गुजरात उच्च न्यायालय ने 25 नवम्बर 2021 को साबरमती आश्रम के पुनर्विकास के खिलाफ महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।
तुषार गांधी ने अपनी जनहित याचिका में साबरमती आश्रम के पुनर्विकास योजना पर रोक लगाने और इसे रद्द करने की मांग की थी। अहमदाबाद स्थित इस परिसर का निर्माण महात्मा गांधी ने साबरमती नदी के तट पर किया था। तुषार गांधी ने अक्टूबर में यह जनहित याचिका दायर की थी।
अनुमानित 1,200 करोड़ रुपये की लागत वाली इस सरकारी पुनर्विकास योजना को एचसीपी डिजाइन, योजना और प्रबंधन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा डिजाइन किया गया है, जिसकी अध्यक्षता आर्किटेक्ट बिमल पटेल कर रहे हैं। इसी फर्म ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट डिजाइन किया है।
सूत्रों के मुताबिक गुजरात सरकार ने उच्च न्यायालय को दिए अपने जवाब में कहा कि वह आश्रम के 1 एकड़ रकबे को नहीं बदलने जा रही है और आश्रम के आसपास की शेष 55 एकड़ जमीन का पुनर्विकास किया जाएगा। जनहित याचिका को खारिज करते हुए, गुजरात उच्च न्यायालय ने कहा कि उसे हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है, जब गुजरात सरकार ने कहा है कि वह 1 एकड़ में कुछ भी नहीं बदलेगी।
जनहित याचिका दायर करने के बाद तुषार गांधी ने कहा था कि अगर गुजरात उच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप नहीं किया, तो परिसर को बर्बाद कर दिया जाएगा और यह एक वाणिज्यिक मनोरंजन परिसर में बदल दिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि साबरमती आश्रम के पुनर्विकास की सरकार की योजना के विरोध में सर्व सेवा संघ सहित कई संगठनों ने वर्धा से अहमदाबाद की यात्रा निकाली थी, जिसमें यह मांग की गयी थी कि साबरमती आश्रम के पुनर्विकास के किसी भी कार्य की योजना गांधीवादी संगठनों की देखरेख में ही बनाई और निष्पादित की जानी चाहिए, जो महात्मा गांधी की हत्या के बाद उनकी विरासत को संरक्षित करने के लिए बनाये गये थे।
-सर्वोदय जगत डेस्क
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