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तानाशाही ताकतों को परास्त करने के लिए जेपी के सपनों का भारत बनाने की जरूरत –ज्ञानेन्द्र रावत

देश में तानाशाही ताकतें फिर सिर उठा रही हैं। ऐसे समय जरूरत इस बात की है कि हम सब मिलकर जेपी के सपनों का भारत बनायें, ताकि तानाशाही ताकतों को मुंहतोड़ जबाव दिया जा सके और देश को बचाया जा सके। यदि हम चूक गये तो आने वाली पीढियां हमें माफ नहीं करेंगी।

गत 8 अप्रैल को नयी दिल्ली में राजघाट परिसर स्थित गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति के सत्याग्रह मंडप में आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में लोकनायक जयप्रकाश अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन विकास केन्द्र एवं गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति के संयुक्त तत्वावधान में जेपी आंदोलन दिवस के अवसर पर ‘ग्राम स्वराज एवं अंत्योदय: गांधी-जेपी के सर्वोदय की कल्पना का समाज’ विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन हुआ। संगोष्ठी में पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति के उपाध्यक्ष विजय गोयल, सुप्रसिद्ध समाजवादी विचारक-चिंतक एवं लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष रघु ठाकुर, सुप्रसिद्ध जेपी सेनानी एवं बसपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधीन्द्र भदौरिया, सोशल रिसर्च इंडिया की निदेशक डॉ रंजना कुमारी, समाजवादी नेता व जनता दल यू के महासचिव अरुण श्रीवास्तव एवं प्रख्यात पर्यावरणविद व वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेन्द्र रावत को जेपी सेनानी सम्मान से सम्मानित किया गया।
अपने संबोधन में ज्ञानेन्द्र रावत ने महात्मा गांधी और जय प्रकाश नारायण को श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि भारतीय स्वाधीनता संग्राम के अप्रतिम सेनानी और समग्र क्रांति के अग्रदूत जयप्रकाश अपने जीवन के अंतिम चरण में भारतीय राजनीति के फलक पर आंधी की तरह आये। इसे यदि यूं कहें कि देश में भारतीय जनमानस को नेहरू परिवार के मुकाबले एक ऐसा नेता मिला, जिसने देश की दिशा ही बदल दी तो कुछ गलत नहीं होगा। नौजवानों के आंदोलन को उनका नेतृत्व मिला, तभी 1977 में जनता पार्टी के गठन और जनता सरकार के अस्तित्व में आने के हालात बने, यह एक जीती जागती मिसाल है, जिसने यह साबित किया कि जनता जब जाग जाती है, तब तानाशाही ताकतों को ध्वस्त होते देर नहीं लगती। इससे पूर्व उन्होंने अपना समय सर्वोदय के क्षेत्र में रचनात्मक कार्यों में समर्पित किया। कुख्यात दस्युओं का समर्पण इसका जीवंत प्रमाण है। अपने जीवन के अंत समय में भी अंत्योदय कार्यक्रम के प्रति उनकी चिंता इस बात का प्रमाण है कि वह देश के आम आदमी के प्रति कितने संवेदनशील थे। आज मौजूदा हालात इस बात के सबूत हैं कि देश में तानाशाही ताकतें फिर सिर उठा रही हैं। ऐसे समय जरूरत इस बात की है कि हम सब मिलकर जेपी के सपनों का भारत बनायें, ताकि तानाशाही ताकतों को मुंहतोड़ जबाव दिया जा सके और देश को बचाया जा सके। यदि हम चूक गये तो आने वाली पीढियां हमें माफ नहीं करेंगी।

जेपी आंदोलन दिवस समारोह में छह विभूतियां जेपी सेनानी सम्मान से सम्मानित

डॉ जगदीश चौधरी ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि यह आयोजन इस बात का प्रतीक है कि आज भी हम अपने देश की विभूतियों को भूले नहीं हैं, जिन्होंने न केवल आजादी की लडा़ई में महत्वपूर्ण योगदान दिया, बल्कि व्यवस्था परिवर्तन में भी क्रांतिकारी भूमिका निभायी। ऐसे आयोजनों की सफलता तभी संभव है, जबकि हम उन विभूतियों के योगदान की जानकारी जन-जन तक पहुंचायें और उनके बताये रास्ते पर चलते हुए उनके आदर्शों को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं, तभी सार्थक बदलाव की उम्मीद की जा सकती है। संदीप मारवाह ने जेपी के जीवन के विभिन्न पहलुओं की चर्चा करते हुए कहा कि जेपी जैसे महापुरुष सदियों में पैदा होते हैं। उन्होंने देश को परिवर्तन की राह दिखाई ही नहीं, उसको हकीकत में बदलने का काम भी किया। पवन सिन्हा ने कहा कि कैसी विडम्बना है कि आज हम जेपी के सपनों का भारत बनाने की बात करते हैं, जबकि उनके अवसान को चार दशक बीत चुके हैं और दुख इस बात का है कि हम देश के घर-घर में उनका नाम और उनका काम पहुंचाने में नाकामयाब रहे हैं। उन्होंने दमन के खिलाफ जो आवाज बुलंद की और जिसके परिणामस्वरूप व्यवस्था परिवर्तन का जो ऐतिहासिक काम हुआ, उसकी मिसाल मिलनी मुश्किल है। जरूरत इस बात की है कि हम जेपी के काम और नाम को जन-जन तक पहुंचायें। सुनील शास्त्री ने अपने सम्बोधन में अपने पिता और जेपी के संस्मरणों का जिक्र करते हुए कहा कि आज देश में जयप्रकाश जैसे व्यक्तित्व की बेहद जरूरत है। उनके लिए देश और देश की जनता की खुशहाली ही सर्वोपरि थी। गो ग्रीन की प्रमुख रागिनी रंजन ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि जेपी के विचारों का प्रचार और प्रसार समय की बहुत बड़ी जरूरत है। यदि हम वास्तव में व्यवस्था में बदलाव चाहते हैं तो हमें जेपी के बताये रास्ते पर चलना होगा। परिवर्तन के रास्ते में बाधाएं तो आयेंगी, लेकिन उन्हें दरकिनार करते हुए हमें आगे बढ़ना होगा, तभी कामयाबी संभव है।

पूर्व केन्द्रीय मंत्री विजय गोयल ने आपातकाल के दौर की चर्चा करते हुए अपनी गिरफ्तारी और जेल यात्रा का सिलसिलेवार वर्णन किया और बताया कि कैसे जेपी ने अस्वस्थता के बावजूद आंदोलन का नेतृत्व किया और सत्ता परिवर्तन कर दुनिया के सामने आंदोलन, नौजवानों और संगठन की शक्ति का अहसास कराया। केन्द्र के अध्यक्ष ब्रज किशोर त्रिपाठी ने जेपी के अन्त्योदय सम्बंधी विचारों की सिलसिलेवार चर्चा की और उनकी स्मृति में केन्द्र द्वारा किये जा रहे कार्यों का व्यौरा दिया, साथ ही उनके विचारों के प्रचार-प्रसार की दिशा में हर संभव प्रयास किये जाने का संकल्प भी दोहराया। संगोष्ठी के अंत में केन्द्र के महासचिव अभय सिन्हा ने सभी आगंतुकों, जेपी सेनानियों, विशिष्ट अतिथियों और सांस्कृतिक कर्मियों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर केन्द्र के अध्यक्ष एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री ब्रज किशोर त्रिपाठी, विशिष्ट अतिथि सुप्रसिद्ध समाजसेवी संदीप मारवाह, ज्योतिषाचार्य पवन सिन्हा, कवि अशोक चक्रधर, सुनील शास्त्री, शिक्षाविद डॉ जगदीश चौधरी, पूर्व वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी उदय सहाय के अलावा गो ग्रीन अभियान की प्रमुख रागिनी रंजन, सुप्रीम कोर्ट के वकील विजय अमृत राज, पर्यावरण मामलों के जानकार प्रशांत सिन्हा, वायलिन वादक डॉ रंजन कुमार, हरिओम श्रीवास्त़व, आरके सिन्हा, प्रख्यात नृत्यांगना सुमिता राय, प्रो डीसी श्रीवास्तव, आनंद कुमार, श्रुति सिन्हा आदि अनेक आंदोलनकर्मियों, समाज सेवियों, बुद्धिजीवियों, शिक्षाविदों, संस्कृतिकर्मियों, गैर सरकारी संस्थाओं और विभिन्न राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों की उपस्थिति उल्लेखनीय थी।       – सर्वोदय जगत डेस्क

 

 

Co Editor Sarvodaya Jagat

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