Social

जमात में स्वार्थ की भावना; भयानक बात!

जमात का स्वार्थ एक भयानक बात है। आज विज्ञान के कारण एक जमात, एक व्यक्ति के बराबर हो गयी है। कल ऐसा समय भी आयेगा कि पृथ्वी के लोगों को मंगल के लोगों की चिंता करना पड़ेगी और मंगल के लोगों को पृथ्वी के लोगों की। एक-एक जमात, एक-एक पंथ, एक-एक भाषा, एक-एक राष्ट्र; इन सबको एक व्यक्ति की हैसियत प्राप्त होगी।

चार बातें ध्यान में रखने लायक हैं। आज का नारा जय जगत, हमेशा का नारा जय जगत, हमारा नारा जय जगत, सबका नारा जय जगत। आज का, कल का, परसों का भी वही नारा है। उसी से सभी का उद्धार होने वाला है। ऐसा होगा तभी लोगों में एकरूपता आयेगी। अन्यथा अनेक कारणों से दरारें पड़ेंगी। धर्मभेद, जातिभेद, पंथभेद, देशभेद, भाषाभेद, ऐसे टुकड़े-टुकड़े हो जायेंगे। समाज की गाड़ी यहीं रुकी हुई है।

अगर एक व्यक्ति त्याग करता है, तो समाज उसको पसंद करता है। मैं त्याग करूं, तो समाज को खुशी होगी, क्योंकि उसमें उनका स्वार्थ सधता है। लेकिन अगर कोई यह कहे कि एक जमात दूसरी जमात के लिए त्याग करे, तो समाज सुनने के लिए तैयार नहीं है। ब्राह्मण अपना हित देखेंगे, मराठा अपना हित देखेंगे, हिंदू अपना हित देखेंगे, मुसलमान अपना हित देखेंगे। मुसलमान हिंदुओं के हित की चिंता करें और हिंदू मुसलमानों के हित की, ब्राह्मण अन्य जातियों का हित संभालें और अन्य जातियां ब्राह्मणों का हित देखें, उत्तर वाले दक्षिण वालों की चिंता करें और दक्षिण वाले उत्तर वालों की करें, अमेरिका रूस का और रूस अमेरिका का हित देखे- यह बात समाज को मान्य नहीं है। समाज को यह बात मान्य है कि व्यक्तिगत स्वार्थ साधना गलत बात है। अगर एक व्यक्ति त्याग करता है तो समाज उसका गौरव करेगा, उसको एकदम गैर का हिमायती नहीं कहेगा। लेकिन अगर हिंदुओं को कहा जाये कि आप मुसलमानों की चिंता कीजिए तो वैसा कहने वाले को गैर हिमायती माना जायेगा। मतलब, सभी जमातें, सभी संप्रदाय स्वार्थ से चिपके हुए हैं। इसलिए जब कोई व्यक्ति त्याग करता है, तो वह समाज को मान्य होता है, लेकिन एक जमात का दूसरी जमात के लिए त्याग मान्य नहीं होता।

महात्मा गांधी को गोली मारी गयी, क्यों? क्योंकि वे हिंदुओं को मुसलमानों की चिंता करने के लिए कहते थे। हिंदुओं को उसमें दुर्बलता लगती थी, लेकिन गांधी जी को उसमें शक्ति दीखती थी, उदारता लगती थी। वे कहते थे कि हम अल्पसंख्यकों की चिंता करेंगे तो प्रेम भावना बढ़ेगी। गांधी जी की यह बात हिंदुओं को मान्य नहीं थी। वे मानते थे कि यह आदमी मुसलमानों का पक्ष लेता है। तो हुआ यह कि दोनों जमातों को गांधीजी की बात अप्रिय लगने लगी।

जब यह मान्यता होगी कि व्यक्तिगत त्याग पर्याप्त नहीं है, तब जय जगत होगा, इसलिए हमें चाहिए कि हम सबकी चिंता करें। अगर हम केवल अपनी ही चिंता करेंगे तो जय जगत नहीं होगा। महात्मा गांधी को गोली मारी गयी, क्यों? क्योंकि वे हिंदुओं को मुसलमानों की चिंता करने के लिए कहते थे। हिंदुओं को उसमें दुर्बलता लगती थी, लेकिन गांधी जी को उसमें शक्ति दीखती थी, उदारता लगती थी। वे कहते थे कि हम अल्पसंख्यकों की चिंता करेंगे तो प्रेम भावना बढ़ेगी। गांधी जी की यह बात हिंदुओं को मान्य नहीं थी। वे मानते थे कि यह आदमी मुसलमानों का पक्ष लेता है। तो हुआ यह कि दोनों जमातों को गांधीजी की बात अप्रिय लगने लगी, लेकिन जब मालूम हुआ कि एक हिंदू ने ही गांधीजी पर गोली चलायी है, तब जाकर मुसलमानों को लगा कि वह तो अपना ही दोस्त था। यह सारी कहानी इसलिए कही कि गांधीजी की यह बात कि ‘एक जमात दूसरी जमात के लिए त्याग करे’, किसी को मान्य नहीं हुई। इस प्रकार स्वार्थ बड़े पैमाने पर भी होता है। व्यक्ति का द्वेष छोटे परिमाण में होगा, जमातों का बड़े परिमाण में, इतना ही। जमातों में भी स्वार्थ-द्वेष होता है, इसलिए ‘जय जगत’ हमारा नारा है, सबका नारा है, आज का नारा है और कल का भी नारा है। यह विचार ग्रहण होगा तभी प्रगति होगी, तभी विकास होगा।

जमात का स्वार्थ एक भयानक बात है। आज विज्ञान के कारण एक जमात, एक व्यक्ति के बराबर हो गयी है। कल ऐसा समय भी आयेगा कि पृथ्वी के लोगों को मंगल के लोगों की चिंता करना पड़ेगी और मंगल के लोगों को पृथ्वी के लोगों की। एक-एक जमात, एक-एक पंथ, एक-एक भाषा, एक-एक राष्ट्र; इन सबको एक व्यक्ति की हैसियत प्राप्त होगी। जब यह बात ध्यान में आयेगी, तब मानवमात्र एक होगा। तभी सच्चा सुख, सच्चा आनंद सबको प्राप्त होगा। – विनोबा साहित्य, खण्ड-20

 

Sarvodaya Jagat

Recent Posts

सर्वोदय जगत (16-31 अक्टूबर 2024)

Click here to Download Digital Copy of Sarvodaya Jagat

1 month ago

क्या इस साजिश में महादेव विद्रोही भी शामिल हैं?

इस सवाल का जवाब तलाशने के पहले राजघाट परिसर, वाराणसी के जमीन कब्जे के संदर्भ…

1 month ago

बनारस में अब सर्व सेवा संघ के मुख्य भवनों को ध्वस्त करने का खतरा

पिछले कुछ महीनों में बहुत तेजी से घटे घटनाक्रम के दौरान जहां सर्व सेवा संघ…

1 year ago

विकास के लिए शराबबंदी जरूरी शर्त

जनमन आजादी के आंदोलन के दौरान प्रमुख मुद्दों में से एक मुद्दा शराबबंदी भी था।…

2 years ago

डॉक्टर अंबेडकर सामाजिक नवजागरण के अग्रदूत थे

साहिबगंज में मनायी गयी 132 वीं जयंती जिला लोक समिति एवं जिला सर्वोदय मंडल कार्यालय…

2 years ago

सर्व सेवा संघ मुख्यालय में मनाई गई ज्योति बा फुले जयंती

कस्तूरबा को भी किया गया नमन सर्वोदय समाज के संयोजक प्रो सोमनाथ रोडे ने कहा…

2 years ago

This website uses cookies.