आठवें दिन साबरमती आश्रम में ‘सेवाग्राम-साबरमती संदेश यात्रा’ का समापन हुआ
24 अक्टूबर 2021, दिन रविवार
17 अक्टूबर को सेवाग्राम से निकली सेवाग्राम-साबरमती यात्रा 23 अक्टूबर को अहमदाबाद पहुंची. 24 की सुबह यात्री साबरमती आश्रम पहुंचे. यात्रा में शामिल रहे युवा यात्रियों के लिए साबरमती के परिसर में प्रवेश अद्भुत भाव जगाने वाली घटना थी. सभी ने परिसर में स्थित कुटियाँ और प्रतीक देखे. परिसर भ्रमण के बाद सर्व धर्म प्रार्थना सभा में सब एक साथ बैठे. इसके बाद पहले से आहूत पत्रकार वार्ता को यात्रा में शामिल वरिष्ठ गांधीजनों ने सम्बोधित किया. सवाल भी लिए, जवाब भी दिए और सेवाग्राम साबरमती संदेश यात्रा का बयान भी जारी किया.
17 अक्टूबर 2021 को सेवाग्राम में बापू कुटी के समक्ष संकल्पबद्ध होकर हमने यह संदेश यात्रा शुरू की थी और आज 24 अक्टूबर 2021 को साबरमती आश्रम में बापू कुटी के सामने सर झुकाते हुए हम इस यात्रा का समापन कर रहे हैं.
8 दिनों की इस यात्रा में हमने महाराष्ट्र व गुजरात के कई पड़ावों पर अनगिनत लोगों से संवाद किया, अपनी बात समझाने व उनकी बात समझने की कोशिश की. जनमत को समझने के इस अभियान ने हमें बताया कि भारत के जनमानस में महात्मा गांधी के प्रति अपार श्रद्धा ही नहीं, बल्कि यह गहरा अहसास भी है कि देश की आज की दुर्दशा का सबसे बड़ा कारण है कि हमने गांधी जी का रास्ता छोड़ दिया. महात्मा गांधी के प्रति श्रद्धा और उनके विचारों में यही आस्था हमारी ताकत है.
हम इस देश के नेताओं से कहना चाहते हैं कि वे राजनीति के क्षेत्र में हों या सामाजिक क्षेत्र में, वे सेवा के कार्य कर रहे हों या विकास के, आज जनमत में उनकी कोई साख बची नहीं है. जनता इनका बोझ ढोते-ढोते थक भी गई है और निराश भी हो चुकी है. आजादी के रजत जयंती वर्ष में जनता की यह मनोभूमिका खतरे की घंटी है. यह रास्ता बदलने की घड़ी है, अन्यथा लोकतंत्र का रास्ता बंद होने का खतरा है. लोभी, स्वार्थी व दिशाहीन राजनीति के इस जंगल में यदि लोकतंत्र खो गया तो हमारे हाथ हिंसा, विनाश और विघटन के अलावा कुछ नहीं लगेगा.
साबरमती आश्रम को संवारने, चमकाने की अर्थहीन बातों को छोड़कर सरकार को संवाद के जरिये लोक और लोकतंत्र को चमकाने का अत्यंत जरूरी काम करना चाहिए. इसका एकमात्र रास्ता यह है कि संविधान के शब्दों व उसकी आत्मा का पूरा पालन किया जाए. संविधान-समता-लोकतंत्र ही हमारी आखिरी आशा है.
साबरमती आश्रम भी और बापू के दूसरे सारे स्मृति स्थल भी, उनकी साधना व हमारी प्रेरणा के स्थल हैं. वे अपनी सादगी में ही इतने संपन्न हैं कि उन्हें किसी बाहरी तड़क-भड़क की जरूरत नहीं है. व्यवस्था आदि की देख-भाल के लिए साबरमती आश्रम समेत सभी स्मृति स्थलों की अपनी व्यवस्थाएं बनी हुई हैं, उन्हें स्वतंत्रतापूर्वक अपना काम करने देना चाहिए और जहां भी चाहे, वहां उनकी मदद करनी चाहिए. जहां तक 1200 करोड़ रुपयों की विकास परियोजना का संबंध है, हम इस यात्रा में मिले अनुभवों के आधार पर दृढ़ता से, विनयपूर्वक कहना चाहते हैं कि इसे सरकार तुरंत वापस ले और यह बड़ी रकम जनहित की योजनाओं पर खर्च की जाय. हम आशा करते हैं कि सरकार इसे अहंकार का मुद्दा नहीं बनाएगी और इस परियोजना के स्थगन की घोषणा करेगी.
हम गांधीजनों तथा गांधीप्रेमियों से आग्रहपूर्वक निवेदन करते हैं कि उनकी चुप्पी व निष्क्रियता ने देश व समाज का बहुत नुकसान किया है. उन्हें गांधी जी की दिशा में सक्रिय होने तथा सत्य की आवाज साहसपूर्वक उठाने की जरूरत है. आज के चुनौतीपूर्ण समय में यह चुप्पी और निष्क्रियता अपराध से कम नहीं है.
सेवाग्राम-साबरमती संदेश यात्रा का आज समापन हुआ है, लेकिन गांधी का संदेश समाप्त नहीं हुआ है. उस संदेश को जन-जन तक पहुंचाने और उसे धरती पर उतारने का हमारा अभिक्रम जारी रहेगा. अहमदाबाद की गुजरात विद्यापीठ में सभी समानधर्मा नागरिकों की सार्वजनिक सभा में यह संकल्प लिया गया. सभा ने सर्वसम्मति से मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बनाए गए साबरमती आश्रम स्मारक ट्रस्ट को अस्वीकार किया.
इस यात्रा में 12 राज्यों से कुमार प्रशांत (अध्यक्ष, गांधी शांति प्रतिष्ठान, नई दिल्ली), गुजरात के जाने माने साहित्यकार प्रकाश भाई शाह और सर्वोदय नेता उत्तम भाई परमार, रामचंद्र राही (अध्यक्ष, गांधी स्मारक निधि, नई दिल्ली), राजेन्द्र सिंह( अध्यक्ष, राष्ट्रीय जल बिरादरी), अन्नामलाई (निर्देशक, राष्ट्रीय गांधी संग्रालय, नई दिल्ली), आशा बोथरा (प्रवक्ता, सर्व सेवा संघ), संजय सिंह (सचिव, गांधी स्मारक निधि, नई दिल्ली), सवाई सिंह (अध्यक्ष, राजस्थान समग्र सेवा संघ), डॉ. विश्वजीत (सर्वोदयी युवा नेता), अशोक भारत (संयोजक, आंदोलन समिति, सर्व सेवा संघ), शेख हुसैन (ट्रस्टी, सर्व सेवा संघ), अरविंद कुशवाहा (मंत्री, सर्व सेवा संघ), टीआरएन प्रभु (अध्यक्ष, सेवाग्राम आश्रम प्रतिष्ठान), सुगन बरंठ (अध्यक्ष, नई तालीम समिति), अजमत उल्ला खान (संयोजक, राष्ट्रीय युवा संगठन), चिन्मय मिश्र (म.प्र. सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष), अहमदाबाद के स्थानीय कार्यकर्ता, साथी मनीष जानी, देव देसाई, मीनाक्षी जोशी, मन्नन त्रिवेदी, तन्मय तिमिर, रजनीकांत कड, सर्वोदय नेता राम धीरज, मनोज ठाकरे, भूपेश भूषण तथा युवा कार्यकर्ता मानस पटनायक,शिवकांत त्रिपाठी, शुभा बहन, सुरेश सर्वोदयी, सागर दास, दीपाली, मधु, शाहरुबि, यशवंत भाई, जगदीश कुमार, केएल शांडिल्य, विनोद पगार आदि शामिल हुए।
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