसन रोड स्थित पिम्पल मैदान में जनसभा का आयोजन कर गांधी जी को बधाई दी| कार्यक्रम की अध्यक्षता कामरेड एसएस मिरजकर ने की और कामरेड बीटी रणदिवे मुख्य वक्ता के रूप में बोले|

बापू की हीरक जयन्ती का मुख्य आकर्षण केंद्र था सेवा ग्राम, वर्धा| एक अक्टूबर की सुबह वे मुंबई से वर्धा पहुंचे| देश भर से अतिथि आ रहे थे| सबको बजाजवाड़ी में ठहराने की व्यवस्था थी| गांधीजी के चिरायु होने की शुभकामना प्रेषित करते हुए चीनी विद्वान प्रो तान यूँ शान ने कहा कि भारतवासी गांधीजी को महात्मा मानते हैं, पश्चिम के लोग उनको भारतीय संत कहते हैं किन्तु चीनियों के लिए तो वह जीवंत बुद्ध हैं| इंग्लॅण्ड से ‘डेली वर्कर’ के संपादक विलियम रस्ट और ‘रेनोल्डा न्यूज़’ के डब्ल्यू आर रिचर्डसन, सांसद रेगीनाल्ड सोरेंग्स ने अपने-अपने लहजे में महात्माजी को बधाई दी| बधाई सन्देश भेजने का जॉर्ज बर्नार्ड शॉ का अंदाज अनोखा था, उन्होंने लिखा कि महात्मा गाँधी को मैं हृदय से पसंद करता हूँ, किन्तु खुद भी महात्मा होने के कारण साथी महात्मा को सन्देश नहीं भेज सकता| यह सन्देश सुनकर बापू हंस पड़े|

बापू की उपस्थिति में सेवाग्राम आश्रम में चतुर्दिक उत्साह और आनंद था, किन्तु बाहर संशय और अनिश्चितता थी| पूरे वर्धा शहर में निषेधाज्ञा लागू थी| बिना सरकारी आज्ञा के जनसभा पर पाबंदी थी, किन्तु बापू ने आश्रमवासियों को आश्वस्त किया कि आश्रम की सभा जनसभा नहीं है| यह तो कस्तूरबा स्मारक ट्रस्ट के ट्रस्टियों और कोष एकत्र करने वाले साथियों की सभा है, जिसके लिए सरकारी आज्ञा की आवश्यकता नहीं है|

सेठ जमनालाल बजाज की पुत्री मदालसा आज बहुत प्रसन्न थी| बापू की 75 वीं जयन्ती धूमधाम से मनाने का स्वप्न वह महीनों से देख रही थी| आज वह दिन उसके सामने था और वह उसे सजा संवारकर बापू को समर्पित करना चाहती थी| समारोहस्थल पर उसने मनमोहक रंगोली बनाई| पांडाल में बा का चित्र स्थापित कर उसके समक्ष माटी के दिए जलाए| और पुरस्कार में उसे बापू की प्यारी-सी डांट मिली- गाँवों में हजारों को खाने के लिए तेल नहीं और यहाँ तुम सजावट पर तेल बरबाद कर रही हो| दीपों की सजावट रोक दी गयी|

सेवाग्राम की गांधी जयन्ती माता कस्तूरबा के नाम समर्पित रही| बा की कुटी के समक्ष तिरंगों से सज्जित पांडाल अपनी भव्यता बिखेर रहा था| सुबह का कार्यक्रम करीब 45 मिनट का था| प्रभातफेरी निकाली गयी| प्रो भानुशाली द्वारा झंडोत्तोलन किया गया| सरोजिनी नायडू ने बापू के भाल पर कुमकुम का टीका किया, गले में खादी की सूतमाला पहनाई और उनकी बलैया ली| कारागार में बा जिस तुलसीजी के समक्ष पूजा करती थीं, बापू उसकी एक टहनी अपने साथ लेते आए थे| बा कुटी के समक्ष उसे रोपकर बापू ने उसे जल से सींचा तो बा का सूक्ष्म आगमन आश्रम में हो गया. जहाँ बापू, वहीं बा| जन्मदिन के उपलक्ष्य में उस दिन 75 मिनट तक अखंड चरखा चालन हुआ| इसमें बापू भी शरीक हुए|

बाईस फरवरी 1944 को आगा खां महल में जब बा का निधन हुआ, तब गांधीजी भी वहीं नजरबन्द थे| लोगों को उम्मीद नहीं थी कि बापू सही सलामत जेल से लौटेंगे| शंका-आशंका के बीच कुछ सुधी जनों के मन में एक संकल्प अंकुरित हुआ कि बा की स्मृति में एक राष्ट्रीय स्मारक स्थापित हो, जिसका अपना कोष हो| संगृहीत कोष बापू को उनके 75वें जन्मदिन पर भेंट किया जाएगा तो वह राशि कमसे कम 75 लाख की होनी चाहिए| प्रारंभ में इस विशाल राशि का संग्रह ट्रस्टियों के लिए चिंता का विषय था, किन्तु दो अक्टूबर आते-आते एक करोड़ से ऊपर रूपये एकत्र हो गए| अपराह्न के कार्यक्रम में कस्तूरबा गांधी स्मारक ट्रस्ट के महामंत्री ठक्कर बापा ने पचासी लाख की मंजूषा गांधीजी के कर कमलों में समर्पित करते हुए, गांधी दर्शन का सारांश प्रस्तुत किया और उपस्थित समूह से अपील की कि वे मनसा वाचा कर्मणा अहिंसा का पालन करें| थैली स्वीकार करते हुए बापू ने कहा कि यह राशि ग्रामीण भारत की महिलाओं और बच्चों के उत्थान पर खर्च की जाएगी| समारोह में राजगोपालाचारी, भुला भाई देसाई, डॉ केएन काटजू, सरोजिनी नायडू और देवदास गांधी सहित करीब दो सौ व्यक्ति उपस्थित थे|

बापू के जन्मदिन के समय कांग्रेस के नामी-गिरामी नेता कारागार में बंद थे, तो नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, विदेश में अपनी आजाद हिन्द फ़ौज का नेतृत्व करते हुए अंग्रेजों के खिलाफ जंग में थे| उनका रास्ता गांधीजी के रास्ते से अलग था, किन्तु बापू के प्रति उनकी श्रद्धा आज भी वही थी, जो 1921 में थी| अपने रडियो प्रसारण से वह बापू के नाम सन्देश भेजते रहते थे| 2 अक्टूबर, 1943 को बैंकाक से प्रसारित सन्देश में उन्होंने कहा, ‘आज विश्व के समस्त भारतवासी अपने महानतम नेता, महात्मा गाँधी का 75 वां जन्मदिन मना रहे हैं| भारत और भारतीय स्वतंत्रता के प्रति की गयी उनकी अद्वितीय और अतुलनीय सेवाओं के कारण उनका नाम हमारे राष्ट्रीय इतिहास में सदा के लिए स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा|

1920 से ही हिन्दुस्तानियों ने उनसे दो चीजें सीखी हैं, एक आत्म सम्मान और आत्मविश्वास और दूसरा देशव्यापी संगठन| बा के निधन की खबर सुनकर नेताजी ने उनको जन-जन की जननी कहते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की और 6 जुलाई, 1944 को आजाद हिन्द रेडियो से बोलते हुए तो उन्होंने गांधी जी के समक्ष अपना हृदय ही उड़ेल दिया, ‘हे राष्ट्रपिता! भारत के पवित्र स्वतंत्रता संग्राम में हम आपके आशीर्वाद और शुभकामनाओं की याचना करते हैं|’

-डॉ सुखचन्द्र झा

Sarvodaya Jagat

Share
Published by
Sarvodaya Jagat

Recent Posts

सर्वोदय जगत (16-31 अक्टूबर 2024)

Click here to Download Digital Copy of Sarvodaya Jagat

1 month ago

क्या इस साजिश में महादेव विद्रोही भी शामिल हैं?

इस सवाल का जवाब तलाशने के पहले राजघाट परिसर, वाराणसी के जमीन कब्जे के संदर्भ…

1 month ago

बनारस में अब सर्व सेवा संघ के मुख्य भवनों को ध्वस्त करने का खतरा

पिछले कुछ महीनों में बहुत तेजी से घटे घटनाक्रम के दौरान जहां सर्व सेवा संघ…

1 year ago

विकास के लिए शराबबंदी जरूरी शर्त

जनमन आजादी के आंदोलन के दौरान प्रमुख मुद्दों में से एक मुद्दा शराबबंदी भी था।…

2 years ago

डॉक्टर अंबेडकर सामाजिक नवजागरण के अग्रदूत थे

साहिबगंज में मनायी गयी 132 वीं जयंती जिला लोक समिति एवं जिला सर्वोदय मंडल कार्यालय…

2 years ago

सर्व सेवा संघ मुख्यालय में मनाई गई ज्योति बा फुले जयंती

कस्तूरबा को भी किया गया नमन सर्वोदय समाज के संयोजक प्रो सोमनाथ रोडे ने कहा…

2 years ago

This website uses cookies.