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भूदान डायरी; विनोबा विचार प्रवाह : भूदान यज्ञ का रहस्य

मैं दरिद्र हूं, दु:खी हूं, मेरे पास जो चीज है, वह काफी नहीं हैं, पर ऐसे भी लोग हैं, जो…

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भूदान डायरी; विनोबा विचार प्रवाह : भूदान गंगा में बाढ़ आई

देखते ही देखते वह स्रोत फूट पड़ा और भूदान-गंगा में बाढ़ जैसी आ गई। जिस बिहार में एक दिन कुल…

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भूदान डायरी; विनोबा विचार प्रवाह : मनुष्य के हृदय में अपार शक्ति है!

भूदान के माध्यम से तो मैं यह जान पा रहा हूं कि मनुष्य के हृदय में कितनी अपार शक्ति छिपी…

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भूदान डायरी; विनोबा विचार प्रवाह : बाबा जमीन की मालिकी मिटाना चाहते थे

बाबा जो बात जोर-जोर से चिल्लाकर कह रहा है कि जमीन तो ईश्वरीय देन है, यह विचार न तो चीन…

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भूदान डायरी; विनोबा विचार प्रवाह : जनता के सेवक जनता के मन पर आरूढ़ होकर चलते हैं

सभी को देखने में लगता है कि हम पैदल चलते हैं, पर ऐसा नहीं है। हम जनता के सेवक है,…

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भूदान डायरी; विनोबा विचार प्रवाह : मैं तो बस निमित्त मात्र हूँ

जिस भगवान ने गीता में कहा था कि अर्जुन, वे सब मर चुके हैं, तू सिर्फ निमित्त मात्र बन, वही…

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भूदान डायरी; विनोबा विचार प्रवाह : सबै भूमि गोपाल की

सबै भूमि गोपाल की; यह कहकर बाबा जमीन मांगते समय लोगों को परमेश्वरी न्याय समझाते थे कि जमीन किसी व्यक्ति…

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भूदान डायरी; विनोबा विचार प्रवाह : बाबा का प्रजासूय यज्ञ

यह मेरा प्रजासूय यज्ञ है। इसमें प्रजा का अभिषेक होना है। ऐसा राज जहां मजदूर, किसान, बाल्मीकि आदि सभी समझें…

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भूदान डायरी; विनोबा विचार प्रवाह : समाज को देना सिखाना है- विनोबा

समाज के लोगों को लेना तो आता है, लेकिन देना नहीं आता, वही सिखाना है।   बाबा ने केवल भूदान नहीं…

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भूदान डायरी; विनोबा विचार प्रवाह : मुझे गरीबों को जमीन दिलवानी ही है- विनोबा

बाबा ने कहा कि रास्ते में एक काम प्रमुख रूप से मेरी नजर के सामने रहेगा। मुझे गरीबों को जमीन…

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