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भूदान डायरी; विनोबा विचार प्रवाह : बाबा को करुणा घुमा रही है

बाबा कहते हैं कि हमें हमारा इल्म नहीं घुमा रहा है, न त्याग घुमा रहा है, न हमारा फकीरी बाना , बल्कि हमें घुमाने वाली चीज केवल रहम, हमदर्दी और करुणा ही है।

हिंदुस्तान में बहुत गुरबत है। आज गरीबों और अमीरों में, ग्रामीणों और शहर वालों में, पढ़े हुए और अनपढ़ लोगों में इतना फर्क है कि वह हमसे देखा नहीं जाता। गरीबों को सही ढंग से खाना-पीना, कपड़ा-लत्ता, रहने को मकान, दवा-दारू और तालीम का इंतजाम भी नहीं है। गरीबों को जीवन की जरूरी चीजें तो मिलें। बाबा अपने संस्मरण बताते हुए लोरेन का जिक्र करते हुए कहते हैं कि बहुत सुंदर जगह है, लेकिन गरीबी बहुत है। बाबा ज्यादा दिन वहां रुक न सके। ऐसा ही मंसूरी में भी देखा कि अनेक आलीशान बंगले हैं, लेकिन गरीबों, बोझ ढोने वाले मजदूरों को ढंग से  खाना-पीना नहीं मिल पाता। बाबा को इन ऐशो आराम करने वालों पर बहुत दया आती थी कि यह लोग आसपास के लोगों का दुख पहचानते ही नहीं। मदद करने वाला ज्यादा तसल्ली पाता है। प्यासे को पानी पिलाने वाले को प्यासे से ज्यादा संतोष मिलता है, क्योंकि इसमें इंसानियत है। अल्लाह ने इंसान को सबसे बड़ी चीज इंसानियत ही दी है। उसी को रहम, करुणा, हमदर्दी कहते हैं। यह चीज जितनी जिस शख्स में होगी, उतना ही उसकी जिंदगी में, अंतःकरण में इत्मीनान होगा, शांति होगी.

बाबा को इन ऐशो आराम करने वालों पर बहुत दया आती थी कि यह लोग आसपास के लोगों का दुख पहचानते ही नहीं। मदद करने वाला ज्यादा तसल्ली पाता है। प्यासे को पानी पिलाने वाले को प्यासे से ज्यादा संतोष मिलता है, क्योंकि इसमें इंसानियत है।

बाबा का कहना था कि भूखे को खिलाना पहला फर्ज होना चाहिए। अगर ऐसा नहीं है, तो फिर कोई कितना भी बड़ा हो, कितनी भी लंबी-चौड़ी पढ़ाई किया हुआ आलिम क्यों न हो, पूजा इबादत करता हो, लेकिन तंगदिल हो, तो उसमें सब कुछ होगा, लेकिन इंसानियत तो नहीं है। उसमें इल्म हो, वह बड़ा आलिम हो, लेकिन हमदर्दी न हो, तो इंसानियत नहीं होगी। ऐसा व्यक्ति शक्ल-सूरत से भले ही इंसान लगता हो, लेकिन वह इंसान है नहीं। वैसे ही जैसे नमक तो हो, पर उसमें खारापन न हो। सबसे ज्यादा दुख की बात यही है कि इंसान का दिल इतना सख्त हो गया है कि आज इंसान, इंसान के लिए सोचता ही नहीं। इसलिए बाबा कहते हैं कि हमें हमारा इल्म नहीं घुमा रहा है, न त्याग घुमा रहा है, न हमारा फकीरी बाना , बल्कि हमें घुमाने वाली चीज केवल रहम, हमदर्दी और करुणा ही है। -रमेश भइया

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