देश में भीषण बेरोज़गारी और बढ़ती आत्महत्याओं के खिलाफ पूरे बिहार को कवर करने निकली हल्ला बोल यात्रा 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस पर नालंदा पहुँची। बिहार शरीफ में स्थानीय युवाओं ने यात्रा का जोरदार स्वागत करते हुए शहर में बाइक रैली निकाली। रैली में बड़ी संख्या में शामिल युवा उत्साह से लबरेज थे।
बेरोज़गारी के खिलाफ 16 अगस्त को पश्चिम चम्पारण से शुरू हुई हल्ला बोल यात्रा बिहार के हर जिले में जा रही है। सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, दरभंगा होते हुए कोसी-सीमांचल क्षेत्र में भी लोगों ने दिल खोलकर यात्रा का स्वागत किया था। इसके बाद भागलपुर और मुंगेर जिला होते हुए बेरोज़गारी के खिलाफ चल रही यात्रा खगड़िया और बेगूसराय पहुंची। बिहार के सभी जिलों से होते हुए इस यात्रा का समापन 23 सितंबर को पटना में होगा। इसके बाद एक बड़े सम्मेलन के साथ राजधानी पटना में आंदोलन की आगामी रणनीति रखी जायेगी।
देश में बेरोज़गारी को राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बनाने में ‘युवा हल्ला बोल’ की अहम भूमिका रही है। यात्रा के दौरान न सिर्फ सिर्फ समस्याओं को चिन्हित किया जा रहा है, बल्कि संकट का समाधान भी बताया जा रहा है। बेरोज़गारी के समाधान के तौर पर ‘भारत रोज़गार संहिता’ का प्रस्ताव दिया गया है। ‘भारत रोज़गार संहिता’ को संक्षिप्त में भ-रो-सा कहा जा रहा है। यात्रा में शामिल पदयात्री सरकार से भरोसा मांग रहे हैं और इसी प्रस्ताव के इर्द गिर्द जनसमर्थन जुटा रहे हैं ताकि राष्ट्रव्यापी युवा आंदोलन की ज़मीन तैयार हो। साथ ही, हर जिले में हर स्तर पर नए नेतृत्व को तलाशकर उभारा जाए, जो आने वाले समय में आंदोलन को दिशा दे सके। पहले दिन से ही इस यात्रा को खूब जनसमर्थन मिल रहा है, विशेष तौर पर उत्साही युवाओं और बुद्धिजीवियों की भागीदारी उल्लेखनीय है।
खगड़िया में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि बेरोज़गारी आज जीवन मरण का सवाल बन चुकी है। अपने भविष्य को लेकर युवाओं में घोर अनिश्चितता और अंधकार का भाव है। हताशा इस कदर बढ़ती जा रही है कि बेरोज़गारी के कारण आत्महत्या की खबरें अब आम बात हो गयी हैं। ताजा रिपोर्टों के अनुसार हर दो घंटे में तीन छात्र खुदकुशी कर रहे हैं। बेरोज़गारी के कारण छात्रों, युवाओं और मजदूरों में आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है।
वक्ताओं की मांग है कि सरकार देश की सभी रिक्तियों को अविलंब भरे और भर्ती आचार संहिता लागू कर 9 महीने में नियुक्ति पूरी करे। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बोझा ढोने और ठेला चलाने के लिए बिहार के लोगों को हजारों किलोमीटर दूर बम्बई, दिल्ली जाना पड़ता है। बिहारी शब्द देश भर में मजदूर का पर्यायवाची बना दिया गया है। उन्होंने कहा कि बंद पड़ी चीनी, पेपर और जूट मिलों को पुनर्जीवित किया जाए, ताकि दो वक्त की रोटी के लिए बिहार के लोगों को पलायन न करना पड़े।
यात्रा के दौरान रीगा चीनी मिल पर भी सभा को संबोधित किया गया और सकरी चीनी मिल का मुद्दा भी उठाया गया। बिहार में सुनियोजित ढंग से उद्योगों का नष्ट किया गया, जिससे रोजगार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। बिहार के लोगों को विवश होकर दो वक्त की रोटी के लिए हजारों किलोमीटर पलायन करना पड़ता है। युवा आंदोलन द्वारा प्रस्तावित भारत रोज़गार संहिता में न्यूनतम आय पर रोज़गार की गारंटी की मांग भी की गयी है।
यात्रा के दूसरे सप्ताह में कोसी क्षेत्र में युवाओं में जबरदस्त उत्साह देखा गया। सहरसा और सुपौल के कार्यक्रमों के बाद मधेपुरा में भी यात्रा का सोत्साह स्वागत हुआ। शहर में बाइक रैली निकालकर बेरोज़गारी के मुद्दे पर नारे लगाये गये। इसके बाद टीपी कॉलेज में युवाओं के साथ जनसंवाद हुआ, जहाँ सबने 23 सितंबर को पटना पहुँचने का वादा किया।
अररिया में काली मंदिर के पास से युवाओं ने बाइक रैली निकालकर पेंशनर समाज भवन तक मार्च किया। अररिया में पैदल मार्च के दौरान युवाओं ने ‘बदलेगा हवा, देश का युवा’ के नारे लगाए। भारी बारिश के कारण पूर्णिया में दिन के कार्यक्रम बाधित हुए, लेकिन शाम को जब शहर में चार किलोमीटर का रोडशो हुआ तो स्थानीय लोगों में खूब उत्साह देखा गया। इसके बाद कल्याण छात्रावास में युवाओं से मुलाकात हुई, जहाँ सबने 23 सितंबर को पटना पहुँचने की बात कही। भागलपुर, तारापुर और मुंगेर में कई कार्यक्रम और जनसंवाद करते हुए यात्रा खगड़िया पहुँची, जहां खगड़िया जिला युवा हल्ला बोल के कार्यकर्ताओं ने यात्रा का उत्साहपूर्वक स्वागत किया।
यात्रा में ‘युवा हल्ला बोल’ के संयोजक अनुपम के अलावा मुख्य रूप महासचिव और यात्रा प्रभारी प्रशांत कमल, उपाध्यक्ष अर्जुन मिश्रा, सचिव आकाश महतो, अमित प्रकाश, आदित्य दूबे और सौरभ पांडेय शामिल हैं। यात्रा प्रभारी प्रशांत ने कहा कि देश में पहले किसानों की आत्महत्या की खबरें आया करती थीं, अब भारी संख्या में बेरोज़गारी के कारण युवाओं की आत्महत्या की खबरें आ रही हैं। युवाओं की आत्महत्या, देश में आज की सबसे बड़ी बहस होनी चाहिए, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकारों को कोई परवाह नहीं है।
हर शहर में स्थानीय लोग इस युवा आंदोलन को देश के लिए उम्मीद की किरण बता रहे हैं। कहा जा रहा है कि हर नागरिक को युवाओं के इस संघर्ष में सहयोग करना चाहिए। इस मौके पर गुजरात से आये युवा नेता अर्जुन मिश्रा ने कहा कि हम बेरोजगारी के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन खड़ा करने के लक्ष्य से यह यात्रा कर रहे हैं। बेरोज़गार युवाओं में उम्मीद पैदा करने के साथ साथ यह यात्रा राजनीतिक गलियारों में भी चर्चा का विषय बन रही है।
– हिमांशु
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