Editorial

सबको सन्मति दे भगवान

गांधी पाकिस्तान बनने नहीं देना चाहते थे और जब उनकी मर्ज़ी के खिलाफ बन गया तो दोनों जगह अल्पसंख्यकों को…

2 years ago

केदारनाथ के बाद जोशीमठ में त्रासदी

बद्रीनाथ, केदारनाथ धाम आदि तीर्थों पर जाने में सावधानी बरती जाती थी कि न शोर शराबा हो और न कचरा…

2 years ago

सबके राम

गांधी ने आज़ाद भारत में आदर्श समाज और राज्य का मतलब, आम आदमी को समझाने के लिए रामायण के रामराज्य…

2 years ago

पर्यावरण विनाश के मूल में कंपनी और सरकार का भ्रष्टाचार

कंपनियों को वैसे भी लोकतंत्र पसंद नहीं, क्योंकि लोकतंत्र में संसद, अदालत या मीडिया कोई भी सवाल पूछ सकता है,…

2 years ago

तुषार बाबू समझा करो

जो आदमी सरकार में होता है, उसे न गांधी पसंद होता और न सत्याग्रह। गांधी, हिन्द स्वराज और सत्याग्रह को…

2 years ago

व्यवस्था बदलने वाले एकजुट हों

धार्मिक ध्रुवीकरण की राजनीति ने राजनीतिक दलों के लिए चुनाव जीतना आसान कर दिया है, इसलिए वे आम लोगों के…

2 years ago

दोष जेपी का नहीं!

गुनहगार तो हैं मोरारजी देसाई, चरण सिंह, जनजीवन राम, राज नारायण और चंद्रशेखर, जो अपनी सत्ता-लिप्सा के चलते जनता पार्टी…

2 years ago

चुनाव खर्च की सीमा और चंदे की पारदर्शिता के बिना कैसा लोकतंत्र !

इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया, उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों से प्रचार का पैकेज तय करते हैं. इसमें एक बड़ा हिस्सा ब्लैक…

2 years ago

बंगलोर की बाढ़ : प्रकृृति बनाम प्रगति

टाउन प्लानिंग में कई तरह के विशेषज्ञों का योगदान होता है, जिसमें सर्वाधिक ज़रूरी है भूगोल या ज्योग्राफ़ी का ज्ञान.…

2 years ago

भावी भारत का सर्वमान्य एजेंडा चाहिए

हमें एक व्यापक विमर्श के ज़रिये स्वतंत्रता, समानता, न्याय और बंधुत्व पर आधारित भारत के विकास का सर्वमान्य एजेंडा बनाना…

2 years ago

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