नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज को रद्द कराने की मांग लेकर 22 जून को काफी बड़ी संख्या में पहुंचे आन्दोलनकारियों को नियंत्रित करने में पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी। हालाँकि बाद में लातेहार विधायक वैद्यनाथ राम ने प्रदर्शनकारियों से इस दिशा में सकारात्मक पहल करने का आश्वासन देकर हंगामे को शांत कराया। बाद में आंदोलनकारियों ने फायरिंग रेंज की अवधि न बढ़ाते हुए अधिसूचना को रद्द करने को लेकर मुख्यमंत्री को सम्बोधित एक ज्ञापन स्थानीय अधिकारियों को सौंपा। मौके पर एसडीपीओ संतोष मिश्रा, बीडीओ मेघनाथ उरांव, थाना प्रभारी अमित कुमार गुप्ता भी काफी सक्रिय रहे। वहीं कांग्रेस पार्टी के जिला अध्यक्ष मुनेश्वर उरांव ने भी नेतरहाट रेंज के विरोध को समर्थन दिया। केन्द्रीय जनसंघर्ष समिति से जुड़े आंदोलनकारियों ने तत्कालीन बिहार सरकार द्वारा 1999 में जारी अधिसूचना को ही रद्द करने की मांग की है। इस अधिसूचना के अनुसार नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज को 11 मई 2022 तक अवधि विस्तार दिया गया था।
समिति के केन्द्रीय सचिव जेरोम जेराल्ड कुजूर ने बताया कि विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त सूचना के अनुसार सेना द्वारा नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज का अवधि विस्तार 2042 तक बढ़ाने हेतु राज्य सरकार के पास प्रस्ताव भेजा गया है। हमारी मांग है कि फायरिंग रेंज की अवधि न बढ़ाते हुए अधिसूचना को रद्द किया जाये।
कुजूर ने कहा कि यह पूरा इलाका भारतीय संविधान की पांचवीं अनुसूची के अंतर्गत आता है और यहाँ पेसा एक्ट-1996 भी लागू है, जिस कारण ग्राम सभाओं को अपने क्षेत्र के सामुदायिक संसाधन – जंगल, ज़मीन, नदी-नाले और अपने विकास के बारे में हर तरह के निर्णय लेने का अधिकार है। प्रभावित क्षेत्र की ग्रामसभा ने बैठक करके अपनी ज़मीन नहीं देने का निर्णय लिया है। हमलोग पांचवी अनुसूची से आच्छादित क्षेत्रों में ग्रामसभाओं के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने की मांग कर रहे हैं। विदित हो कि नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज को रद्द कराने के लिए केन्द्रीय जनसंघर्ष समिति पिछले 28 सालों से आन्दोलन कर रही है।
जानें क्या है नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज
एकीकृत बिहार के समय 1954 में मैनूवर्स फील्ड फायरिंग आर्टिलरी प्रैटिक्स एक्ट-1938 की धारा 9 के तहत नेतरहाट पठार के 7 राजस्व गाँवों को तोपाभ्यास (तोप से गोले दागने का अभ्यास) करने के लिए अधिसूचित किया गया था। 1991 और 1992 में तत्कालीन बिहार सरकार ने नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के लिए अधिसुचना जारी की, जिसमें उन्होंने अवधि का विस्तार करते हुए इसकी अवधि 1992 से 2002 तक कर दी। इस अधिसूचना के तहत केवल अवधि का ही विस्तार नहीं किया गया, बल्कि क्षेत्र का भी विस्तार करते हुए 7 गाँव से बढ़ाकर 245 और गाँवों को अधिसूचित कर दिया गया।
बाद में 1991 व 1992 की अधिसूचना के समाप्त होने के पूर्व ही तत्कालीन बिहार सरकार ने 1999 में अधिसूचना जारी करके 1991-92 की अधिसूचना की अवधि का विस्तार कर दिया, जिसके आधार पर यह क्षेत्र 11 मई 2022 तक प्रभावित रहने वाला है।
– रूपेश कुमार
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