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भारत की साझी संस्कृति साझी विरासत के संरक्षण की जिम्मेदारी हम सबकी – आशा बोथरा

टोंक 28 सितंबर 2021

आजादी के अमृत महोत्सव एवं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 150 वी जयंती के अवसर पर मौलाना आजाद अरबी फारसी शोध संस्थान टोंक में सोमवार 27 सितंबर को “मैंनस्क्रिप्ट कंजर्वेशन” की पांच दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन राष्ट्रीय गांधी स्मारक निधि राजघाट नई दिल्ली एवं सेवाग्राम वर्धा की ट्रस्टी तथा सर्व सेवा संघ की बहन आशा बोथरा ने किया इस अवसर पर आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि बहन आशा बोथरा ने कहा कि भारत की साझी संस्कृति साझी विरासत को सहेज कर रखने का दायित्व हम सबका है इसी विरासत से हमें प्रेरणा मिलती है और विरासत को जान समझकर स्वयं को गौरवान्वित महसूस करते हैं, उन्होंने शोध संस्थान में बहुमूल्य हस्तलिखित पांडुलिपियों पर किए जा रहे हैं काम की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह काम राष्ट्र सेवा का काम है जिसको देखकर उन्हें प्रसन्नता हुई है उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन से जुड़े संस्मरण सुनाते हुए गांधी जीवन पर प्रकाश डाला, मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित राज्य स्तरीय गांधी 150 समिति की सदस्य श्रीमती आशा बोथरा देश में बढ़ती अपराध को रोकने के लिए एकमात्र रास्ता गांधी विचार बताएं उन्होंने कहा कि भारत को विरासत में इतिहास के साथ-साथ सहिष्णुता, संवेदनशीलता भाईचारा मिला है हमारे पुरखों ने जो कुछ भी दिया है  उसे संभाल कर रखना हमारा जिम्मा है, गांधी के आध्यात्मिक शिष्य संत विनोबा भावे ने जय जगत कहा, इस नारे के साथ हम विश्व कल्याण की बात करते हैं आज पूरी दुनिया गांधी की अहिंसा की ओर देख रही है, विशिष्ट अतिथि हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन, नीदरलैंड्स के उपाध्यक्ष मुजीब अता आजाद ने कहा कि प्रशिक्षण का जीवन में अत्यंत महत्व है बिना प्रशिक्षण के किसी भी कार्य में सफलता को हासिल करना संभव नहीं  उन्होंने प्रशिक्षण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए वर्तमान राजनीति पर कटाक्ष कर कहा कि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में जहां प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है वही देश को चलाने के लिए वर्तमान समय में की जा रही राजनीति मैं प्रशिक्षण कहीं नजर नहीं आता, बिना प्रशिक्षण के राजनेता दलगत राजनीति के माध्यम से सत्तासीन हो रहे हैं राजनीतिक मूल्यों, जीवन मूल्यों और मूल्यों पर आधारित राजनीति कहीं देखने को नहीं मिल रही नैतिक पतन के इस दौर में सियासत का स्तर निरंतर गिरता जा रहा है, मुजीब आजाद ने प्रशिक्षणार्थियों को नसीहत देते हुए कहा कि “खुदा अगर दिले फितरत शनाज, दे तुझको, खुदी ना बेच, गरीबी में नाम पैदा कर”

आजाद ने इंसानियत को जिंदा रखने के लिए संवेदनशीलता की अहमियत को शायराना अंदाज में इस तरह से कहा कि “या इलाही उनका गम भी मुझको अता कर दे, कि इन मासूम आंखों में नमी देखी नहीं जाती”

स्वागत भाषण मेंआजादी के अमृत महोत्सव पर चर्चा करते हुए निदेशक ने कहा कि जिस एकता की ताकत के साथ आजादी हासिल की है उसी ताकत को एकजुट रखकर भारत को विकसित राष्ट्र बनाया जा सकता है जिस देश के पास गांधी है उस देश को वैचारिक तौर पर कहीं और देखने की आवश्यकता नहीं है गांधी विचार अपने आप में मार्गदर्शन है, समारोह में ए पी आर आई के संस्थापक निदेशक साहिबजादा शौकत अली खान ने हस्तलिखित ग्रंथों के महत्व पर चर्चा करते हुए कहा कि जिस समय हमने हस्तलिखित ग्रंथों के संरक्षण के काम को शुरू किया था तो चुनौती ग्रंथों के संग्रह की थी आज लगभग एक लाख बहुमूल्य पुस्तकों ग्रंथों पांडुलिपियों का खजाना मौलाना आजाद अरबी फारसी शोध संस्थान के पास है इनके संरक्षण और संवर्धन के लिए स्टाफ लग्न इमानदारी के साथ निरंतर काम कर रहा है समय की आवश्यकता है कि सरकारें ऐतिहासिक ग्रंथों के संरक्षण के महत्व को समझें और इस क्षेत्र को प्रोत्साहन दें मौलाना जमील ने दुनिया के सबसे बड़े हस्तलिखित ग्रंथ कुरान शरीफ के महत्व पर प्रकाश डाला शोध संस्थान के निदेशक साहिबजादा डॉ. सोलत अली खान ने शोध संस्थान द्वारा किए जा रहे कार्यों की प्रगति रिपोर्ट पेश की, मंच का संचालन शायर आबिद आकील ने किया, प्रीतम सिंह खत्री ने धन्यवाद ज्ञापित किया, समारोह की अध्यक्षता गांधीवादी विचारक श्रीमती कुसुम जैन जयपुर ने की, कार्यक्रम का शुभारंभ मुफ्ती इस्लाहुद्दीन खिजर  ने तिलावते कुरान पाक से शुरू किया l

समारोह का आयोजन जिला सर्वोदय मंडल टोंक, राजस्थान आचार्यकुल, ख्वाजा गरीब नवाज इंस्टीट्यूट ऑफ इस्लामिक स्टडीज टोंक, मौलाना आजाद अरबी फारसी शोध संस्थान टोंक के संयुक्त तत्वावधान में किया गया पांच दिवसीय कार्यशाला 27 सितंबर से 1 अक्टूबर 2021 तक आयोजित की जा रही है,

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