गांधी शांति प्रतिष्ठान के तत्वाधान में 11 सितम्बर को आचार्य विनोबा की 128 वीं जयंती का कार्यक्रम शास्त्री भवन, खलासी लाइन में मनाया गया. विनोबा के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए उत्तर प्रदेश खादी ग्रामोद्योग महासंघ के अध्यक्ष सुरेश गुप्ता ने कहा कि भूदान आंदोलन के प्रणेता, महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा रैमन मैग्सेसे पुरस्कार व भारत रत्न से सम्मानित आचार्य विनोबा भावे एक आध्यात्मिक धर्मगुरु होने के साथ ही एक समाज सुधारक भी थे. उन्होंने अपना जीवन गरीबों और दबे कुचले वर्ग के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया.
महात्मा गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष दीपक मालवीय ने कहा कि विनोबा, सामुदायिक नेतृत्व के लिए 1958 में रैमन मैग्सेसे पाने वाले पहले भारतीय थे. वे शुरुआती दौर से ही आध्यात्मिक रुझान के व्यक्ति थे. 1916 में उन की मुलाकात महात्मा गांधी से हुई, बापू ने उनका परिचय राष्ट्र से कराया और उन्हें पहला सत्याग्रही घोषित किया. संत विनोबा ने भूदान आंदोलन के जरिए लगभग 48 लाख एकड़ भूमि दान में प्राप्त की. उन्होंने अध्यात्म और विज्ञान के समन्वय पर जोर दिया तथा आचार्य कुल के जरिए देश में गांधी और आध्यात्मिक मूल्यों के लिए कार्य किया तथा देश में शांति और सद्भाव के लिए शांति सेना की स्थापना की. कार्यक्रम में शंकर सिंह, देव कुमार, कृष्ण कुमार अवस्थी, खान फारुक, अजीत कोठे तथा लक्ष्मी कन्नौजिया आदि उपस्थित थे.
–अजीत कोठे
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