बनवासी सेवा आश्रम गोविंदपुर के विचित्रा महाकक्ष में 6 नवंबर को दो दिवसीय ग्राम स्वराज्य सम्मेलन का उद्घाटन आश्रम के अध्यक्ष अजय शेखर, पहले सत्र के मुख्य अतिथि बीएचयू के प्रो आलोक कुमार पाण्डेय और दिल्ली हेजार्डड सेंटर की वसुधा के हाथों दीप प्रज्वलण के साथ हुआ।अपने संबोधन में मुख्य अतिथि प्रो पांडेय ने कहा कि पंचायत को सुदृढ़ और सशक्त बनाने से ही ग्राम स्वराज्य की नीव मजबूत होगी।उन्होंने कहा कि वैदिक काल में भी गावों के मजबूती के लिए सहभागिता की बात कही गई है। भारत की पहचान गावों की व्यवस्था और संस्कृति से होती आई है। मंगल काल के पहले तक गांव स्वावलंबी थे। मंगल काल से लेकर अग्रेजों के शासन काल में जागीरदारी और जमींदारी से गांव बिखरते गए। बनवासी सेवा आश्रम, अपने क्षेत्र के लोगों को स्वावलंबी बनाने के साथ-साथ विकास और रोजगार के लिए लोगों की प्रतिभा निखारने का काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि पंचायतों को 29 कार्य करने की जिमेवारी दी गयी है, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण, स्थानीय संसाधनों के बल पर रोजगार आदि तकनीकी ज्ञान से खड़े किए जाने हैं। हेजार्ड सेंटर दिल्ली की वसुधा ने कहा कि सोनभद्र, सिंगरौली में प्रदूषण की समस्या गंभीर रूप ले चुकी है, यहां के हालात दिल्ली से कम नहीं हैं। उन्होंने कहा कि कोयला जलाने से निकले सूक्ष्म धूम्र कणों से मनुष्य के फेफड़े प्रभावित हो रहे हैं और लोगो में काम करने की क्षमता घट रही है। आकलन में पाया गया कि एक परिवार में अब तक 35 लाख का आर्थिक नुकसान फेफड़ों में आई कमजोरी से हो रहा है। उन्होंने बताया कि वायु और जल प्रदूषण पर रोक के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। डॉ शुभा प्रेम और प्रमोद शर्मा ने आश्रम द्वारा फ्लोरोसिस कम करने के लिए किए गए प्रयोगों की जानकारी दी और बताया कि शुद्ध पानी के प्रयोग से यूरीन में फ्लोराइड की मात्रा में कमी आई है। उन्होंने बताया कि गांव में 52 फीसदी दंत फ्लोरोजिस, 21 फीसदी हड्डियों सहित 98 फीसदी लोग पीड़ित हैं। उन्होंने आह्वान किया कि लोग सुरक्षित स्रोतों के पानी के साथ हरी साग सब्जी, तिल आदि का प्रयोग करें। जिला पंचायत सदस्य सुषमा सिंह ने कहा की शाश्वत जीवन हमारी पहचान होना चाहिए। उन्होंने नमामि गंगे की हर घर, नल-जल योजना में रिहन्द जलाशय के बदले कनहर से जल-आपूर्ति की वकालत की और कहा कि कनहर बांध के आसपास उघोग खड़े किए जाने की योजना बनी तो उसके विरोध में आंदोलन किया किया जाएगा। सम्मेलन में वनाधिकार पर भी चर्चा हुई और कहा गया कि असली हकदारों को वनाधिकार का पट्टा मिलना चाहिए। शुभा प्रेम ने आगंतुकों का स्वागत करते हुए कहा कि एक साथ बैठकर चर्चा करके आगे की दिशा तय करनी है।
सम्मेलन के दूसरे और आखिरी दिन कर्मयोगी प्रेम भाई के प्रेरणा स्थल पर सर्वधर्म प्रार्थना के साथ सम्मेलन शुरू हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और बंगलोर के समाजसेवी व उद्योगपति अरुण जैन ने कहा कि समय के साथ किसानों को आगे बढ़ने और उपज की योजना बनाने की जरूरत है। किसान हीन भावना का त्याग करे और खुद की ताकत पहचाने, शहरी लोगों ने किसानों को गरीब कहा और यही धारणा बन गई, जबकि सबसे सुखी किसान हो सकता है। शुभा प्रेम ने आश्रम के वर्ष भर में किए गए कार्यों की प्रगति रिपोर्ट रखी और बताया कि पर्यावरण संरक्षण और ग्राम स्वराज्य की दिशा में गावों को स्वावलंबी बनाने, पंचायतों को सशक्त बनाने और महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने तथा जैविक खेती को बढ़ावा देने के साथ-साथ कृषि उत्पाद को अच्छा दाम मिले, इसके लिए एसपीओ के माध्यम से किसानों का संगठन तैयार हो रहा है। उन्होंने बताया कि विनोबा जयंती से गांधी जयंती तक कुल 13264 लोगों से संपर्क किया गया, 360 सभाएं की गयीं, जबकि आईजीबीआर से मिलकर साढ़े तीन सौ आदिवासी किसानों को कृषि तकनीकी और बीज उपलब्ध कराने के साथ ही उन्हें जागरूक किया गया। ग्रामीण अगुआ रामजतन, रामलोचन, बेचन, रामचंद्र आदि ने खुद से किए गए प्रयासों की जानकारी दी। पशु चिकित्साधिकारी डॉ विवेक सरोज ने कृषि के साथ पशुपालन पर भी जोर दिया। तीसरी सरकार के संयोजक डॉ चंद्रशेखर प्राण ने पंचायतों के सशक्तिकरण की चर्चा की और कहा कि विकास प्रकृति सरंक्षण पर आधारित होना चाहिए। जिला पंचायत सदस्य सुषमा सिंह ने प्रदूषण और पानी की समस्या पर बात रखी। इस मौके पर वसंत भाई, नीलम सिंह, ब्लॉक प्रमुख मानसिंह, डॉ विभा, मनोज जायसवाल, रमेश यादव, मनोज महापात्रा, विठ्ठल भाई, प्रेमचंद यादव, शचि सिंह, प्रदीप शुक्ला आदि समेत उड़ीसा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, दिल्ली, बंगाल, लखनऊ, प्रतापगढ़, जौनपुर, गाजीपुर, आजमगढ़ आदि स्थानों के साथ स्थानीय ग्रामीणों सहित लगभग 600 लोग उपस्थित रहे। सम्मेलन के दोनों दिन के कार्यक्रमों का संचालन शिव शरण सिंह ने तथा अध्यक्षता अजय शेखर ने की।
-जगत नारायण
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