पद्मविभूषण स्व. ईश्वर भाई पटेल एक ऐसी दिव्य विभूति थे, जिन्होंने अपने जीवन एवं दर्शन से समूचे रचना जगत को प्रेरणा दी। गांधी-विनोबा के अनन्य भक्त व सेवक तथा निर्मला देशपांडे के एक सहयोगी तथा साथी के रूप में पूरे देश भर में उनकी ख्याति रही। बापू के प्रिय कार्य सफाई को ही उन्होंने अंगीकृत किया तथा इसी कार्य के लिए उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया। महात्मा गांधी से एक दफा पं. सुन्दरलाल ने पूछा कि उनकी सबसे अद्भुत कृति क्या है? बापू का जवाब था, ‘खादी व हरिजन सेवा’। ईश्वर भाई का जीवन इन्हीं आदर्शों के अधीन रहा। यदि ऐसे सुपथ पर जीवनसंगिनी भी सहयोगी हो, तो जीवन आनंदमय बन जाता है। ईश्वर भाई की पत्नी वसुधा भी उन्हीं की तरह सामाजिक कार्यों में अग्रणी कार्यकर्ता रहीं। वर्ष 1986 के आसपास इस सेवाभावी दम्पत्ति से हमारा परिचय दीदी निर्मला देशपांडे की मार्फत हुआ था। वर्ष 1997 में द्वारिका, गुजरात में तो बैठक का आयोजन ही उन्होंने किया था। इस दौरान उनका व उनकी पत्नी वसुधा बेन का सान्निध्य और स्नेह पाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मीटिंग के बाद सोमनाथ, पोरबन्दर तथा दूसरे स्थानों पर मां वसुधा बेन ने जिस तरह वात्सल्य भाव प्रकट किया, उससे मन उनके प्रति सदैव श्रद्धानवत रहा।
भगवान बुद्ध पुनर्जन्म की अवधारणा को उस रूप में तो स्वीकार नहीं करते, जैसे सनातन धर्म मानता है, परन्तु वे इतना जरूर मानते हैं कि जब संतान अथवा शिष्य, माता-पिता अथवा गुरु के सद्कार्यों को उनसे भी बेहतर ढंग से करने लगे, तो वह भी अभिभावक जन का पुनर्जन्म ही है। वर्तमान संदर्भ में यदि देखें तो स्व. ईश्वर भाई पटेल के कार्यों को उनके सुपुत्र जयेश भाई जिस श्रद्धा व कर्मठता से आगे ले जा रहे हैं, वह वास्तव में अनुकरणीय तथा प्रशंसनीय है। वे साबरमती हरिजन आश्रम, अहमदाबाद सहित अनेक संस्थाओं के प्रमुख पदों पर हैं व अपने कार्यों से अपने पिता के कार्यों को आगे बढ़ा रहे हैं।
पुत्री संघमित्रा तथा बहन अरुणा के अहमदाबाद रहने के कारण अनेक बार यहां आने का अवसर मुझे मिला। बहन-बेटी के घर के अलावा जयेश भाई के घर में भी अपनापन रहा। मन में यह इच्छा भी रही कि मां जी व जयेश भाई की पत्नी अनार बेन से भी मिलने का सौभाग्य मिले, पर हर बार कोई न कोई कारण ऐसा बन जाता था कि मुलाकात नहीं हो पाती थी। गुजरात के गांवों में अनार बेन का महिला सशक्तिकरण का काम तो देखते ही बनता था, मुलाकात का अवसर इस बार ही मिला। बेशक कुछ लोगों के लिए अनार बेन का परिचय उनकी मां तथा गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल की वजह से हो, परन्तु हमारा परिचय तो आनंदी बेन से भी स्व. निर्मला देशपांडे की सहेली के रूप में ही है और हमारे लिए वे निर्मला दीदी की ही बेटी हैं। ईश्वर भाई के कार्यों को आगे बढ़ाने वाले जयेश भाई व मां वसुधा बेन की प्रतिमूर्ति अनार बेन, उनका समूचा घर, कार्य व जीवन गांधीवादी मूल्यों को समर्पित है। घर में रखी एक-एक वस्तु व अंकित वाक्य उनके जीवन मूल्यों को झंकृत करते हैं। महात्मा गांधी का यह संदेश इस समूचे परिवार पर चरितार्थ है कि सुसंस्कृत घर जैसी कोई पाठशाला नहीं और ईमानदार माता-पिता जैसा कोई शिक्षक नहीं।
-राम मोहन राय
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