इस मनहूस लेकिन अपरिहार्य खबर का हम सब भारी मन से इंतजार कर ही रहे थे। अभी-अभी उनके बेटे ऋषि आनंद से बात हुई। आज सुबह 8.45 पर उन्होंने ने अंतिम सांस ली। बारह साढ़े बारह बजे के करीब उनकी पार्थिव देह को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जायेगा।
आज और अभी यह मर्मान्तक खबर पाकर हम सभी मर्माहत हैं कि हम सब के प्रिय और हरदिल अज़ीज़ वरिष्ठ साथी रमेशा पंकज का आज 18 दिसम्बर, रविवार को मुजफ्फरपुर स्थित उनके आवास पर देहांत हो गया. वे 65 वर्ष के थे. वे लगभग डेढ़ वर्ष से किडनी के कैंसर से पीड़ित थे. उनकी इस असाध्य बीमारी का पता मेदान्ता अस्पताल में जांच के दौरान चला था. राजीव गाँधी कैंसर अस्पताल के अलावा वाराणसी स्थित टाटा मेमोरियल अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. इस मनहूस लेकिन अपरिहार्य खबर का हम सब भारी मन से इंतजार कर ही रहे थे। अभी-अभी उनके बेटे ऋषि आनंद से बात हुई। आज सुबह 8.45 पर उन्होंने ने अंतिम सांस ली। बारह साढ़े बारह बजे के करीब उनकी पार्थिव देह को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जायेगा।
इस गम्भीर बीमारी के बावजूद स्व रमेश पंकज की जिजीविषा और उनका जीवट देखते ही बनता था. जीवन के प्रति उनकी ललक ने अंतिम समय तक उनके चेहरे का तेज कम नहीं होने दिया. इस पूरे दौर में इलाज के सिलसिले में अनेक बार वे वाराणसी आये और अपने आत्मबल से कई बार वे इस असाध्य बीमारी से उबरते भी दिखे,
इस गम्भीर बीमारी के बावजूद स्व रमेश पंकज की जिजीविषा और उनका जीवट देखते ही बनता था. जीवन के प्रति उनकी ललक ने अंतिम समय तक उनके चेहरे का तेज कम नहीं होने दिया. इस पूरे दौर में इलाज के सिलसिले में अनेक बार वे वाराणसी आये और अपने आत्मबल से कई बार वे इस असाध्य बीमारी से उबरते भी दिखे, लेकिन कल 17 दिसम्बर को अचानक उनकी तबियत बिगड़ने लगी और उन्हें ओक्सिजन का सपोर्ट देना पड़ा. उनकी स्थिति काफी नाज़ुक हो गयी थी. उनके खून में प्लेटलेट्स की संख्या गिरकर 38000 और हीमोग्लोबिन 5.2 रह गया था. ओक्सिजन के सहारे उन्होंने जैसे तैसे आज सुबह तक का समय काटा और अंततः हम सबसे अंतिम विदा ले ली. अपने पीछे वे बेटे बेटियों और नाती पोतों से भरा पूरा परिवार छोड़ गये हैं.
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