News & Activities

हल्द्वानी से देहरादून तक; सफल रही राष्ट्रीय सद्भावना यात्रा

उत्तराखंड का जनमानस अपने परम्परागत सद्भाव और भाईचारे की मिसाल खुद है। उत्तराखंड में सम्पन्न हुई 40 दिन की राष्ट्रीय सद्भावना यात्रा में यह तथ्य बार बार देखने को मिला। सभी शांति चाहते हैं और अहिंसा पर टिके रहना उनका स्वभाविक गुण है। यह यात्रा सद्भावना के प्रसार के अपने उद्देश्य में सफल रही.

8 मई को उत्तराखंड में हल्द्वानी से आरंभ होकर सद्भावना यात्रा का 20 जून को देहरादून में समापन हुआ। इस यात्रा का मार्ग इस प्रकार निर्धारित किया गया कि उत्तराखंड के सभी जिलों और अंचलों में सद्भावना का संदेश पहुंचाया जा सके। यात्रा के दौरान पूरे समय सांस्कृतिक जुलूस निकाले गए, जिनका जबरदस्त प्रभाव स्थानीय जनता पर देखा गया। इस दौरान कुल 80 पड़ावों पर गोष्ठियां और नुक्कड़ सभाएं करते हुए यात्रा देहरादून पहुंची।

इस यात्रा ने जिस तरह राज्य के छोटे-छोटे कस्बों, गांवों, अंचलों, कस्बों, चोटियों और घाटियों को करीब 4500 किमी चल कर नापा है, वह यात्रा की सघनता को समझने के लिए काफ़ी है। इस बीच यात्रा का करीब 10 हजार लोगों से सम्पर्क हुआ, जिसमें करीब 800 लोग ऐसे थे, जिन्होंने यात्रा के दौरान कार्यक्रमों के आयोजन में सक्रिय सहयोग किया।

यात्रा के दौरान उत्तराखंड के जिन जननायकों का ज़िक्र बार बार आया, उनमें वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली का नाम प्रमुख है. वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली ने जिस तरह पेशावर के किस्साख्वानी बाजार में निहत्थे आंदोलनकारी पठानों पर गोली चलाने से इंकार किया था, वह सच्चाई और साहस की अद्भुत मिसाल है।


उत्तराखंड का भूगोल, जलवायु और सांस्कृतिक विविधता हमें एकता का संदेश देती है. उत्तराखंड में करीब डेढ़ दर्जन भाषा और बोली बोलने वाले हैं, जो आपसी सद्भाव से रहते हैं। यात्रा में सामाजिक, जातिगत और धार्मिक मुद्दों पर जन सामान्य से बातचीत करके वर्तमान परिस्थितियों में समन्वय और सद्भाव बढ़ाने पर बल दिया गया।

यात्रा में असंगठित मजदूरों व महिलाओं की स्थिति, किशोर-किशोरियों व युवाओं के मुद्दे, निराश्रित महिला पुरुषों के अलावा सड़कों और जंगलों में घूमते हुए निराश्रित पशुओं की दुर्गति पर भी चिंता व्यक्त की गयी। पलायन से खाली होते गांवों, प्राकृतिक संसाधनों और पशुधन की हिफ़ाज़त जैसे मुद्दों और मौजूदा हालात पर भी विचार विमर्श हुआ।

जलवायु परिवर्तन के कारण प्रदेश में कृषि उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। बंजर होते खेतों और बगीचों की जमीनों पर बनने वाले रिजोर्ट और बड़े बड़े निर्माणों से स्थानीय संरचना पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव की अपनी चिन्ताओं को लोगों ने यात्रीदल के साथ साझा किया। बागबानी, कृषि उत्पादन, फलोत्पादन, दुग्ध उत्पादन और स्वरोजगार के अच्छे प्रयोगों और अनुभवों को भी साझा किया गया।

यात्रा के दौरान सबसे प्रभावकारी नुक्कड़ सभाएं रहीं, जिनमें यात्रीदल ने विभिन्न विषयों पर आमजन से सम्भाषण किया। गोपाल भाई के जन गीतों से आरंभ होने वाली नुक्कड़ सभाओं में भुवन भट्ट, इस्लाम हुसैन और साहब सिंह सजवाण ने अपनी बात रखी. राज्य के आंदोलनकारी व जुझारू नेता पीसी तिवारी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि सद्भावना के माहौल में ही राज्य का विकास हो सकता है। उत्तराखंड आंदोलनकारियों के लिए श्रद्धा का केन्द्र रहे गैरसैंण में राष्ट्रीय सद्भावना यात्रा का स्वागत करते हुए जुझारू नेता कामरेड इंद्रेश मैखुरी ने सभी विभाजनकारी और साम्प्रदायिक शक्तियों का मुकाबला करने का आह्वान किया।

पद्मश्री बसंती बहन ने अपने हर सम्बोधन में जल, जंगल, जमीन की लूट और नशे के बढ़ते प्रचलन को देश और प्रदेश के लिए घातक बताया और इसे रोकने की अपील की। कोसी नदी घाटी में किए गए उनके कार्यो व अनुभवों को सुना और सराहा गया। स्कूलों में छात्र छात्राओं को इस बात से ख़ास ख़ुशी हुई कि उनके बीच पद्मश्री से सम्मानित बसंती बहन पहुंची हैं।

प्लास्टिक कचरे के खतरे पर भी चर्चा हुई, लोगों का कहना था कि कचरे के कारण पहाड़ के सौंदर्य और पर्यावरण पर संकट आ गया है. सरकार के पास इस समस्या को दूर करने के लिए न दृष्टि है और न ही इच्छा है‌। यात्रा के अन्तिम पड़ाव देहरादून के पास यात्री दल खाराखेत पहुंचा, जहां की खारी नदी में स्थानीय सत्याग्रहियों ने नमक बनाकर नमक कानून तोड़ा था। यात्री दल ने वहां दांडी मार्च के सत्याग्रहियों को याद किया।

इस यात्रा में जो लोग सम्मिलित रहे, उनमें उत्तराखंड सर्वोदय मण्डल के अध्यक्ष इस्लाम हुसैन, यात्रा संयोजक भुवन पाठक, चिपको आंदोलनकारी साहिब सिंह सजवाण, पद्मश्री बसंती बहन, उत्तराखंड आंदोलनकारी पीसी तिवारी, सामाजिक मुद्दों पर मुखर व आंदोलनकारी प्रभाव ध्यानी, सर्वोदय मण्डल से रीता इस्लाम, सुरेन्द्र बरोलिया, नरेंद्र कुमार, राजीव गांधी फाउंडेशन से विजय महाजन, परमानंद भट्ट, हिदायत आज़मी, जीत सिंह, लक्ष्मी, प्रयाग भट्ट, रजनीश और रेवा अरुण आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।

-सर्वोदय जगत डेस्क

Sarvodaya Jagat

Recent Posts

सर्वोदय जगत (16-31 अक्टूबर 2024)

Click here to Download Digital Copy of Sarvodaya Jagat

4 months ago

क्या इस साजिश में महादेव विद्रोही भी शामिल हैं?

इस सवाल का जवाब तलाशने के पहले राजघाट परिसर, वाराणसी के जमीन कब्जे के संदर्भ…

4 months ago

बनारस में अब सर्व सेवा संघ के मुख्य भवनों को ध्वस्त करने का खतरा

पिछले कुछ महीनों में बहुत तेजी से घटे घटनाक्रम के दौरान जहां सर्व सेवा संघ…

2 years ago

विकास के लिए शराबबंदी जरूरी शर्त

जनमन आजादी के आंदोलन के दौरान प्रमुख मुद्दों में से एक मुद्दा शराबबंदी भी था।…

2 years ago

डॉक्टर अंबेडकर सामाजिक नवजागरण के अग्रदूत थे

साहिबगंज में मनायी गयी 132 वीं जयंती जिला लोक समिति एवं जिला सर्वोदय मंडल कार्यालय…

2 years ago

सर्व सेवा संघ मुख्यालय में मनाई गई ज्योति बा फुले जयंती

कस्तूरबा को भी किया गया नमन सर्वोदय समाज के संयोजक प्रो सोमनाथ रोडे ने कहा…

2 years ago

This website uses cookies.