किसी जमाने में आरएसएस और भाजपा के थिंक टैंक माने जाने वाले सुप्रसिद्ध चिंतक और विचारक गोविदाचार्य ने अपने एक इंटरव्यू में मोदी सरकार द्वारा लागू की जा रही डिजिटल इंडिया पालिसी पर तीखा प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि ट्रिकल डाउन थ्योरी पर आधारित डिजिटल इंडिया नीति, एक विफल नीति है। उन्होंने बताया कि 150 विकासशील देशों में कई दशकों तक किये गए एक अध्ययन के आधार पर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की भी यही राय है।
ट्रिकल डाउन थ्योरी ये मानती है कि आर्थिक विकास से अमीरों की आय बढ़ेगी तो उन गरीबों का भी फायदा होगा, जो इस विकास की प्रक्रिया में सीधे तौर पर नहीं जुड़े हैं। लेकिन उपरोक्त अध्ययन के बाद आईएमएफ भी यह मान चुका है कि अमीरों से गरीबों तक पैसे पहुँचने की ट्रिकल डाउन थ्योरी गलत है। इसी साल जारी एक रिपोर्ट में आईएमएफ ने कहा है कि इससे अमीर और अमीर होते जाते हैं और गरीब वहीं टिका रहता है।
गोविंदाचार्य ने कहा कि देश में बेरोजगारी की समस्या तो है ही, साथ ही लोगों की जो मूलभूत समस्याएं है, सरकार उन पर ध्यान न देकर ‘डिजिटल इंडिया’ में लगी है। स्मार्ट सिटी, बुलेट ट्रेन और डिजिटल इंडिया की बात हो रही है, लेकिन जिन 238 जिलों के पानी में फ्लोराइड और आर्सेनिक मिला है, वहां लोगों की प्राथमिकता पीने का पानी है, कुछ और नहीं।
बुलेट ट्रेन पर सवाल उठाते हुए गोविंदाचार्य ने कहा कि जिस देश में ट्रेनों के अनारक्षित डिब्बों की इतनी बुरी हालत है, वहाँ सरकार की प्राथमिकता बुलेट ट्रेन कैसे हो सकती है? यहाँ नीयत पर नहीं, नीतियों पर तो सवाल उठ रहे हैं।
सरकार पर सीधा हमला करते हुए गोविंदाचार्य ने कहा कि मोदी सरकार विदेशपरस्त और कारपोरेटपरस्त नीतियों पर चल रही है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि अटलबिहारी बाजपेयी की सरकार के दौरान भी अंधाधुन्ध वैश्वीकरण जारी था और देश में संकट की स्थिति थी, मगर आज तो स्थिति बहुत अधिक बुरी है।
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