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सत्य, प्रेम, करुणा और विश्वशांति के प्रवर्तक थे विनोबा-डॉ पुष्पेन्द्र दुबे

भूदान यात्रा स्मृति दिवस पर जयपुर में विनोबा के जीवन और कार्य पर विचार गोष्ठी

भूदान यात्रा स्मृति दिवस पर विनोबा विचार मंच ने जयपुर में विनोबा के जीवन और कार्य पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया। 18 अप्रैल को भूदान यात्रा स्मृति दिवस के परिप्रेक्ष्य में आयोजित यह विचार गोष्ठी बजाज नगर स्थित खादी एवं ग्रामोघोग संस्था संघ परिसर के सभा कक्ष में सम्पन्न हुई। इस विशेष सभा में भाग लेने इंदौर से आये प्रोफेसर पुष्पेन्द्र दुबे  मुख्य वक्ता थे। उन्होंने विनोबा के जीवन और कार्यों के विविध पहलुओं पर बहुत सारगर्भित एवं सरल तरीके से प्रकाश डाला।

प्रोफेसर पुष्पेन्द्र दुबे  ने विनोबा के सर्वधर्म साहित्य को उद्धृत करते हुए कहा कि विनोबा को जानने के लिए उनके समग्र जीवन दर्शन के अध्ययन की जरूरत है। विनोबा सत्य, प्रेम, करुणा और विश्व शांति के प्रवर्तक थे। विनोबा ने गांधीजी के विचारों का अनुसरण जिस व्यापकता से किया और गांधी संदेश को जिस उत्साह और भावनात्मक शक्ति के साथ गांव-गांव में फैलाया, उसके प्राण-तत्व को समझने की आवश्यकता है। विनोबा के विचारों एवं आचरण में खादी प्रसार, गोरक्षा और कृषि उन्नति से लेकर विश्व शांति तक सभी मुद्दों का समाधान है।

विनोबा ने गांधीजी के विचारों का अनुसरण जिस व्यापकता से किया और गांधी संदेश को जिस उत्साह और भावनात्मक शक्ति के साथ गांव-गांव में फैलाया, उसके प्राण-तत्व को समझने की आवश्यकता है। विनोबा के विचारों एवं आचरण में खादी प्रसार, गोरक्षा और कृषि उन्नति से लेकर विश्व शांति तक सभी मुद्दों का समाधान है।

विचार गोष्ठी में विनोबा साहित्य युवाओं तक पहुंचाने एवं उन पुस्तकों पर विमर्श का वातावरण बनाने की बात पर भी चर्चा हुई। इस अवसर पर विनोबा की जीवन झांकी, अहिंसा की तलाश, गीता-प्रवचन, विनोबा के जीवन प्रसंग, भूदान यज्ञ और खादी हमारी बगावत का झंडा आदि पुस्तकें प्रतिभागियों को भेंट की गयीं। खादी मिशन के सह-संयोजक लोकेन्द्र भारतीय ने विनोबा के संस्मरण सुनाये। विनोबा के निजी सचिव रहे सर्वोदय विचारक बाल विजय भाई के प्रमुख शिष्य लोकेन्द्र भारतीय ने युवाओं तक विनोबा साहित्य के प्रसार की महती आवश्यकता पर बल दिया।

राजस्थान खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के सदस्य कैलाश सोयल, कृषि गोल्ड लाइन से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार चंद्रशेखर भारद्वाज, समाजसेवी एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिनेश शर्मा आदि प्रमुख वक्ता रहे। विनोबा की भूदान यात्रा के अनेक संस्मरणों के आलोक में विचार गोष्ठी बहुत भावनात्मक और वैचारिक चर्चा के साथ आहूत हुई। इसमें पोचमपल्ली से 18 अप्रैल 1951 को प्रस्फुटित हुई भूदान-गंगा, विनोबा के कोरापुट में चलाये ग्रामदान अभियान, चम्बल घाटी में दस्यु सरगना समर्पण, इंदौर में सर्वोदय नगर अभियान, तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में विनोबा की यात्रा, बिहार में भूदान यात्रा की अनुगूँज आदि अनेक संस्मरणों का उल्लेख हुआ। भूदान यात्रा के दौरान विनोबा की आध्यात्मिक, साहित्यिक दृष्टि के समाज परिवर्तन और मनुष्य के जीवन में बदलाव के संदर्भों और प्रभावों पर भी गहन चर्चा हुई। विनोबा के परम सहयोगी डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, पं जवाहरलाल नेहरू, जमना लाल  बजाज, बाबा राघवदास, दादा धर्माधिकारी, जयप्रकाश नारायण, धीरेन्द्र मजूमदार, लक्ष्मी बाबू, गोपबंधु चौधरी, मैथिली शरण गुप्त, अमलप्रभा बाइदेव, रविशंकर महाराज, गोकुल भाई भट्ट, नरेंद्र दुबे, नारायण भाई देसाई, निर्मला देशपांडे, अच्युत पटवर्धन, महेन्द्र नारायण सिंह ‘संतजी’, कालिंदी ताई, कुसुम देशपांडे जैसे अनेक मनीषियों से जुड़े संस्मरणों के उल्लेख ने भी विचार गोष्ठी को सार्थकता प्रदान की। कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ता श्वेता जाजू भारतीय ने भी विचार व्यक्त किये।

विचार गोष्ठी की अध्यक्षता प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता एडवोकेट राघवेंद्र पारीक ने की। विचार गोष्ठी में खादी मिशन के सह-संयोजक जवाहरलाल सेतिया, वयोवृद्ध खादी कार्यकर्ता आलिम सिंह, खादी कार्यकर्ता भगवती पारीक, गिरधारी, सामाजिक कार्यकर्ता रजनीश चौधरी, नंदकिशोर गुप्ता, प्रमुख सीए विजय गर्ग, रावणा राजपूत महासभा के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र रावणा, विनोबा विचार मंच के सह -संयोजक नीरज डोडा, कृषि गोल्ड लाइन की संपादक विजय रानी शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार अरिंदम मिश्रा और समाजवादी आंदोलन से जुड़े रहे एडवोकेट उग्रसेन यादव के अलावा एडवोकेट अरविंद शर्मा, सुधीन्द्र कुमावत, विनोबा विचार मंच के कार्यकारी सचिव विक्रम खेतान, राजकुमार गुप्ता तथा शशांक आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। विचार गोष्ठी का संचालन विनोबा विचार मंच के संयोजक कुलदीप शर्मा ने किया। -आशा सेतु

 

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