Uncategorized

जो अपना क्रूस लेकर मेरे पीछे न चले, वह मेरे योग्य नहीं!

गाँव-गाँव और नगर-नगर में यीशु का उपदेश

विनोबा ने गीता, भागवत, धम्मपद, जपुजी, कुरआन आदि अनेक धर्मग्रंथों के नवनीत लिखे हैं। इसके पीछे उनका मन्तव्य दिलों को जोड़ने का रहा है। ख्रिस्त धर्म सार इसी योजना की अगली कड़ी है। इसमें विनोबा ने न्यू टेस्टामेंट का सार सर्वस्व लिखा है। प्रस्तुत है अगली कड़ी।

श्रमिक पूर्ति- यीशु सब नगरों और ग्रामों में फिरता रहा; उनके प्रार्थना-स्थलों में उपदेश करता रहा; ईश्वर के राज्य का शुभ समाचार फैलाता रहा और लोगों के सब प्रकार के रोग और दुर्बलता को दूर करता रहा। जब उसने भीड़ को देखा तो उसको लोगों पर दया आयी, क्योंकि वे बिना गड़ेरिये की भेड़ों की तरह हैरान, परेशान और लाचार होकर पड़े थे। तब उसने अपने शिष्यों से कहा कि फसल तो बहुत है, पर काटने वाले थोड़े हैं, इसलिए खेत के स्वामी से विनती करो कि वह कुछ फसल काटने वाले भेजे।
-मत्ती 9.35-38

बारह शिष्य- उन दिनों में वह पहाड़ पर प्रार्थना करने निकला और ईश्वर से प्रार्थना करने में सारी रात बितायी। जब दिन हुआ तो उसने अपने शिष्यों को बुलाकर उनमें से बारह चुन लिये और उनको ‘प्रेषित’ कहा।
-लूका 6.12, 13

शिष्यों को प्रबोध- इन बारह शिष्यों को युशी ने आज्ञा देकर भेजा और कहा कि देखो, मैं तुम्हें भेड़ों की तरह भेड़ियों के बीच भेजता हूं, अत: सांपों की तरह बुद्धिमान और कबूतरों की तरह भोले बनो। परंतु मनुष्यों से सावधान रहो, क्योंकि वे तुम्हें अदालत के हवाले करेंगे और अपने प्रार्थना-स्थलों में तुम्हें कोड़े मारेंगे और वे तुम्हें मेरे लिए हाकिमों और राजाओं के पास ले जायेंगे, ताकि वे हाकिम और राजा तथा विदेशी प्रमाणों के साथ मान लें कि तुम अपराधी हो। पर जब वे तुम्हें उनके हवाले करेंगे तो यह चिन्ता न करना कि हम किस रीति से या क्या कहेंगे, क्योंकि जो कुछ तुमको कहना होगा, उसकी प्रेरणा उसी घड़ी तुम्हें दी जायेगी, क्योंकि बोलने वाले तुम नहीं हो, परंतु तुम्हारे पिता की आत्मा ही तुममें बोलती है। जो मैं तुम्हें अंधेरे में कहता हूं, वह तुम उजाले में कहो और जो चुपके से कान में सुनते हो, उसका छत पर चढ़कर प्रचार करो। यह न समझो कि मैं पृथ्वी पर अमन-चैन कराने आया हूं, मैं अमन-चैन कराने नहीं, तलवार चलवाने आया हूं। मैं तो आया हूं कि बेटे को उसके पिता से और बेटी को उसकी मां से और बहू को उसकी सास से अलग कर दूं। मनुष्य के वैरी उसके घर के ही लोग होंगे। जो माता या पिता को मुझसे अधिक प्रिय मानता है, वह मेरे योग्य नहीं और जो पुत्र और पुत्री को मुझसे अधिक प्रिय मानता है, वह भी मेरे योग्य नहीं और जो अपना क्रूस (वध-स्तम्भ) लेकर मेरे पीछे न चले, वह भी मेरे योग्य नहीं।
-मत्ती 10.16-20, 27, 34-38

गुरु-महिमा- यीशु यूहन्ना के विषय में लोगों से कहने लगा कि तुम जंगल में क्या देखने गये थे? क्या कोमल वस्त्र पहने हुए मनुष्य को? देखो, जो कोमल वस्त्र पहनते हैं, वे राज भवनों में रहते हैं। तुम क्यों गये थे? क्या किसी संदेष्टा को देखने? हां, मैं तुमसे कहता हूं, जो संदेष्टा से भी बढ़कर है, उसे देखने। यह वही है, जिसके विषय में लिखा है कि देख, मैं अपने दूत को तेरे आगे भेजता हूं, जो तेरे आगे तेरा मार्ग तैयार करेगा। मैं तुमसे सच कहता हूं कि जो स्त्रियों से जनमे हैं, उनमें से कोई यूहन्ना, बपतिस्मा देने वाले से बड़ा नहीं हुआ; पर जो ईश्वर के राज्य में छोटे-से-छोटा व्यक्ति है, वह भी उससे बड़ा है। -मत्ती 11.7-11

शिष्यों का आवाहन- हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे हुए लोगों, मेरे पास आओ, मैं तुम्हें विश्राम दूंगा, क्योंकि मेरा जुआ आसान और मेरा बोझ हलका है। -मत्ती 11.28, 30

सच्चे बन्धु कौन?- जब वह लोगों से बातें कर ही रहा था, तो उसकी माता और भाई खड़े थे और उससे बातें करना चाहते थे। किसी ने उससे कहा कि देख, तेरी माता और तेरे भाई बाहर खड़े हैं और तुझसे बातें करना चाहते हैं। यह सुन उसने कहने वाले को उत्तर दिया कि कौन है मेरी माता और कौन हैं मेरे भाई? और अपने शिष्यों की ओर अपना हाथ बढ़ाकर कहा कि देखो, मेरी माता और भाई ये हैं, क्योंकि जो कोई मेरे परमपिता की इच्छा पर चले, वही मेरा भाई, बहन और माता है।
-मत्ती 12.46-50

बोआई और उपज- उसी दिन यीशु घर से निकलकर झील के किनारे जा बैठा और उसके पास ऐसी बड़ी भीड़ इकट्ठी हुई कि वह नाव पर चढ़ गया, सारी भीड़ किनारे पर खड़ी रही और उसने उनसे दृष्टान्तों में बहुत-सी बातें कहीं कि देखो, एक बीज बोने निकला। बोते समय कुछ बीज मार्ग के किनारे गिरे और पक्षियों ने आकर उन्हें चुग लिया। कुछ पथरीली भूमि पर गिरे, जहां उन्हें बहुत मिट्टी न मिली और गहरी मिट्टी न मिलने के कारण वे जल्द उग आये। पर सूरज निकलने पर वे जल गये और जड़ न मिलने से सूख गये। कुछ झाड़-झंखाड़ों में गिरे और झाड़-झंखाड़ों ने बढ़कर उन्हें दबा डाला, पर कुछ अच्छी भूमि पर गिरे और फल लाये, कोई सौ गुना, कोई साठ गुना, कोई तीस गुना। जिसके कान हों, वह सुन लें। -मत्ती 13.1-9

Sarvodaya Jagat

Share
Published by
Sarvodaya Jagat

Recent Posts

सर्वोदय जगत (16-31 अक्टूबर 2024)

Click here to Download Digital Copy of Sarvodaya Jagat

1 month ago

क्या इस साजिश में महादेव विद्रोही भी शामिल हैं?

इस सवाल का जवाब तलाशने के पहले राजघाट परिसर, वाराणसी के जमीन कब्जे के संदर्भ…

1 month ago

बनारस में अब सर्व सेवा संघ के मुख्य भवनों को ध्वस्त करने का खतरा

पिछले कुछ महीनों में बहुत तेजी से घटे घटनाक्रम के दौरान जहां सर्व सेवा संघ…

1 year ago

विकास के लिए शराबबंदी जरूरी शर्त

जनमन आजादी के आंदोलन के दौरान प्रमुख मुद्दों में से एक मुद्दा शराबबंदी भी था।…

2 years ago

डॉक्टर अंबेडकर सामाजिक नवजागरण के अग्रदूत थे

साहिबगंज में मनायी गयी 132 वीं जयंती जिला लोक समिति एवं जिला सर्वोदय मंडल कार्यालय…

2 years ago

सर्व सेवा संघ मुख्यालय में मनाई गई ज्योति बा फुले जयंती

कस्तूरबा को भी किया गया नमन सर्वोदय समाज के संयोजक प्रो सोमनाथ रोडे ने कहा…

2 years ago

This website uses cookies.