साबरमती आश्रम अजादी के आन्दोलन की गतिविधियों के प्रमुख केंद्र के रूप में जाना जाता है। आजादी से जुड़ी तमाम महान विभूतियाँ यहां रही हैं। यह दुनिया का एक ऐसा अद्भुत स्थान है, जिसे लाखों लोग प्रणाम करने आते हैं। इसी परिसर में प्रार्थना भूमि और हृदयकुंज जैसे श्रद्धा के स्थान हैं। झंखना बहन और किशन भाई निरंतर यहाँ के दर्शन करते रहते हैं। ये दोनों प्रतिदिन इन पवित्र स्थानों पर सुबह 5 बजे ही पहुंच जाते हैं और वहां आने वालों को गांधी, विनोबा के विचारों से अवगत कराते हैं तथा स्वयं चर्खा कातते हैं. परीक्षित भाई, जो हरिजन सेवा के क्षेत्र में 1932 से जुड़े थे, उन्होंने एक सपना देखा था कि इस परिसर में गुजरात की बच्चियाँ प्राइमरी से लेकर इंटर तक की पढाई पूरी करने के बाद पीटीसी करके शिक्षक बनकर निकलें और गुजरात भर में बच्चों को पढ़ायें। बाबा विनोबा का मानना था कि अगर प्राथमिक शिक्षा माता के मुख से हो तो बच्चे की भावी शिक्षा बहुत सुन्दर होगी।
बाबा विनोबा इस संदर्भ में एक कहानी भी सुनाया करते थे कि कृष्ण भगवान जब संदीपन गुरु के आश्रम से अपनी शिक्षा पूर्ण कर चलने को तैयार हुए, तो गुरु से वरदान मांगा= मातृ हस्तेन भोजनम अर्थात जीवन भर मां के हाँथ से बना भोजन मिले। कहते हैं कि उनकी यह इच्छा पूरी हुई। बाबा ने कहा कि अगर हमें भी वरदान मांगने का अवसर मिला होता, तो हम मांगते- मातृ मुखेन शिक्षणम अर्थात मां के मुख से मेरा शिक्षण हो।
परीक्षित भाई और ईश्वर भाई ने वर्ष 1956 में एक आवासीय विद्यालय परिसर शुरू किया, जिसे विनय मन्दिर के रूप में जानते हैं, जहाँ कक्षा 6 से 12 तक की 350 बालिकाएं शिक्षा प्राप्त कर रही हैं। इस विद्यालय के प्रथम बैच के विद्यार्थी 77 वर्षीय अजीत भाई यादव वर्तमान में गुजरात हरिजन सेवक संघ के सचिव हैं। उन्होंने परीक्षित भाई, ईश्वर भाई और जयेश भाई तीनों के साथ काम किया है। 1965 तक बालक बालिका दोनो की शिक्षा का यह केंद्र था, बाद में केवल बालिकाओं की शिक्षा का केंद्र हो गया। परिसर में कक्षा एक से पाँच तक के बच्चों के लिए आश्रम शाला है, जिसे गत 35 साल से शान्ता बहन मां के रुप में देखती हैं। इसके पहले गृहपति स्वयं ठक्कर बापा रहे हैं। यहां के बच्चे नगर निगम के स्कूल में पढ़ने जाते हैं। उनके रहने की सुन्दर व्यवस्था इस परिसर में है। गत 35 साल से शान्ता बहन गृहपति के रूप में स्नेह वर्षा कर रही है। बड़े बच्चों के लिए विनय मन्दिर की व्यवस्था 45 साल से मनीषा और भावना बहन देखती हैं। उससे बड़ी बच्चियों के लिए सोमनाथ छात्रालय है, जिसमें 120 बहनें रहती हैं। सोमनाथ छात्रालय बहुत सुन्दर हो गया है, जिसकी पूरी जिम्मेदारी कृतिका बहन निभाती हैं।
महात्मा गांधी के समय यह स्थान आजादी के दीवानों का आवास हुआ करता था। इस स्थल का जीर्णोद्धार व सफाई, विद्यालय पारिवार के प्रमुख जयेश भाई निरंतर कराते रहते हैं। सोमनाथ छात्रालय बिना सरकार की मदद के, छात्राओं के अंशदान और जयेश भाई के मित्रों के सहयोग से संचालित होता है। शिक्षिकाएं समर्पित हैं कि उनको कई कई दशक सेवा करते बीत गये हैं।
विनय मन्दिर में शिक्षण के अलावा साधना की भी व्यवस्था है। जयेश भाई जब भी इनके बीच में पहुंचते हैं, तो वहां का माहौल देखने लायक होता है। अब तक गुजरात की 6500 बेटियों को यह संस्था शिक्षण प्रदान कर उनका भविश्य उज्ज्वल कर चुकी है। इन मन्दिरों में रहने वाली बालिकाएं जयेश भाई व अनार दीदी के पहुंचने का वेसब्री से इन्तजार करती हैं। विनोबा विचार प्रवाह परिवार ऐसे स्थानों के बारे में आप सबसे चर्चा करके प्रसन्नता महसूस करता है.
-रमेश भइया
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