पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिन भारत भर में सबसे पहले 1930 में मनाया गया, जब न तो देश स्वतंत्र हुआ था, न नेहरू देश के प्रधानमंत्री बने थे.
1930 में गांधीजी ने सत्याग्रह की घोषणा की थी। इसी वजह से अंग्रेजों ने नेहरू पर प्रतिबंध लगा दिया था कि ‘आप शहर नहीं छोड़ सकते’। नेहरू ने ऐसे किसी भी प्रतिबंध को मानने से इनकार कर दिया, जो सत्याग्रह आंदोलन में भाग लेने से रोके। (अंग्रेजों की इस पाबंदी के बाद जब तक पाबंदी हटी नहीं, तबतक वीडी सावरकर रत्नागिरी से बाहर नहीं निकले, नेहरू और सावरकर में यही फर्क है!)14 अप्रैल को जब नेहरू रायपुर जाने के लिए निकले, तो इलाहबाद के पास के रेलवे स्टेशन पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। यह नेहरू की चौथी गिरफ्तारी थी।
11 अक्टूबर को 6 महीने की सजा पूरी करके जब वे जेल से निकले, तो 12 अक्टूबर को उन्होंने एक बड़ी सभा को संबोधित किया, जिसमें उन्होंने जनता से अपील की कि वह सरकार को कोई टैक्स न दे। गुस्से में आकर अंग्रेजों ने उन्हें 19 अक्टूबर 1930 को यानी आठ दिन बाद फिर से गिरफ्तार किया। यह नेहरू की पांचवीं गिरफ्तारी थी।
इस गिरफ्तारी से भारतीय जनता आंदोलित हो उठी। जवाहरलाल नेहरू की पत्नी कमला नेहरू ने भी इस गिरफ्तारी का जोरदार विरोध किया। वे जीवन में पहली बार सार्वजनिक जीवन में हिस्सा लेने घर से बाहर निकलीं, उनके साथ हजारों भारतीय महिलाएं थीं। कमला नेहरू की अगुवाई में जवाहर की गिरफ्तारी और ब्रिटिश नीतियों के विरोध में ज़ोरदार आंदोलन हुआ, जिसमें सारा नेहरू परिवार शामिल हुआ।
उस साल पहली बार 14 नवम्बर को ‘नेहरू दिवस’ मनाया गया। उसके बाद फिर हर साल मनने लगा और आजादी के बाद ‘बाल दिवस’ के तौर पर मनाया जाने लगा, क्योंकि यह आज़ाद नवभारत के बच्चों के प्रति जवाहरलाल के आशावाद का प्रतीक था कि वे समतामूलक वैभवशाली भारत बनाएंगे।आज़ादी के आंदोलन का अंजाम चाहे जो होता, नेहरू प्रधानमंत्री होते न होते, अलोकतांत्रिक सरकार के काले कानूनों के विरोध की प्रेरणा के रूप में 14 नवम्बर मनता ही रहता।
भारतीय जनता पार्टी के आकाओं का आज़ादी की लड़ाई से कोई संबंध नही रहा, इसलिए वे 14 नवम्बर का महत्व नहीं जानते….उन्हें माफ कर दीजिए।
-Prajwala tatte
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