वर्धा जिला सर्वोदय मंडल व मित्र मंडली द्वारा किसान अधिकार अभियान के वर्धा कार्यालय में पुणे के युवा गांधी विचारक संकेत मुनोत के साथ स्थानीय गांधीजनों का मुक्त संवाद हुआ. हाल के दिनों में संकेत मुनोत सोशल मीडिया पर एक बहुचर्चित उपक्रम Knowing Gandhi चलाने के लिए जाने गये. इस चर्चित ट्रेंड के बाद महाराष्ट्र के युवा गांधी जी के बारे में अपनी जानकारी और मत में आये बदलाव को स्वीकार करते हैं. संकेत मुनोत खुद भी कभी इसी तरह की प्रक्रिया से गांधी विचार की ओर आकर्षित हुए थे और अब वे पूरी तरह गांधी विचार के समर्थ व्याख्याता और शिक्षक के रूप में ढल चुके हैं. वे विदर्भ अपने साथियों से मिलने आये थे. उनके आने की खबर मिलने पर स्थानीय युवाओं ने उनसे मिलने और उनके साथ मुक्त चिन्तन संवाद का यह कार्यक्रम रखा.
इस मुक्त संवाद में इन विन्दुओं पर सहमति बनी-
आज गांधी जी के खिलाफ कोई भी कभी भी बेरोकटोक बोल देता है. भारत के राष्ट्रपिता के खिलाफ भारत में कुछ भी मनगढंत और बेतुकी बातें कहने की इस दौर में आज़ादी है. गांधी जी को लांछित करने का यह अभियान राइटिस्ट संगठनों और उनके लोगों द्वारा खुलेआम चलाया जा रहा है. गांधी जी और उनके समकालीन महापुरुषों व नेताओं के बीच वैचारिक मतभेदों का मनगढ़ंत विद्रूप फैलाकर समाज की जड़ों में विष डाला जा रहा है. .वे योजनापूर्वक झूठी और बनावटी बातें इस तरह फैलाते हैं ताकि वे अधिक से अधिक किशोरों और युवाओं का ब्रेन वाश कर सकें. ऐसा नहीं है कि वे सच को जानते नहीं. वे योजनापूर्वक तथ्यों को छिपाते हैं और गढ़ी हुई बातें युवाओं के बीच बांटते हैं. ऐसा करते हुए उन्हें क़ानून का भी कोई भय नहीं होता, क्योंकि क़ानून के रखवालों के हाथ उनके सिर पर होते हैं. अगर यह बेशर्मी भरी मानसिकता न होती तो देश की सर्वोच्च अदालत द्वारा बापू की हत्या के दोषी ठहराकर फांसी पर चढाये जा चुके एक हत्यारे का ऐसा महिमामंडन संभव ही नहीं था. देश का क़ानून स्वतःसंज्ञान लेकर भी इस कुत्सित अभियान को जब चाहे, रोक सकता है.
इतना ही नहीं कि यह विरोध किसी व्यक्ति का हो रहा हो, यह पूरा अभियान एक विचारधारा के खिलाफ है. देश के राष्ट्रीय मानस के खिलाफ है. उन लोगों को यह अहसास भी नहीं है अपने मन की कालिख उड़ाने का यह अभियान चलाते हुए वे धर्म और धर्मशास्त्रों के खिलाफ भी किस तीव्रता से सक्रिय हैं. सत्य अहिंसा, सर्वधर्म समभाव, समता, न्याय, दया, करुणा हमारे जीवन मूल्य हैं. इन्हीं मूल्यों ने हमें वसुधैव कुटुम्बकम का दर्शन दिया है. ये लोग इन मूल्यों और अपने पूर्वजों, मनीषियों के दिए जीवन दर्शन के भी खिलाफ काम कर रहे हैं.
इन भ्रांतियों को कमजोर करने के लिए हमें वर्तमान सोशल मीडिया का कुशल उपयोग करते हुए सच को समाज के समक्ष प्रस्तुत करना चाहिए. हमें सत्य को समाज के सामने रखते हुए सामाजिक एकत्व मे दरार न आए और सामाजिक सरोकार बने रहें, इसकी कोशिश करनी चाहिए. फैलाए जा रहे हर प्रोपोगैंडे की निर्भीक और निष्पक्ष जांच पड़ताल करके सप्रमाण उनके जवाब सतत समाज में रखने चाहिए. जनविरोधी और भेदभाव भरी इन सूक्ष्म और सत्ताकांक्षी योजनाओं का समय समय पर पर्दाफाश करते रहना चाहिए.
इस सर्व समावेशी चर्चा की शुरुआत में किसान अधिकार अभियान के मुख्य प्रेरक अविनाश काकड़े ने सर्व प्रथम अपनी भूमिका रखी और उपस्थित युवाओं से संकेत मुनोत का परिचय कराया. संकेत मुनोत के सम्बोधन के बाद सभी ने चर्चा में मुक्त भागीदारी की. सर्वोदय मंडल के सचिव कन्हैया छांगड़ी ने अंत में सबका स्वागत किया और प्रवीण काटकर ने सबका आभार व्यक्त किया. कार्यक्रम में अमित त्यागी, किरण ठाकरे, प्रवीण काटकर, पराग खंगार, जालंधर भाई, मनोज तायडे, पंकज इंगोले, गोपाल दुधाने, सुदामा पवार, नूतन मालवीय, मालती ताई देशमुख, सुयश तोशनीवाल, अद्वैत देशपांडे, पंडित चन्नोले, श्रीकांत त्रीपाठी, दिनेश काकड़े, प्रफुल्ल कुकड़े, चंद्रकांत ढंगे, अनंतराव ठाकरे, ज्ञानेश्वर भाऊ ढंगे, विजय चरड़े, मयूर राऊत, मंगेश शेंडे आदि उपस्थित रहे.
– कन्हैया छांगड़ी
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