Uncategorized

शीत ऋतु में सस्ता व पौष्टिक आहार

स्वास्थ्य

यह प्राकृतिक नियम है कि जो साग-सब्जियां, फल, अनाज आदि जिस मौसम में पैदा होते हैं, उस मौसम के वे ही उपयुक्त खाद्य होते हैं, परंतु अनेक लोग डिब्बाबंद या कोल्ड स्टोरेज में रखे बासी व महंगे खाद्य पदार्थ खाते हैं, जिनका खाद्य तत्व बहुत कुछ नष्ट हो चुका होता है एवं मौसम के अनुरूप न रहने के कारण वह लाभप्रद नहीं रह जाता। शीत ऋतु के कुछ सस्ते व पौष्टिक आहार ये हैं।

गाजर : गाजर में विटामिन ए पाया जाता है, जो शरीर में सहज रूप से हजम हो जाता है। इसके अतिरिक्त विटामिन बी, सी, जी और के भी पाये जाते हैं। गाजर के ताजा रस में सोडियम, पोटेशियम, मैगनीशियम, सल्फर, सिलिकन तथा क्लोरीन की मात्रा पायी जाती है। पृथ्वी में पाये जाने वाले सोलह प्रकार के लवणों में से बारह प्रकार के लवण गाजर में पाये जाते हैं। अल्सर और कैंसर पैदा होने के लक्षण शरीर में आ जाने पर गाजर का रस लाभदायक होता है। त्वचा और आंख के अनेक रोग, गाजर के रस का सेवन करने से ठीक हो जाते हैं। दांतों के रोग में भी गाजर का रस उपयोगी है। गाजर का रस, गला टांसिल, सिनुसिस और श्वास-नलिकाओं से संबंधित छूत के रोग से भी शरीर की रक्षा करता है। यह रक्ताल्पता में भी लाभदायक है। यह रक्त में रोग प्रतिरोधक शक्ति पैदा करता है। यह भूख बढ़ाता है और प्राकृतिक भूख लगाता है। यह जिगर की कार्यप्रणाली को ठीक करता है। यह इतनी पर्याप्त मात्रा में पैदा होता है कि गरीब-अमीर सब इसका लाभ उठा सकते हैं। गाजर की पत्ती में गाजर से अधिक लोहा और कैलशियम होता है। यह गाजर की भांति ही रक्त तथा त्वचा रोग में हितकर है। गाजर कब्ज दूर करता है तथा वीर्य गाढ़ा करता है। जो ताकत एक किलो सेब में होती है, वह एक किलो गाजर में भी होती है।

शलजम : कच्ची शलजम खाने से दस्त साफ होता है। इसकी सब्जी मधुमेह के रोगी के लिए लाभदायक है। घेंघा रोगी के लिए यह वर्जित होती है। यह कफनाशक है। शरीर में विटामिन ए की मात्रा बढ़ाता है। नेत्र की रक्षा करता है, रक्त रचना में सहायक है। मूत्र में यूरिक एसिड की वृद्धि को रोकता है। इसकी हरी पत्तियों में सबसे अधिक मात्रा में चूना पाया जाता है। इसके अतिरिक्त पत्तों के रस में लोहा, पोटाश, सोडियम आदि काफी मात्रा में पाये जाते हैं, इसलिए दूध और मछली के तेल आदि कीमती पदार्थों के स्थान पर इसका प्रयोग करके अपनी शक्ति बढ़ायें। शलजम को पत्तों समेत खायें।

मूली : इसमें कैलशियम, फासफोरस तथा लोहा प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। इसमें विटामिन ए, बी, सी भी इसमें मौजूद होते हैं। कच्ची मूली खाने से भूख बढ़ती है और पीलिया रोग दूर होता है। कच्ची, नरम व मीठी मूली आंतों के घाव दूर करती है। ताजा मूली का रस प्रात: सायं 5-5 तोले देने से बवासीर में लाभ मिलता है। मूत्राशय की पथरी या यूरिक एसिड दोनों में ही मूली के पत्तों का रस लाभप्रद है। मूली को पत्तों समेत खायें। किडनी एवं लिवर के रोगों में मूली का रस वर्जित है।

पालक : पालक वास्तव में एक प्रकार का हरा रक्त ही है। इसमें ए, बी, सी तीनों प्रकार के विटामिन होते हैं। विटामिन ए विशेष मात्रा में होता है, जो संक्रामक रोगों व शत्रु कीटाणुओं से शरीर की रक्षा करता है तथा आंखों की ज्योति बढ़ाता है। पालक का रस दांतों एवं मसूढ़ों को मजबूत करता है। इसका रस कब्ज दूर करता है, जबकि महंगी रासायनिक गोलियां आंतों को खराब कर देती हैं। पालक में लोहा एवं कैलशियम प्रचुरता से पाया जाता है। यह पीलिया, उन्माद, हिस्टीरिया, प्यास, जलन, पित्त आदि रोगों में लाभदायक होता है।

मेथी : यह यकृत, फेफड़े, हृदय एवं मस्तिष्क के दोषों में उपयोगी है। यह उत्तेजक व वीर्यवर्द्धक है तथा अफारा व बदहजमी में लाभदायक है। इसमें कैलशियम, फासफोरस और लोहा प्रचुर मात्रा में है। यह कण्डमाला, पीलिया, मधुमेह, रतौंधी, स्नायु संस्थान की दुर्बलता आदि में उपयोगी है। स्नान से पूर्व हरी पत्तियों को पीसकर सिर पर लगाने से रूसी तथा बालों के रोगों में उपयोगी होता है।

सरसों का साग : इसमें कैलशियम तथा लोहा काफी मात्रा में होता है। यह आंतों की शिथिलता दूर करता है। सरसों के हरे पत्तों के रस में शहद मिलाकर खाने से रक्ताभाव में लाभ होता है। जाड़ों के दिनों में सरसों का साग खाकर व्यक्ति सुदृढ़ व बलिष्ठ बन सकता है।

पातगोभी : इसका व्यवहार घेंघा रोग में वर्जित है। इसमें विटामिन सी होता है। अधिक मात्रा में लेने से उदर में गैस बनती है। इसमें लोहा, कैलशियम, फासफोरस, प्रोटीन आदि पर्याप्त मात्रा में होते हैं। इसे कच्चा ही खाना चाहिए।

फूलगोभी : यह जाड़े में प्राय: खूब खायी जाती है। इसके अधिक व्यवहार से वायु बनती है। घेंघा रोगी के लिए वर्जित है। इसमें फालिक एसिड और विटामिन सी होता है, गर्भिणी के लिए यह आदर्श आहार है। इससे कई रोग दूर होंगे।

मूंगफली : इसका दूध सस्ते दामों में तैयार हो सकता है। कच्ची मूंगफली को कुछ घंटे पानी में भिंगोकर, बाद में दानों को कूटकर साग-सब्जी में डाल सकते हैं। इससे वसा और प्रोटीन भी मिलेगा। बादाम एवं मूंगफली में प्राय: एक ही प्रकार के तत्व पाये जाते हैं।

अमरूद : अमरूद शत प्रतिशत खाने योग्य होता है, जबकि सेब केवल 90 प्रतिशत। इसमें प्रोटीन भी अधिक होता है। इसमें कई खाद्य लवण होते हैं। अमरूद में संतरे से 4, 5 गुना तथा सेब से 200 गुना विटामिन सी होता है, जो कब्ज के लिए रामबाण है।

केला : इसमें सभी आवश्यक तत्व होते हैं, यह क्षारधर्मी भी हैं। एक केला, तीन सेब या 400 मिली दूध के बराबर शक्ति देता है।

गन्ना : यह भोजन पचाता है, कब्ज दूर करता है, शक्तिदाता है तथा शरीर मोटा करता है। पेट की गर्मी और हृदय की जलन दूर करता है। पीलिया और नेत्र रोग में हितकर है। इसका रस सूखी खांसी, मंद ज्वर, पथरी आदि में लाभदायक है।

(‘प्राकृतिक चिकित्सा का सामान्य ज्ञान’ से)

Sarvodaya Jagat

Share
Published by
Sarvodaya Jagat

Recent Posts

सर्वोदय जगत (16-31 अक्टूबर 2024)

Click here to Download Digital Copy of Sarvodaya Jagat

1 month ago

क्या इस साजिश में महादेव विद्रोही भी शामिल हैं?

इस सवाल का जवाब तलाशने के पहले राजघाट परिसर, वाराणसी के जमीन कब्जे के संदर्भ…

1 month ago

बनारस में अब सर्व सेवा संघ के मुख्य भवनों को ध्वस्त करने का खतरा

पिछले कुछ महीनों में बहुत तेजी से घटे घटनाक्रम के दौरान जहां सर्व सेवा संघ…

1 year ago

विकास के लिए शराबबंदी जरूरी शर्त

जनमन आजादी के आंदोलन के दौरान प्रमुख मुद्दों में से एक मुद्दा शराबबंदी भी था।…

2 years ago

डॉक्टर अंबेडकर सामाजिक नवजागरण के अग्रदूत थे

साहिबगंज में मनायी गयी 132 वीं जयंती जिला लोक समिति एवं जिला सर्वोदय मंडल कार्यालय…

2 years ago

सर्व सेवा संघ मुख्यालय में मनाई गई ज्योति बा फुले जयंती

कस्तूरबा को भी किया गया नमन सर्वोदय समाज के संयोजक प्रो सोमनाथ रोडे ने कहा…

2 years ago

This website uses cookies.