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कर्नाटक लिख रहा है सक्सेस स्टोरी

सौर ऊर्जा क्षेत्र

बंगलूरु में 5,000 से अधिक उपभोक्ता सौर ऊर्जा पैनलों का उपयोग कर रहे हैं, उनमें से 3,000 से अधिक आवासीय भवन हैं और बाकी बेंगलुरु महानगर पालिका सीमा में स्थित उद्योग और पोल्ट्री फार्म हैं।

बिजली की किल्लत से जूझने वाले राज्य से बिजली की अधिकता वाला राज्य होने तक, कर्नाटक ने 360 डिग्री का घुमाव देखा है। राज्य ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में अपनी सफलता की एक कहानी लिखी है। हालांकि, अभी यह सफलता बड़े पैमाने पर सरकारी स्तर पर ही दर्ज की जा रही है, सामान्य लोगों और निजी संगठनों द्वारा इस रणनीति को अपनाने और सौर ऊर्जा के उत्पादन में राज्य की हिस्सेदारी में योगदान करने की प्रगति धीमी ही रही है।


2014 में इसके कार्यान्वयन से लेकर अब तक के आठ वर्षों में बंगलोर विद्युत आपूर्ति कंपनी (बेस्कॉम) के अधिकार क्षेत्र में आने वाले सोलर रूफटॉप फोटोवोल्टिक संयंत्रों ने बीते वर्ष के माह नवंबर तक 61।74 मेगावाट विद्युत उत्पादन का लक्ष्य छूते हुए कुछ वृद्धि देखी है। वर्ष 2014, 0।11 मेगावाट की संचयी क्षमता के साथ समाप्त हुआ था, इसका अर्थ है कि आठ वर्षों में संचयी क्षमता में 61।63 मेगावाट की वृद्धि हुई है। हालांकि, बेस्कॉम के अधिकारियों ने स्वीकार किया कि बेस्कॉम के क्षेत्राधिकार में कुल सौर ऊर्जा उत्पादन की क्षमता 210 मेगावाट है।

पांच हजार उपभोक्ता
5,000 से अधिक उपभोक्ता सौर ऊर्जा पैनलों का उपयोग कर रहे हैं, उनमें से 3,000 से अधिक आवासीय भवन हैं और बाकी बेंगलुरु महानगर पालिका सीमा में स्थित उद्योग और पोल्ट्री फार्म हैं। दिसम्बर-2022 की शुरुआत में, बेसकॉम ने केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा प्रायोजित ग्रिड कनेक्टेड रूफटॉप सोलर स्कीम का दूसरा चरण भी लागू करना शुरू कर दिया है, जिसका लंबे समय से इंतजार था।

बेसकॉम के डिमांड साइड मैनेजमेंट विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जनवरी 2023 तक हम योजना के तहत 10 मेगावाट का आवंटन पूरा कर लेंगे। सौर ऊर्जा के लिहाज से हम देश में बहुत अच्छा कर रहे हैं, क्योंकि उत्पादन के मामले में हम गुजरात और मध्य प्रदेश के बाद तीसरे स्थान पर हैं।

2018 में एक हेलीकॉप्टर, जो लाइट डिटेक्शन और रेंजिंग नामक तकनीक से लैस था, ने रूफटॉप सोलर एनर्जी उत्पन्न करने की क्षमता का मानचित्रण करते हुए पूरे शहर में उड़ान भरी। यह परियोजना, बेस्कॉम, सेंटर फॉर स्टडी ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी एंड पॉलिसी और कर्नाटक रिन्यूएबल डेवलपमेंट लिमिटेड के बीच एक समझौता थी। इस टूल ने ग्राहकों को बेस्कॉम वेबसाइट पर अपनी छतों की सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता का पता लगाने में मदद की।

सीएसटीईपी, जिसने उपकरण विकसित किया था, ने बताया कि अब तक आवासीय क्षेत्र से 32,000 उपयोगकर्ताओं के नाम दर्ज किए गए थे। सीएसटीईपी में नवीकरणीय ऊर्जा के वरिष्ठ विशेषज्ञ सप्तक घोष ने कहा कि इमेजरी को अपडेट करने के लिए फंडिंग की कमी है। बेंगलुरु जैसे शहरी फैलाव में, नए निर्माणों के साथ परिदृश्य तेजी से बदलता है। इमेजरी 2018 में एकत्र की गई थी और इसे बाद में जल्द से जल्द अपडेट करने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि यदि जल्द ही कोई सरकारी विभाग या नेक लोग इसे फंड नहीं करते, तो इस टूल के बेकार हो जाने की संभावना है।

आगे की चुनौतियाँ और योजनाएँ
उपभोक्ताओं के अनुसार, रूफटॉप सोलर पैनल स्थापित करते समय सबसे बड़ी चुनौती लालफीताशाही के साथ-साथ विक्रेताओं के बीच भ्रष्टाचार की है। राजराजेश्वरीनगर के निवासी कृष्ण मूर्ति कहते हैं कि मेरे पड़ोसी और मैं वर्षों से इन पैनलों को प्राप्त करने की योजना बना रहे हैं। हालांकि, जब हम सीधे बेस्कॉम से संपर्क करते हैं, तो हमें मंजूरी नहीं मिलती है और जब हम विक्रेताओं से संपर्क करते हैं, तो वे हजारों में रिश्वत मांगते हैं।

बेसकॉम के अधिकारियों ने कहा कि इस तरह की समसस्याओं से बचने के लिए उपभोक्ताओं को कंपनी के सोलर रूफटॉप पोर्टल का उपयोग करना चाहिए और उनकी इंस्टालेशन के लिए सूचीबद्ध विक्रेताओं में से एक का चयन करना चाहिए। डीएसएम, बेस्कॉम के एक अधिकारी ने कहा कि इंस्टॉलेशन के लिए आवश्यक न्यूनतम क्षेत्र 100 वर्ग फीट है और स्वीकृत भार के अनुसार, अब कोई भी अपने पोर्टल की मदद से सब्सिडी के साथ इंस्टॉलेशन करवा सकता है। अधिकारी ने यह भी कहा कि पैनल दक्षता बढ़ाने और संयंत्र की लागत को कम करने के लिए हाइब्रिड इनवर्टर और तकनीकी सुधार सहित इसके सिस्टम में उन्नति भी की गई है, जिससे इसकी लागत 80 हजार-1 लाख प्रति किलोवाट से घटकर 50 हजार प्रति किलोवाट हो जाएगी।

बेसकॉम, सौर पैनल इंस्टालेशन के बारे में अधिक जागरूकता पैदा करने के लिए कई कदम भी उठा रही है। बेस्कॉम के प्रबंध निदेशक महंतेश बिलागी ने कहा कि हम जागरूकता फैलाने के लिए अपने सोशल मीडिया पेजों के साथ-साथ अपनी वेबसाइट का उपयोग कर रहे हैं। हम अपनी विद्युत अदालतों के दौरान भी योजनाओं का प्रचार कर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत की संचयी रूफटॉप सौर क्षमता लगभग 8।3 गीगावाट है, सितंबर 2022 के अंत तक कर्नाटक की हिस्सेदारी लगभग 5% थी।

मेरकॉम इंडिया, जो स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में काम करती है, की प्रबंध निदेशक प्रिया संजय ने कहती हैं कि अगर सरकार नए अपार्टमेंट और हाउसिंग कॉम्प्लेक्स के लिए रूफ-टॉप सोलर या सोलर कारपोर्ट लगाना अनिवार्य कर देती है, तो इससे सेक्टर में ग्रोथ को और अधिक बढ़ावा मिल सकता है।

-द हिन्दू (अनुवाद-अवनीश कुमार पाण्डेय)

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