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तीसरा पड़ाव: खामगांव में हुई ऐतिहासिक सभा

साबरमती सन्देश यात्रा महाराष्ट्र राज्य के अकोला से निकलकर 18 अक्टूबर की दोपहर खामगांव पहुंची। शहर के बाहर ही सभी यात्री बस से उतरकर हाथ में बैनर लिए पैदल मार्च करते हुए नारे और गीत के साथ तिलक चौक पहुंचे. यहाँ भी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया व उनकी मूर्ति की सफाई की गई। इसके बाद संविधान चौक पहुंचकर गांधी बगीचा में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पुतले को बच्चों के हाथों से माल्यार्पण कराया गया। यहाँ स्थानीय साथियों व तरुणाई फाउंडेशन द्वारा यात्रियों को स्वल्पाहार कराया गया. वहां से स्वर्गीय भास्कर राव शिंगणे कॉलेज के लिए प्रस्थान हुआ। खामगांव में ऐतिहासिक सभा हुई। 

सभा में गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कुमार प्रशांत और यात्रा के संयोजक गांधी स्मारक निधि के सचिव संजय सिंह ने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि हम सरकार को राष्ट्रीय धरोहरों को नष्ट करने का अधिकार नहीं दे सकते। साबरमती आश्रम उस ऐतिहासिक नमक आंदोलन का गवाह है, जिसने अंग्रेजी साम्राज्यवाद की चूलें हिला दी थीं। यह देश के लिए श्रद्धा और प्रेरणा का स्थान है। हम इसे सत्ताधीशों की सनक का शिकार नही बनने देंगे।

महात्‍मा गांधी हमेशा ही उस विश्‍व के लिए एक प्रेरणास्रोत बने रहेंगे, जिसमें हम रहते हैं। यही वे बातें थीं, जिन पर मार्टिन लूथर किंग का अटूट विश्‍वास था. मैं उन्हें उद्धृत करता हूँ: ”गांधी अवश्‍यम्‍भावी थे, यदि मानवता को प्रगति करनी है, तो गांधी के मार्ग से बचा नहीं जा सकता। उन्‍होंने अपना जीवन जिया, विचार किया और उसी के हिसाब से कार्य किया, जो शांति एवं सामंजस्‍य के एक विश्‍व की दिशा में उभरती मानवता का आदर्श था। हम गांधी जी को अपने जोखिम पर ही नजरअंदाज कर सकते हैं।“

एक ऐसी विभूति, जिसने शांति और अहिंसा का उपदेश दिया, एक ऐसे विश्व में उसकी प्रासंगिकता बढ़ गयी है, जो ऐसे हथियारों से भरा हुआ है, जो हमारे इस ग्रह को 100 बार नष्ट कर सकते हैं. एक ऐसा मनुष्य, जिसने घृणा को प्रेम से जीतना चाहा, वह ऐसे विश्व में क्यों न प्रासंगिक हो, जहां आतंकवाद वैश्विक नासूर बन गया है. एक ऐसा मनुष्य, जिसने गरीबों की वेशभूषा सम्मान के प्रतीक के रूप में अपनाई, आज उसकी विरासत की रक्षा करना विश्व का आपद्धर्म हो गया है.

इस अवसर पर राजेंद्र सिंह राणा, आशा बोथरा, सुगन बरंठ, अशोक भारत, डॉ विश्वजीत, शेख हुसैन, अरविंद कुशवाहा आदि लोगों ने भी अपनी बात रखी। यात्रा में जगह जगह सर्व धर्म प्रार्थना, गोष्ठी, जन संवाद एवं आदि कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं ।

Co Editor Sarvodaya Jagat

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