महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में परिचर्चा
केवल विकास के रास्ते पर चलने का मतलब है विनाश, इसलिए विकास और विरासत को साथ लेकर जो सनातन विकास होगा, वही वास्तविक विकास है। सनातन का आशय है, जहां नित्य नूतन निर्माण होता हो। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के गांधी अध्ययनपीठ में पुरातन छात्र समागन और ‘विरासत व विकास तथा जलवायु परिवर्तन’ विषय पर आयोजित परिचर्चा को संबोधित करते हुए राजेन्द्र सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालयों में जल पोषण और संरक्षण के बारे में पाठ्यक्रम चलाये जाने चाहिए।
गांधी अध्ययनपीठ के निदेशक प्रो. संजय ने कहा कि आज हमको विकास को अपने सांस्कृतिक संदर्भों में पुनर्परिभाषित करने की आवश्यकता है। जब तक हम समपोषीय विकास का मार्ग नहीं अपनायेंगे, तब तक प्राकृतिक संसाधनों का दोहन नहीं रुकेगा। हमें प्रकृतिवादी विकास का मॉडल अपनाना होगा।
उ. प्र. सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष रामधीरज ने गांधी विचार के अध्ययन एवं उसके प्रसार के लिए विद्यार्थियों को आगे आने के लिए प्रेरित किया। परिचर्चा में महेशानंद, अरविन्द, ईश्वरचंद, सौरभ, अमित कुमार केशरी, नीरज सिंह, विनय कुमार, सैयद अशफाक हुसैन ‘शान’, स्वीटी गुप्ता, बेलाल अहमद, सुरेश चन्द्र राय, अभिषेक गुप्ता, जावेद खान, राजेश कुमार आदि मौजूद रहे। स्वागत प्रो. संजय, संचालन धीरेन्द्र शंकर श्रीवास्तव व धन्यवाद ज्ञापन डॉ. नवरत्न सिंह ने किया। -सौरभ सिंह
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