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भूदान डायरी; विनोबा विचार प्रवाह : कुदाल और फावड़ा उठाओ, खुद को इन दिव्य आयुधों से सजाओ

हम सभी को हाथ में कुदाली, झाड़ू, खपरा और फावड़ा उठा लेना चाहिए। जब हम इन दिव्य आयुधों से सजेंगे…

3 years ago

भूदान डायरी; विनोबा विचार प्रवाह : यह गंगा भी भर-भर के बहेगी

बाबा समझाते थे कि बारिश का पानी बूंद-बूंद करके ही गिरता है, लेकिन फिर भी हर जगह गिरता है, इसलिए…

3 years ago

भूदान डायरी; विनोबा विचार प्रवाह : दुनिया में जमीन का मसला अहिंसा से ही हल होगा

बाबा ने अपना विश्वास बताते हुए कहा कि मसला कोई भी हो, अहिंसा से ही हल हो सकता है, लेकिन…

3 years ago

भूदान डायरी; विनोबा विचार प्रवाह : अशांति के बीज खत्म करना जरूरी है

बाबा तो कहते ही थे कि केवल पुलिस की ताकत से शांति नहीं रह सकती। हां, अशांति उससे दब जरूर…

3 years ago

भूदान डायरी; विनोबा विचार प्रवाह : एक दूसरे को देते रहने से सारी सृष्टि सुंदर चलती है।

बाबा का मांगने का ढंग अद्भुत ही था. वे गरीबों के लिए भूमिदान मांगते थे, लेकिन बताते थे कि इसमें…

3 years ago

भूदान डायरी; विनोबा विचार प्रवाह : वामनावतार ले लिया था बाबा ने

बाबा कहने लगे कि मैं तो वामन बन गया हूँ और लोगों से कहता हूं कि हमें तीन कदम ही…

3 years ago

भूदान डायरी; विनोबा विचार प्रवाह : पोचमपल्ली का पहला भूदान

गाँव की बैठकी में हरिजन भाइयों ने बाबा से कहा कि हम लोगों को खेती के लिए जमीन चाहिए। बाबा…

3 years ago

भूदान डायरी; विनोबा विचार प्रवाह : तेलंगाना की यात्रा में बाबा ने महसूस की एक अद्भुत प्रकाश की झलक

  बाबा ने उन लोगों से कहा कि आज रामनवमी का पावन दिन आप सबके साथ बिताना अत्यंत शुभ रहा…

3 years ago

भूदान डायरी : छः मार्च 1951 को बाबा के साथ हुई एक महत्वपूर्ण चर्चा

बाबा ने कहा कि पैदल चलने का कोई व्रत नहीं लिया है, क्योंकि व्रत तो सत्य, अहिंसा आदि का लिया…

3 years ago

भूदान डायरी : बाबा को मिला था ईश्वरीय संकेत

बाबा ने इसे इस बात का ईश्वरीय संकेत माना कि अभी समाज में बहुत भूमिहीन लोग हैं, जिनको जमीन की…

3 years ago

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