लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान का गठन पिछले दिनों समाज में सक्रिय विभिन्न समूहों और व्यक्तियों द्वारा मिलकर किया गया है। इसमें गांधीवादी, लोहियावादी, अंबेडकरवादी, मार्क्सवादी और अनेक स्वतंत्र समूह शामिल हैं। आज हमारे देश में लोकतंत्र को बर्बाद करने के लिए चुनाव आयोग, मीडिया, न्यायपालिका, संसद और मंत्रिमंडल को पंगु बना दिया गया है। चुनाव प्रक्रिया में जनता के बदले पैसे का महत्व हो गया है।
सरकार पूंजीपतियों के पैसे पर चल रही है। अभी गुजरात में पुल हादसे में सैकड़ों लोगों की जान चली गई, पर जिस पूंजीपति पर पुल मरम्मत की जिम्मेदारी थी, उसे गिरफ्तार नहीं किया गया। उल्टे गलत तरीके से इलेक्टोरल बांड जारी कर दिया गया है, जिससे पूंजीपति अरबों रूपए का बांड खरीद कर पार्टी को घूस दे दे और किसी को पता न चले। इसी इलेक्टोरल बांड के जरिए देशी और विदेशी पूंजीपतियों द्वारा सैकड़ों अरब रुपए घूस में दिये जा रहे हैं। यही कारण है कि सरकार पूंजीपतियों के लिए फायदेमंद और जनविरोधी नीतियों को लागू कर रही है। ज्यादातर टैक्स गरीबों पर लगाया जा रहा है और पूंजीपतियों को लाखों करोड़ रुपए का लाभ दिया जा रहा है। इसी कारण देश में मंहगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है। चीनी और अन्य विदेशी कंपनियों को भी इलेक्टोरल बांड में चंदा देने की छूट है। इसलिए चीन के हमले के बाद उससे व्यापार दसगुना बढ़ गया है।
जनता को बरगलाकर वोट पाने केलिए हमेशा सांप्रदायिकता, जातिवाद, क्षेत्रवाद आदि का सहारा लिया जाता है। इससे हमारे राष्ट्र के बंट जाने का खतरा फिर से पैदा हो गया है। ऐसे दंगों के कारण ही भारत आजादी के वक्त विभाजित हुआ था। इसके जिम्मेदार वही लोग हैं, जो आज अखंड भारत का झूठा नारा देते हैं। क्या वे पाकिस्तान, बंगलादेश आदि के बहुसंख्यक मुसलमानों को भारत में आने दे सकते हैं? इनका प्रयास चलता रहा तो हमारा भारत फिर टुकड़ों-टुकड़ों में बंट जायेगा। दक्षिण भारतीयों पर हिंदी लादने की कोशिश उन्हें भारत से अलग कर दे सकती है। असम आदि क्षेत्रों में गौमांस का मुद्दा बहुत संवेदनशील है। पंजाब और कश्मीर को आप बिना सौहार्द के साथ नहीं रख सकते हैं। फिर बचेगा क्या, सिर्फ मध्य भारत?
इनका असली लक्ष्य अखंड भारत बनाना नहीं है। असली उद्देश्य बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर के नेतृत्व में काफी विचार विमर्श के बाद बनाये गये संविधान को रद्द कर मनुवादी व्यवस्था लागू करना है। आज ज्यादातर अल्पसंख्यकों को दुश्मन बताकर उन्हें उत्पीड़ित किया जा रहा है। दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों का भी उत्पीड़न जारी है। आरक्षण को किसी बहाने से बर्बाद करने की कोशिश हो रही है। मनुवादी व्यवस्था लागू करने के बाद महिलाओं के भी सारे अधिकार छीन लिए जायेंगे। पढ़ने तक का हक नहीं रहेगा। देश पर सिर्फ ऊंची जाति के खास लोगों का कानून चलेगा। अनेक ऊंची जाति के लोग भी इससे सहमत नहीं हैं, पर वे पूंजीपतियों की मदद से ताकतवर होते जा रहे हैं। इसलिए यह जरूरी है कि मनुवाद विरोधी सारे लोग एकजुट हों और अहिंसक तरीके से लोकशक्ति को खड़ा करें।
इसी हेतु आगामी 26 नवंबर 2022, शनिवार को दिन के 2 बजे से भागलपुर जिले के सामाजिक कार्यकर्ताओं का एक सम्मेलन मुस्लिम माइनॉरिटी महाविद्यालय, पर्वत्ती में आयोजित किया जा रहा है।
-लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान-राम शरण
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