History

भूदान डायरी; विनोबा विचार प्रवाह : मनुष्य के हृदय में अपार शक्ति है!

भूदान के माध्यम से तो मैं यह जान पा रहा हूं कि मनुष्य के हृदय में कितनी अपार शक्ति छिपी हुई है। जब हम उस शक्ति की कोई हद मान बैठते हैं, तो यह भी मान लेना चाहिए कि हमें आत्मदर्शन नहीं हो सकता। -विनोबा 

बाबा से लोग पूछते थे कि क्या जमीन का मुद्दा आप इस तरह हल कर सकेंगे? बाबा जवाब देते थे कि दुनिया का मसला न तो राम हल कर सके और न कृष्ण ही हल कर सके। उसे तो दुनिया ही हल कर सकती है। यह मसला बाबा हल कर सकेगा, ऐसा कोई अभिनिवेश बाबा में नहीं है। बाबा निश्चिंत रहता है। रात को गहरी नींद आती है, एक मिनट भी नींद आने में नहीं लगता। बाबा को किसी दिन चार एकड़ जमीन दान में मिलती है, किसी दिन चार हजार एकड़ भी मिलती है। लेकिन बाबा को इसका कोई सुख, दुख, हर्ष या विषाद का अनुभव होता ही नहीं है। भूदान के माध्यम से तो मैं यह जान पा रहा हूं कि मनुष्य के हृदय में कितनी अपार शक्ति छिपी हुई है। जब हम उस शक्ति की कोई हद मान बैठते हैं, तो यह भी मान लेना चाहिए कि हमें आत्मदर्शन नहीं हो सकता। जनता बिना कानून की मदद के अपनी जमीन का हिस्सा दे सकती है, क्योंकि उसकी समझ में आ रहा है कि जैसे हवा और सूरज भगवान की देन हैं, वैसे ही जमीन भी भगवान की देन है, इसलिए जो लोग समाज में बेजमीन हैं, उन्हें भी जमीन मिलनी चाहिए।

हैदराबाद राज्य ने 15000 एकड़ भूमि दान में दी थी, हैदराबाद से दिल्ली आने के रास्ते में भी 20000 एकड़ भूमि मिली। यानी जब करीब 35000 एकड़ भूमि मिल चुकी थी, तो लोग बाबा से पूछते थे कि अभी आप कितनी और जमीन चाहते हैं? बाबा तुरंत कहते कि 30 करोड़ एकड़ भूमि का छठा हिस्सा मात्र 5 करोड़ एकड़। बाबा से लोग यह भी कहते थे कि इसमें तो वर्षों लग जायेंगें, तो बाबा कहते कि दान मिलने की रफ्तार निरंतर बढ़ ही रही है। जमीन कितनी मिलेगी, यह प्रश्न उतना बड़ा नहीं है, बल्कि दान की जो हवा पैदा हो रही है, वह बहुत बड़ी बात है। यह हवा कानून का रास्ता भी सरल कर सकेगी। अहिंसक योजनाओं में कानून का भी स्थान है, वैसा वातावरण होना चाहिए। अगर  यह तरीका सफल नहीं होता है तो इस समस्या का खूनी बगावत वाला समाधान ही रह जाता है। बाबा की अनवरत कोशिश रहेगी कि वह खूनी तरीका, जिससे सारी दुनिया तहस-नहस हो जाए, कभी भी अमल में न लाया जाय।

जमीन कितनी मिलेगी, यह प्रश्न उतना बड़ा नहीं है, बल्कि दान की जो हवा पैदा हो रही है, वह बहुत बड़ी बात है। यह हवा कानून का रास्ता भी सरल कर सकेगी। अहिंसक योजनाओं में कानून का भी स्थान है, वैसा वातावरण होना चाहिए। अगर  यह तरीका सफल नहीं होता है तो इस समस्या का खूनी बगावत वाला समाधान ही रह जाता है। बाबा की अनवरत कोशिश रहेगी कि वह खूनी तरीका, जिससे सारी दुनिया तहस-नहस हो जाए, कभी भी अमल में न लाया जाय। -विनोबा

बाबा का मानना था कि तेलंगाना में जो भूदान मिला, उसके पीछे वहां की पृष्ठभूमि थी। दूसरे क्षेत्रों में यह कल्पना चले न चले, इसलिए और क्षेत्रों में इसकी आजमाइश जरूरी थी। दिल्ली आते समय जो प्रदेश रस्ते में आये, वहां की जनता अहिंसा को प्रवेश देने के लिए ज्यादा उत्सुक दिखी। उत्तर प्रदेश में तो बाबा ने एक नई कल्पना ही कार्यकर्ताओं के सामने रख दी कि सम्पूर्ण प्रदेश में एक लाख से ज्यादा देहात हैं, प्रत्येक गांव में कम से कम एक भूमिहीन परिवार बसाया जाय और एक परिवार को कमोवेश  एक एकड़ जमीन देने का अर्थ हुआ पांच लाख एकड़ जमीन. अब इतनी जमीन प्राप्त करने का संकल्प ही कर लिया गया। इस वृहद संकल्प को देखते हुए बाबा ने सेवापुरी के सर्वोदय सम्मेलन में यह आवाहन कर दिया कि अगले दो वर्ष में 25 लाख एकड़ जमीन प्राप्त करने का लक्ष्य  रखा जाए। बाबा का यह भी विश्वास था कि यदि हमारे साथी पांच लाख गांवों तक यह संदेश पहुंचा देंगे तो भूमि के न्यायोचित वितरण के लिए जरूरी हवा तैयार हो जायेगी। – रमेश भइया

Co Editor Sarvodaya Jagat

Recent Posts

सर्वोदय जगत (16-31 अक्टूबर 2024)

Click here to Download Digital Copy of Sarvodaya Jagat

3 months ago

क्या इस साजिश में महादेव विद्रोही भी शामिल हैं?

इस सवाल का जवाब तलाशने के पहले राजघाट परिसर, वाराणसी के जमीन कब्जे के संदर्भ…

3 months ago

बनारस में अब सर्व सेवा संघ के मुख्य भवनों को ध्वस्त करने का खतरा

पिछले कुछ महीनों में बहुत तेजी से घटे घटनाक्रम के दौरान जहां सर्व सेवा संघ…

2 years ago

विकास के लिए शराबबंदी जरूरी शर्त

जनमन आजादी के आंदोलन के दौरान प्रमुख मुद्दों में से एक मुद्दा शराबबंदी भी था।…

2 years ago

डॉक्टर अंबेडकर सामाजिक नवजागरण के अग्रदूत थे

साहिबगंज में मनायी गयी 132 वीं जयंती जिला लोक समिति एवं जिला सर्वोदय मंडल कार्यालय…

2 years ago

सर्व सेवा संघ मुख्यालय में मनाई गई ज्योति बा फुले जयंती

कस्तूरबा को भी किया गया नमन सर्वोदय समाज के संयोजक प्रो सोमनाथ रोडे ने कहा…

2 years ago

This website uses cookies.