Political

पेगासस जासूसी : स्वतंत्रता का हरण

पेरिस के पत्रकारों की एक गैर-लाभकारी संस्था “Forbidden Stories” एवं एमनेस्टी इन्टरनेशनल ने 50 हजार फोन नंबरों की एक सूची जारी की और इन नंबरों के फोन टैपिंग की संभावना व्यक्ति की। ये जासूसी का काम पेगासस नामक डिजिटल जासूसी तंत्र किया गया, जिसे इजराइल के एनएसओ ग्रुप की साइबर शाखा द्वारा विकसित किया गया। इस डिजिटल जासूसी व्यवस्था को किसी भी मोबाइल फोन पर बिना फोन के स्वामी की जानकारी के डाला जा सकता है।


वाशिंगटन पोस्ट ने इस सूची में से 67 की जांच करने पर पाया कि इनमें से 37 में पेगासस स्पाईवेयर डाले जाने के स्पष्ट चिन्ह मिले। इस सूची में कई राष्ट्रपतियों एवं प्रधानमंत्रियों के नाम भी थे। वाशिंगटन पोस्ट ने यह भी खुलासा किया कि इन 37 लोगों में से 7 व्यक्ति भारत के थे। एनएसओ ने स्वीकार किया कि इस साफ्टवेयर का दुरुपयोग किया जा सकता है।


भारत में इस बात को लेकर राजनीतिक भूचाल आ गया। ये मामला उच्चतम न्यायालय तक पहुंच गया है। भारत सरकार को सिर्पâ एक छोटा-सा बयान देना चाहिए कि पेगासस द्वारा की गयी जासूसी गैर कानूनी है और यदि ये जासूसी गैर कानूनी नहीं है, तो भारत सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि इसकी अनुमति किसके द्वारा दी गयी। भारत सरकार को इस जासूसी की जानकारी कब से है।


भारत में इसे दो संदर्भों में समझना होगा। एक, सन् 1990 के बाद जन-संघर्षों से जुड़े मुद्दों के बजाय भटकाने वाले मुद्दे विमर्श में शामिल होते पाये गये। इसमें डिजिटल सूचना-संवाद तंत्र की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। दूसरे, नयी टेक्नोलॉजी, संवैधानिक तानाशाही की ओर ले जाने का माध्यम बन रही है तथा मानवीय व नागरिक स्वतंत्रता का हनन करने वाली है।


पहली बात विमर्श के संदर्भ में। सन् 1990 ई. के बाद, पूंजी के वैश्वीकरण, निजी क्षेत्र के विकास के नाम पर कारपोरेट जगत के वर्चस्व को स्थापित करने का काम तथा पूंजी को सार्वजनिक क्षेत्र से मुक्त कराने की नीति अपनाने का दबाव विश्वबैंक द्वारा डाला गया। फलस्वरूप देश उस रास्ते पर चल पड़ा। राजनीतिक दलों ने इससे ध्यान हटाने के लिए महत्त्वहीन एवं काल्पनिक भय के मुद्दों पर जनता में पूâट डालने व वैमनस्य पैâलाने के काम के लिए ऐसा दिखावा किया, मानो वे एक बड़ी वैचारिक लड़ाई लड़ रहे हैं। महाकाय कारपोरेट जो वैश्विक पूंजी/धन के तीन-चौथाई हिस्से का नियंत्रण रखते हैं, उन्होंने ऐसे कन्सल्टैन्ट रखे जो इस बात का अध्ययन करते रहते हैं कि जनता को किन मुद्दों पर अधिक से अधिक बांटा जा सकता है। जैसे धर्म, जाति, क्षेत्रीयता, अस्मिता आदि। इन अतिशय धनी कारपोरेट वर्ग के नियंत्रण में अर्थव्यवस्था, मीडिया, शैक्षणिक संस्थाएं एवं राजनीतिक प्रक्रियाओं के सूत्रधार आदि हैं, जो ‘जनमत’ का निर्माण करने के माध्यम बन जाते हैं। राजनीतिक विरोधियों को दुश्मन, देश-हित विरोधी एवं बुराई का प्रतीक बताने की शुरुआत इस प्रक्रिया का अंग है। आप असली बुराई के प्रतीक के रूप में विरोधी व्यक्तियों को चिन्हित करें। इस प्रकार समाज में आपके चयन के लिए झूठी एवं अतार्विâक प्रक्रिया को स्थापित किया जाने लगा। आप क्या चुनेंगे, यह स्वतंत्रता भी आपके हाथ में नहीं है। नकली बुराई को लक्ष्य बना दिया जाता है, ताकि असली बुराई की ओर आपका ध्यान ही न जाये।
पेगासस जैसी जासूसी तकनीक का उपयोग दुश्मन देश के नेताओं एवं देश के अंदर के विरोधियों की गतिविधियों/संपर्कों को जानने के लिए भी किया जाता है, कभी-कभी ब्लैकमेल करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।


समुदायों ने विभिन्न क्षेत्रों में आत्म निर्भरता वैâसे खोई, इसे समझ बिना स्वतंत्रता के खोने का अर्थ हम नहीं समझ सकते। पिछले २०० वर्षों से एक नीति चल रही है, जिसके अंतर्गत लोक समुदाय से छिन कर कृषि उत्पादन क्षेत्र, ऊर्जा क्षेत्र तथा अपनी मूल शिल्प-विधा जैसे सिलाई-बुनाई, बढ़ई, लोहारी, हथकरघा जैसे तमाम कारीगर आधारित व्यवसाय निरंतर बड़े उद्योगों एवं प्रकारांतर से कारपोरेट जगत के अधीन होते चले गये। वैश्विक बाजार एवं औपनिवेशिक मॉडल ने लोक समुदायों की स्वायत्ता एवं इनसे जुड़े व्यक्तियों की स्वतंत्रता का हनन किया। नयी जासूसी की तकनीक, स्वतंत्रता के हनन के दायरे में सबको समेटती जा रही है।

Admin BC

Share
Published by
Admin BC

Recent Posts

सर्वोदय जगत (16-31 अक्टूबर 2024)

Click here to Download Digital Copy of Sarvodaya Jagat

2 months ago

क्या इस साजिश में महादेव विद्रोही भी शामिल हैं?

इस सवाल का जवाब तलाशने के पहले राजघाट परिसर, वाराणसी के जमीन कब्जे के संदर्भ…

2 months ago

बनारस में अब सर्व सेवा संघ के मुख्य भवनों को ध्वस्त करने का खतरा

पिछले कुछ महीनों में बहुत तेजी से घटे घटनाक्रम के दौरान जहां सर्व सेवा संघ…

1 year ago

विकास के लिए शराबबंदी जरूरी शर्त

जनमन आजादी के आंदोलन के दौरान प्रमुख मुद्दों में से एक मुद्दा शराबबंदी भी था।…

2 years ago

डॉक्टर अंबेडकर सामाजिक नवजागरण के अग्रदूत थे

साहिबगंज में मनायी गयी 132 वीं जयंती जिला लोक समिति एवं जिला सर्वोदय मंडल कार्यालय…

2 years ago

सर्व सेवा संघ मुख्यालय में मनाई गई ज्योति बा फुले जयंती

कस्तूरबा को भी किया गया नमन सर्वोदय समाज के संयोजक प्रो सोमनाथ रोडे ने कहा…

2 years ago

This website uses cookies.