9 फरवरी 2023 को कानपुर गांधी शांति प्रतिष्ठान केंद्र के तत्वाधान में अंतरराष्ट्रीय हिंदी जगत के पुरोधा पद्मश्री डॉ गिरिराज किशोर की पुण्यतिथि का कार्यक्रम हरिहर नाथ शास्त्री भवन, खलासी लाइन में किया गया। उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए वक्ताओं ने कहा कि डॉ गिरिराज किशोर हिंदी जगत के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लेखक थे अपनी सृजनशीलता के बल पर उन्होंने यश का शिखर छुआ। उनकी सहजता और उत्साह उनके व्यक्तित्व का विशिष्ट पहलू था। गिरिराज किशोर का जन्म 8 जुलाई 1937 को मुजफ्फरनगर में एक संपन्न जमींदार परिवार में हुआ था। उत्तर प्रदेश सरकार में कुछ समय कार्य करने के पश्चात उन्होंने स्वतंत्र लेखन किया और तदुपरांत कानपुर विश्वविद्यालय में कुलसचिव के पद पर काम करने के बाद कानपुर आईआईटी में कुलसचिव के पद पर नियुक्त हुए। बाद में आईआईटी में ही रचनात्मक लेखन केंद्र के अध्यक्ष रहे गिरिराज किशोर विधाओं की सीमा से परे जाकर अपनी सृजनात्मक क्षमता से अपने आसपास के सच को अभिव्यक्त करने में सिद्धहस्त लेखक के तौर पर स्थापित हुए। इतिहासकार डॉ शिव कुमार दीक्षित ने उनके बारे में कहा कि उनका सुप्रसिद्ध उपन्यास ‘पहला गिरमिटिया’ दक्षिण अफ्रीका में गांधी जी के संघर्ष पर आधारित है, जिसे लिखने में उन्हें 8 वर्ष का समय लगा। उन्होंने बा की जीवनी भी लिखी।
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