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पदाधिकारियों द्वारा गांधी आश्रमों की ज़मीनें बेचे जाने पर रोष

यह कमेटी सभी गांधी संस्थाओं से मिलेगी और सबसे बात करके एक खादी फोरम का गठन किया जाएगा। यह फोरम संस्थाओं के रुके हुए पैसे और बैंकों द्वारा परेशान किए जाने की समस्या को उठाएगा।

सर्वोदय और गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ताओं ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान स्थापित श्री गॉंधी आश्रमों की ज़मीनों को वर्तमान पदाधिकारियों द्वारा बेचे जाने पर गहरा रोष प्रकट किया है. खादी संस्थाओं को इस संकट से उबारकर, विशेषकर कपास किसानों, सूत कातने वालों और बुनकरों के हित में उसका गौरव वापस बहाल करने का संकल्प भी लिया गया है. इसके लिए उत्तर प्रदेश गांधी स्मारक निधि, गांधी भवन, लखनऊ के संग्रहालय सभागार में 27 दिसम्बर को उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल एवं खादी संस्थाओं के प्रतिनिधियों की एक बैठक उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष राम धीरज की अध्यक्षता में संपन्न हुई.
बैठक में बीबीसी के पूर्व संवाददाता और सर्वोदय जगत के अतिथि संपादक रामदत्त त्रिपाठी ने कहा कि खादी, आजादी के लिए लड़ने वालों की वर्दी थी, ईमानदारी और देशभक्ति का प्रतीक थी। आज खादी की भावना मर गई है। खादी संथाएं समाज की धरोहर हैं और उनकी ज़मीनें बेचना गंभीर मामला है. उन्होंने कहा कि हमें खादी के कपड़े को लोगों की जरूरत के आधार पर नए डिजाइन और फैशन के अनुसार बनाना होगा, क्योंकि खादी स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के अनुकूल हैं और इससे करोड़ों लोगों को रोज़गार मिल सकता है. सीतापुर गांधी आश्रम के मंत्री नथुनी पांडेय ने कहा कि खादी कमीशन की नीतियां खादी की बर्बादी के लिए जिम्मेदार हैं। प्रोत्साहन के लिए एमडीए का पैसा सरकार से नहीं मिल रहा, इसलिए खादी संस्थाएं डूब रही हैं। कुछ संस्थाओं में अपराधी क़िस्म के लोग तिकड़म करके क़ब्ज़ा कर रहे हैं और संस्थाओं की सम्पत्ति बेच रहे हैं. सरकार को इस दिशा में कार्रवाई करनी चाहिए.


कानपुर स्वराज्य आश्रम के मंत्री प्रेम सिंह ने कहा कि सरकार ने रिबेट देना बंद कर दिया है और रोज नए नए कानून बनाती है, इससे खादी की बिक्री प्रभावित हुई है। राम धीरज ने कहा कि गांधी जी के समय खादी समाज सेवकों का वस्त्र था, खादी राष्ट्रीय वस्त्र था, लेकिन आज खादी ठेकेदारों और बेईमानों का वस्त्र हो गया है। अब सर्वोदय मंडल इस मामले को अपने हाथ में लेगा. गांधी स्मारक निधि के सचिव लाल बहादुर राय ने कहा कि गांधी जी द्वारा बनाई गई खादी की संस्थाएं सरकार की नीतियों के कारण बर्बाद हो रही हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार संस्था की कोई भी जमीन बेची नहीं जा सकती, यह पब्लिक प्रापर्टी है, लेकिन फिर भी कुछ लोग संस्थाओं की जमीन अवैध तरीके से बेच रहे हैं।


बैठक में तय हुआ कि खादी कमीशन की गलत नीतियों और बेईमान मंत्रियों के खिलाफ सरकार को लिखा जायेगा तथा मीडिया को भी बताया जायगा और अगर सरकार नहीं सुनती है, तो कोर्ट की शरण लिया जायेगा। ज़रूरत होने पर धरना और सत्याग्रह भी किया जायेगा.


वक्ताओं ने कहा कि खादी संस्थाओं का अपना कोई फोरम नहीं है, इसलिए खादी की समस्याएं सरकार के सामने ठीक से नहीं उठाई जाती हैं। खादी संस्थाओं की समस्याओं को उठाने और उसके समाधान के लिए एक फोरम बनाने का भी तय हुआ। इसके लिए रामधीरज, अरविंद कुशवाहा और नाथुनी पांडेय की एक तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई। यह कमेटी सभी गांधी संस्थाओं से मिलेगी और सबसे बात करके एक खादी फोरम का गठन किया जाएगा। यह फोरम संस्थाओं के रुके हुए पैसे और बैंकों द्वारा परेशान किए जाने की समस्या को उठाएगा।


बैठक में सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय मंत्री अरविंद सिंह कुशवाहा, उन्नाव की पुतुल बहन, राजेंद्र मिश्र, ओम प्रकाश मिश्र, संजय राय, विनोद जैन, सत्येंद्र सिंह तथा अर्जुन पांडेय आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

-राजेन्द्र मिश्र

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