Uncategorized

गांधी के एकादश व्रत का आधार पातंजलि योगसूत्र

पातंजलि योग सूत्र,योग दर्शन का मूल ग्रंथ है। षड् आस्तिक दर्शनों में योग दर्शन का मूल स्थान है। कालांतर में योग की नाना भाषाएं विकसित हुईं, जिन्होंने व्यापक रूप से साधना पद्धतियों पर प्रकाश डाला। चित्तवृत्ति निरोध को भी योग का अंग मानकर यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि; योग के ये आठ मूल सिद्धांत उपस्थित किये गये। गांधी जी ने इन्हीं सिद्धांतों से अपनी साधना के लिए कुछ व्रत, कुछ संकल्प ग्रहण किये तथा उसमें अस्पृश्यता का व्रत जोड़ा। उन्होंने एकादश व्रत को दैनिक प्रार्थना का अंग बनाया। अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, असंग्रह, शरीर श्रम, अस्वाद, सर्वत्र भयवर्जन, सर्व धर्म समानत्व, स्वदेशी और स्पर्शभावना, ये ग्यारह व्रत मनुष्य के जीवन में संयम, सादगी, सरलता, सहजता, स्वाभिमान, स्पष्टता, आत्मविश्वास, सेवा और साधना के अभ्यास का अवसर प्रदान करेंगे, एक स्वावलंबी समाज की ओर ले जाएंगे, समाज में एकता, सद्भावना, सौहार्द, साझापन, समझदारी और अपनापन पैदा करेंगे, जीव एवं प्रकृति के संबंधों को प्रगाढ़ करेंगे, ऐसा उनका विश्वास था। उनका यह भी विश्वास था कि ये एकादश व्रत आज़ादी के संघर्ष, समाज रचना के निर्माण और वैकल्पिक दुनिया की तलाश में जुटे नागरिकों के चारित्र्य और कर्मण्यता का पाथेय बनेंगे।

अहिंसा


सत्य के साक्षात्कार का एक ही मार्ग, एक ही साधन अहिंसा है। बगैर अहिंसा के सत्य की खोज असंभव है। किसी भी प्राणी को तन, मन, कर्म, वचन और वाणी से नुकसान न पहुँचाना, किसी का अहित न सोचना, किसी को दुखी न करना अहिंसा है।


सत्य


सत्य इस संसार में बड़ी शक्ति है. सत्य ही परमेश्वर है। सत्य-आग्रह, सत्य-विचार, सत्य-वाणी और सत्य-कर्म, ये सब उसके अंग हैं। जहां सत्य है, वहां शुद्ध ज्ञान है। जहां शुद्ध ज्ञान है, वहीं आनंद संभव है।


अस्तेय (चोरी न करना)


योग के सन्दर्भ में अस्तेय, पांच यमों में से एक है। अस्तेय का व्यापक अर्थ है चोरी न करना तथा परायी सम्पत्ति को चुराने की इच्छा न करना। मनुष्य अपनी कम से कम जरूरत के अलावा जो कुछ भी संग्रह करता है, वह चोरी है।


ब्रह्मचर्य


ब्रह्म आदि सत्य की खोज में अपनाया जाने वाला आचरण ब्रह्मचर्य है। इसका मूल अर्थ है- सभी इंद्रियों का संयम। व्यास जी ने विषयेन्द्रियों के सुख त्याग को ब्रह्मचर्य कहा है।


असंग्रह (अपरिग्रह)


असंग्रह राजयोग का हिस्सा है। इसका अर्थ कोई भी वस्तु संचित न करना होता है। ज्यों-ज्यों परिग्रह कम होता जाता है, सच्चा सुख, संतोष और सेवाशक्ति बढ़ती जाती है।


शरीर श्रम


श्रम, शारीरिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। बिना श्रम के शरीर अकर्मण्य हो जाता है, जिनका शरीर काम कर सकता है, उन स्त्री-पुरुषों को अपने रोजमर्रा के सभी काम खुद करने चाहिए। बिना कारण दूसरों से सेवा नहीं लेनी चाहिए।


अस्वाद


अस्वाद व्रत का संबंध जीभ से है, अस्वाद व्रत के पालन के लिए जीभ को चम्मच मान लें। चम्मच में मीठी चीज रखें या नमकीन, वह एक पात्र है। जिस दिन जीभ चम्मच की भूमिका में आ जाएगी, उस दिन अस्वाद व्रत सधने लगेगा।


सर्वत्र भय वर्जन (अभय)


एकादश व्रत में अस्वाद और सर्वत्र भय वर्जन का महत्व अध्यात्मपरक दृष्टि से अधिक है. यह गांधी जी का नवां व्रत है, जहां सारी इकाइयां पूर्ण होकर अद्वैत रूप धारण कर लेती हैं।


सर्वधर्म समानत्व


इस विचार का उद्गम वेदों में है। यह भारतीय पंथनिरपेक्षता के प्रमुख सिद्धांतों में से एक है, जिसमें धर्म को एक-दूसरे से पूरी तरह अलग न करके सभी धर्मों को समान रूप से महत्त्व देने का प्रयास किया जाता है। हमेशा प्रार्थना की जानी चाहिए कि सभी धर्मों में पाये जाने वाले दोष दूर हों।


स्वदेशी


अपने भौगोलिक क्षेत्र में जन्मी, निर्मित या कल्पित वस्तुओं, नीतियों, विचारों को स्वदेशी कहते हैं। स्वदेशी आन्दोलन स्वतन्त्रता आन्दोलन का केन्द्र-बिन्दु था। गांधी जी ने इसे ‘स्वराज की आत्मा’ कहा। अपने आसपास रहने वालों की सेवा में ओत-प्रोत हो जाना स्वदेशी धर्म है।


स्पर्श भावना (अस्पृश्यता निवारण)


स्पर्श भावना यानी अस्पृश्यता या छूआछूत, ऊंच-नीच का भाव वह रोग है, जिससे समाज के समूल नष्ट होने की आशंका रहती है। अस्पृश्यता मानव-समाज के लिए एक भीषण कलंक है। इसका निवारण करना ही प्रत्येक का धर्म है।

Sarvodaya Jagat

Share
Published by
Sarvodaya Jagat

Recent Posts

सर्वोदय जगत (16-31 अक्टूबर 2024)

Click here to Download Digital Copy of Sarvodaya Jagat

2 months ago

क्या इस साजिश में महादेव विद्रोही भी शामिल हैं?

इस सवाल का जवाब तलाशने के पहले राजघाट परिसर, वाराणसी के जमीन कब्जे के संदर्भ…

2 months ago

बनारस में अब सर्व सेवा संघ के मुख्य भवनों को ध्वस्त करने का खतरा

पिछले कुछ महीनों में बहुत तेजी से घटे घटनाक्रम के दौरान जहां सर्व सेवा संघ…

1 year ago

विकास के लिए शराबबंदी जरूरी शर्त

जनमन आजादी के आंदोलन के दौरान प्रमुख मुद्दों में से एक मुद्दा शराबबंदी भी था।…

2 years ago

डॉक्टर अंबेडकर सामाजिक नवजागरण के अग्रदूत थे

साहिबगंज में मनायी गयी 132 वीं जयंती जिला लोक समिति एवं जिला सर्वोदय मंडल कार्यालय…

2 years ago

सर्व सेवा संघ मुख्यालय में मनाई गई ज्योति बा फुले जयंती

कस्तूरबा को भी किया गया नमन सर्वोदय समाज के संयोजक प्रो सोमनाथ रोडे ने कहा…

2 years ago

This website uses cookies.