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भूदान डायरी; विनोबा विचार प्रवाह : जनशक्ति जगे, राज्यशक्ति क्षीण हो!

राजनीति की प्रक्रिया ऊपर से नीचे जाने की है, जबकि लोकनीति की प्रक्रिया नीचे से ऊपर जाने की  है। राजनीति में सारी सत्ता केंद्र में होती है, लोकनीति में वही सत्ता गांव-गांव में होती है।

वैसे तो सर्वोदय सर्वव्यापी है, वह राजनीति से अलग नहीं है, लेकिन सर्वोदय की अपनी राजनीति है, जो लोकनीति कही जाती है। इसमें लोक मुख्य है। अभी तक ‘राजा कालस्य कारणम’ अथवा ‘यथा राजा तथा प्रजा’ चलता है, लेकिन सर्वोदय में ‘लोक ही कालस्य कारणम’ होते हैं और ‘यथा लोकमतः तथा राज्यं’ होता है। आज की लोकशाही प्रातिनिधिक लोकशाही है। उसमें लोग सीधे राज्य नहीं करते, लोगों के चुने हुए प्रतिनिधि राज्य करते हैं। परिणामतः लोगों की बुद्धि का विकास नहीं होता, उनकी शक्ति प्रकट नहीं होती। शक्ति तब प्रकट होगी, जब छोटे-छोटे गांवों में लोग राज्य चलाएंगे। आज अप्रत्यक्ष लोकशाही है, लेकिन सर्वोदय का अधिष्ठान प्रत्यक्ष लोकशाही लाना है।

बाबा का कहना था कि भूदान आंदोलन आज की राजनीति का खण्डन करने वाला आंदोलन है। हम आज की प्रचलित राजनीति से अलग रहकर नई राजनीति का निर्माण करना चाहते हैं। उस नई राजनीति को बाबा लोकनीति कहते हैं। हम राजनीति का खंडन कर लोकनीति बनायेंगे।
बाबा कहा करते थे कि राजनीति के दो अर्थ हैं- एक संकीर्ण और दूसरा व्यापक। संकीर्ण अर्थ में जो राजनीति है, वह दलीय और सत्ता की राजनीति है, जिसकी बुनियाद हिंसा है। बाबा का भरोसा न तो सत्ता पर है, न दलीय राजनीति में है। राजनीति की प्रक्रिया ऊपर से नीचे जाने की है, जबकि लोकनीति की प्रक्रिया नीचे से ऊपर जाने की  है। राजनीति में सारी सत्ता केंद्र में होती है, लोकनीति में वही सत्ता गांव-गांव में होती है। राजनीति में ऊपर वाले गिने चुने लोग हुक्म चलाते हैं, लोकनीति में अभिक्रम लोगों के हाथ में होता है।

गांधी विचार में विश्वास करने वालों के सामने यही मुख्य ध्येय है जनता को जगाने और राज्य का क्षय करने का। राज्य का बिना क्षय हुए गांधी जी की कल्पना का समाज नहीं बना सकते। इसीलिए सर्वोदय के लोग सरकार की सत्ता को धीरे-धीरे क्षीण करना चाहते हैं और उसकी जगह लोगों की सत्ता स्थापित करना चाहते हैं।

इस तरह लोकनीति का अर्थ यह है कि सत्ता एक एक करके लोगों के हाथ में आती जाय। सरकार सदा परदे के पीछे रहे, उसके स्थान पर लोक व्यवस्था पनपे। व्यवस्था की लगाम लोगों के हाथ में आ जाय और लोग उसके उपयोग की इच्छा और शक्ति दिखाएं। इसके लिए लोकशक्ति को जगाना है। लोगों को समझाना है कि तुम्हारा नसीब तुम्हारे ही हाथ में है। बाबा ने फिर कहा कि गांधी विचार में विश्वास करने वालों के सामने यही मुख्य ध्येय है जनता को जगाने और राज्य का क्षय करने का। राज्य का बिना क्षय हुए गांधी जी की कल्पना का समाज नहीं बना सकते। इसीलिए सर्वोदय के लोग सरकार की सत्ता को धीरे-धीरे क्षीण करना चाहते हैं और उसकी जगह लोगों की सत्ता स्थापित करना चाहते हैं।

-रमेश भइया

Co Editor Sarvodaya Jagat

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