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सर्वोदय दर्शन के प्रति समर्पित आ़शा बोथरा

सभी से प्रेम करना उनकी विशेषता रही है. 
सर्वोदय दर्शन के प्रति समर्पित उनकी निष्ठा ने उन्हें हमेशा अस्पृश्य कही जाने वाली जातियों के साथ रहने की प्रेरणा दी. इसके चलते उन्हें युवावस्था से ही सामाजिक बहिष्कार झेलना पड़ा.

सेवा ग्राम आश्रम प्रतिष्ठान वर्धा की पहली महिला अध्यक्ष आशा बोथरा सर्वोदय दर्शन को अपने आचरण में जीने वाली भद्र स्त्री हैं. उनकी शिक्षा दीक्षा गांधी प्रणीत बुनियादी नई तालीम में हुई. सभी से प्रेम करना उनकी विशेषता रही है. 
सर्वोदय दर्शन के प्रति समर्पित उनकी निष्ठा ने उन्हें हमेशा अस्पृश्य कही जाने वाली जातियों के साथ रहने की प्रेरणा दी. इसके चलते उन्हें युवावस्था से ही सामाजिक बहिष्कार झेलना पड़ा.

उनके पिता त्रिलोकचंद गोलेछा आजीवन सर्वोदयी थे और पूरी तरह गांधी, विनोबा, जेपी को समर्पित रहे.
 उन्होंने अनेक संस्थाओं और संगठनों की जिम्मेदारी निष्काम भाव से संभाली. वे जीवन के अंत तक गोसेवा के काम में जुटे रहे. जय जगत कहते हुए ही उन्होंने अपनी देह छोड़ी. उनकी मां छोटी बाई गोलेछा का नाम राजस्थान की पहली महिला सरपंच के तौर पर इतिहास के पन्नों पर दर्ज है. 
आशा बोथरा आजकल अपने माता-पिता की बनाई हुई संस्था ‘मीरा संस्थान’ संचालन कर रही हैं.

उनकी मां छोटी बाई गोलेछा का नाम राजस्थान की पहली महिला सरपंच के तौर पर इतिहास के पन्नों पर दर्ज है. 
आशा बोथरा आजकल अपने माता-पिता की बनाई हुई संस्था ‘मीरा संस्थान’ संचालन कर रही हैं.

मीरा संस्थान किन्नरों के साथ मिलकर काम कर रहा है. संस्थान को अद्यतन सूचनाओं से अपडेट रखने के काम में वे सदैव सचेत रहती हैं. अपना व्यक्तिगत जीवन भी वे उसी तरह अपडेट रखती हैं. वे छात्र युवा संघर्ष वाहिनी में भी सक्रिय रहीं, चाहे वह बोधगया का संघर्ष रहा हो या अन्य कोई मोर्चा रहा हो. मीरा संस्थान का कामकाज सँभालने के अलावा वे वाहिनी के संघर्ष का नेतृत्व भी करती रहीं. उनका बचा हुआ सारा समय सर्वोदय को समर्पित है.

मीरा संस्थान का कामकाज सँभालने के अलावा वे वाहिनी के संघर्ष का नेतृत्व भी करती रहीं. उनका बचा हुआ सारा समय सर्वोदय को समर्पित है.
उनका विवाह मुर्शिदाबाद, बंगाल निवासी नागेंद्र बोथरा के साथ हुआ,जो पेशे से इंजीनियर थे. उन्होंने इंग्लैण्ड से बीटेक और जर्मनी से एमटेक की डिग्री प्राप्त की. उन्होंने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए बहुत काम किया. वे अब नही रहे. आशा बोथरा एक भरे पूरे परिवार की मुखिया हैं. वे अब दादी, नानी भी बन चुकी हैं. उनके परिवार के सदस्यों में पुत्र भारत, बहू ज्योति, पुत्री श्रद्धा तथा दामाद राजेश के अलावा उनके पौत्र संभव और महिम के नाम भी शामिल हैं. आशा बोथरा पिछले 50 वर्षों से फलोदी, जोधपुर की निवासी हैं.

Co Editor Sarvodaya Jagat

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