2 सितंबर को विरासत स्वराज यात्रा स्वीडन के केटीएच विश्वविद्यालय में थी। स्वीडन सरकार के इस विश्वविद्यालय में यहां के विशेषज्ञों के साथ मिलकर एक ‘बाढ़ और सुखाड़ विश्व जन-आयोग’ की शुरुआत की गई। सभी विशेषज्ञों ने सर्वसम्मति से राजेंद्र सिंह को इस आयोग की अध्यक्षता करने व परिषद का गठन करने की जिम्मेदारी सौंपी। इस जन-आयोग में 19 आयुक्त तथा 100 से अधिक वैज्ञानिक और विषय-विशेषज्ञ शामिल होंगे। यह जन-आयोग दुनिया भर से बाढ़ और सुखाड़ मुक्ति का काम करने वाले वैज्ञानिकों, योजनाकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं को ढूंढ़ने और जोड़ने का काम करेगा। जन-आयोग में ऐसे 300 लोगों की एक परिषद भी होगी। इसके गठन हेतु एक कमेटी बनायी गयी। अगले दो महीनों में इसके गठन की प्रक्रिया पूर्ण कर ली जाएगी. इसकी परिषद बनाने का काम 3 महीने में और जन-परिषद बनने का कार्य 6 महीने में पूरा होगा। इसका मुख्यालय स्वीडन में होगा।
यह जन-आयोग 1 जनवरी 2023 से 31 दिसंबर 2033 तक सरकार और समाज के लिए समर्पित लोगों का शिक्षण-प्रशिक्षण करके उनकी कुशलता बढ़ाने का काम करेगा। इसके अलावा बाढ़ और सुखाड़ मुक्ति के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ सहित सरकारों, संस्थाओं और समुदायों को हर वर्ष वार्षिक रिपोर्ट भेजकर, आगे काम करने की लिए विधि और प्रक्रिया सुझाएगा। आयोजन में उपस्थित प्रो आशुतोष तिवारी, मोहम्मद मुस्तफा और मोहम्मद हसन ने इस बाढ़-सुखाड़ जन-आयोग के विचार को ऐतिहासिक कदम बताया। अंत में राजेंद्र सिंह ने सभी को धन्यवाद दिया। इस बैठक के बाद राजेंद्र सिंह स्वीडन से भारत के लिए रवाना हो गये।
– तरुण भारत संघ
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